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चौटाला पिता-पुत्र को जेल से विधानसभा लाने के निर्देश

हरियाणा विधानसभा के सचिव ने पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय सिंह चौटाला को विधानसभा लाने के लिए तिहाड़ जेल के सुपरिटेंडेंट को पत्र लिखा है। जानें क्यों ?

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Thu, 21 Jul 2016 10:29 PM (IST)
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जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा के सचिव ने तिहाड़ जेल दिल्ली के सुपरिटेंडेंट को पत्र लिखकर 10 अगस्त से पहले पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय सिंह चौटाला को विधानसभा लाने के निर्देश दिए हैं। विधानसभा सचिव ने यह निर्देश पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा एडवोकेट एचसी अरोड़ा की जनहित याचिका पर दिए हैं।

हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिव को 12 अगस्त तक पूर्व विधायकों का पेंशन मामला हल करने के लिए कहा है, जिसके अनुपालन में दोनों पिता-पुत्रों को विधानसभा बुलाया जा रहा है। विधानसभा के उप सचिव ने सचिव की ओर से तिहाड़ जेल के सुपरिटेंडेंट को यह पत्र लिखा है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और अजय सिंह चौटाला को 10 अगस्त से पहले किसी भी उपयुक्त दिन हरियाणा विधानसभा सचिवालय में लाने को कहा गया है, ताकि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष 6 फरवरी 2016 को दी गई रिप्रजेंटेशन के मद्देनजर जारी निर्देशों पर फैसला लिया जा सके।

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हाईकोर्ट के जस्टिस एके मित्तल और जस्टिस राज राहुल गर्ग की खंडपीठ ने 23 मई को एडवोकेट एचसी अरोड़ा की जनहित याचिका का निपटारा करते हुए हरियाणा विधानसभा सचिव को निर्देश दिए थे कि वे याची की तरफ से दी गई रिप्रजेंटेशन के मद्देनजर भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों के अनुसार चौटाला और अजय ौिंह को दी जा रही पेंशन रोकने के बारे में फैसला लें।

विधानसभा सचिव को यह निर्देश भी दिए गए कि वे एडवोकेट अरोड़ा को व्यक्तिगत तौर पर सुनें और एक स्पीकिंग आर्डर पास करें। हाईकोर्ट ने यह कार्रवाई दो माह के भीतर पूरी करने के निर्देश दिए थे।हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि चौटाला पिता-पुत्र को दिल्ली की अदालत ने 16 जनवरी 2013 को जेबीटी भर्ती मामले में दोषी ठहराते हुए दस साल की सजा सुनाई थी।

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सजा के खिलाफ 5 मार्च, 2015 को चौटाला पिता-पुत्र की अपील को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद उनकी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया था। बॉक्स याचिका में दिया कानूनों का हवालाएडवोकेट अरोड़ा ने हाईकोर्ट में हरियाणा विधानसभा सदस्यों के वेतन, भत्ते एवं पेंशन) एक्ट 1975 के सेक्शन 7-ए (1-ए) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत अयोग्य ठहराया जा चुका सदस्य, नियमों की उपधारा (1) के अनुसार अयोग्य ठहराए जाने की अवधि के दौरान पेंशन का हकदार नहीं होगा।

हाईकोर्ट में बहस के दौरान याची का कहना था कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 के तहत 16 जनवरी, 2013 को चौटाला को 16 साल (10 साल की सजा हुई है और छह साल के लिए अयोग्य ठहराया गया है।) के लिए अयोग्य ठहराया गया है। यह वह तिथि है जब उन्हें दोषी ठहराया गया और सजा के खिलाफ उनकी अपीलें खारिज हो गईं।

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