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पूर्व सीएम हुड्डा पर अब ईडी का शिकंजा, एजेएल प्‍लाट मामले में केस दर्ज

हरियाणा के पूर्व मुख्‍मंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक और बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं। उनके खिलाफ ईडी ने एफआइअार दर्ज किया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Fri, 22 Jul 2016 11:51 AM (IST)
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चंडीगढ़, [वेब डेस्क]। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक आैर मुश्किल में घिर गए हैं। अब उन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कस दिया है। उन पर पंचकूला में नेशनल हेराल्ड की कंपनी एजेएल (एसोसिएट जनरल लिमिटिड) काे बेहद सस्ते दर पर प्लाट आवांटन मामने में ईडी ने केस दर्ज किया है। ईडी ने हुड्डा के अलावा कांग्रेस के कई नेताआें पर इस मामले में एफआइआर दर्ज किया है।

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इससे पहले हुड्डा पर इस मामले सहित तीन केस में सीबीआइ जांच चल रही है। हरियाणा की मनोहरलाल सरकार ने एजेएल प्लाट आवंटन में भी सीबीआई जांच की सिफारिश कर रखी है। पिछले दिनों विजिलेंस ने इस मामले में हुड्डा व अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

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यह है मामला

बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड की कंपनी एजेएल को प्लॉट आवंटन के इस मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो (विजिलेंस) ने केस दर्ज कर था। आरोप है कि वर्ष 2005 में हुडा के चेयरमैन, मुख्य प्रशासक व प्रशासक ने बेहद सस्ते दर पर 3360 स्क्वायर फीट का प्लॉट एजेएल दे दिया। हुड्डा उस समय मुख्यमंत्री हाेने के नाते हुडा के चेयरमैन थे।

विजिलेंस द्वारा दर्ज एफआइआर के मुताबिक हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) ने 24 अगस्त 1982 को पंचकूला के सेक्टर छह में प्लॉट नंबर 17 नई दिल्ली की कंपनी मैसर्ज एसोसिएटस जनरल को अलॉट किया था और प्लॉट का कब्जा 30 अगस्त 1982 को दे दिया था।

आवंटन के नियम व शर्तों के अनुसार कंपनी को कब्जे की तारीख से छह महीने मेें प्लॉट पर निर्माण कार्य शुरू करना था और दो वर्ष के अंदर काम पूरा करना था। लेकिन, प्लॉट पर निर्माण कार्य नहीं किया गया। इस कारण हुडा के संपदा अधिकारी के आदेश पर 30 अक्टूबर 1992 को प्लॉट रिज्यूम (जब्त) कर लिया गया।

कंपनी द्वारा संपदा अधिकारी के आदेश पर प्रशासक हुडा पंचकूला के पास अपील की गई, लेकिन इो 26 जुलाई 1995 को खारिज कर दिया गया। कंपनी द्वारा इसक बाद भी अपील की गई, लेकिन उसे भी खारिज कर दिया गया। इसके बाद 18 अगस्त 2005 को हुडा के नियमानुसार रिज्यूम प्लॉट को पुन: नए रेट पर अलॉट करने की नीति बनाई गई।

इस पर तत्कालीन प्रशासक हुडा तथा तत्कालीन वित्तायुक्त नगर व ग्राम आयोजन हरियाणा द्वारा 18 अगस्त 2005 को प्रस्ताव किया गया कि इस प्लॉट को दोबारा अलॉट करने के लिए विज्ञापन देकर आवेदन मांगे जाएं। इसमें यह फर्म भी आवेदन भी आवेदन कर सकती है।

एफआइआर के मुताबिक, तत्कालीन हुडा चेयरमैन ने 28 अगस्त 2005 को नियमों का उल्लंघन और अपने पद का दुरूपयोग करते हुए उपरोक्त फर्म को 2005 में वर्ष 1982 के रेट पर उक्त प्लॉट को पुन: बहाल करने का आदेश दे दिया। इससे सरकार को लगभग 62 लाख रुपये का नुकसान हुआ।

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