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सफेद कपड़ों में भगवान, रब, अल्लाह और गॉड, पढ़ें... सत्ता के गलियारे की और भी रोचक खबरें

कई ऐसी खबरें होती हैं जो मीडिया में सुर्खियां नहीं बन पाती। आइए नजर डालते हैं सत्ता के गलियारे की कुछ ऐसी ही खबरों पर...

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Mon, 20 Apr 2020 01:28 PM (IST)
सफेद कपड़ों में भगवान, रब, अल्लाह और गॉड, पढ़ें... सत्ता के गलियारे की और भी रोचक खबरें
चंडीगढ़। लॉकडाउन में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च के कपाट बंद हैं। ऐसे में सभी को डॉक्टरों में ही भगवान, रब, अल्लाह और गॉड दिख रहा है। 'सफेद कपड़ों में भगवान' न केवल महामारी को पस्त करने के लिए दिन-रात एक करते हुए पूरे तन-मन से लड़ रहे हैं, बल्कि सरकार द्वारा दोगुना वेतन देने की पेशकश को भी उन्होंने यह कहकर खारिज कर दिया कि यह तो उनकी ड्यूटी है। उन्हीं की तर्ज पर अस्पतालों में सेवाएं दे रहीं नर्सों और एनएचएम स्वास्थ्य कर्मियों ने दोगुनी सेलरी लेने से मना कर नई मिसाल कायम की। ढाई हजार से अधिक नर्सों ने तो बकायदा एक दिन का वेतन भी कोरोना रिलीफ फंड में देने की घोषणा की है। इससे सबक लेना चाहिए दूसरे कुछ महकमों के कर्मचारियों को जो सरकार पर दोगुना वेतन करने का दबाव बना रहे हैं। मांग करना कोई बुरी बात नहीं, लेकिन समय और मौके की नजाकत तो समझनी ही चाहिए।

हरियाणा से हारेगा कोरोना...

कोरोना से जंग में सूबे के मुखिया जी का सूत्र वाक्य कारगर साबित हो रहा है। जिस कोरोना का नाम सुनते ही लोगों की रूह कांप जाती थी, उसे हरियाणा में बैकफुट पर आने को मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदेश में तेजी से ठीक हो रहे कोरोना विजेताओं का बढ़ता ग्राफ दूसरों को भी हौसला बंधा रहा। स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हरियाणा कई बार कटघरे में खड़ा होता रहा है, लेकिन मौजूदा हालात बताते हैं स्थिति इतनी भी खराब नहीं जैसा कि दुष्प्रचार किया जाता रहा। प्रदेश में करीब 43 फीसद मरीज पूरी तरह फिट हो चुके हैं और वह भी सरकारी अस्पतालों में इलाज कराकर। जिस तरह तब्लीगी जमात के संक्रमित लोगों को ढूंढ-ढूंढ कर अस्पतालों में पहुंचाया जा रहा, उससे काफी हद तक कोरोना के फैलने का खतरा घटा है। उम्मीद है कि जल्द ही यह प्रदेश पूरी तरह पटरी पर लौट आएगा।

हमें पक्को करवा दियों बाबूजी

कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे डॉक्टर, नर्स, पेरामेडिकल स्टॉफ,पुलिसकर्मियों से लेकर सफाईकर्मियों तक का इन दिनों जगह-जगह स्वागत और अभिनंदन हो रहा है। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन शाम को पांच बजे पूरे देश में लोगों ने अपने घरों के दरवाजों पर खड़े होकर इन कोरोना योद्धाओं का सम्मान किया था। इसके बाद लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान भी इन काेरोना योद्धाओं के स्वागत व अभिनंदन का क्रम नहीं टूटा। डॉक्टर, नर्स, पेरामेडिकल स्टॉफ, पुलिस कर्मियों से भी ज्यादा कुछ समाजसेवियों और नेताओं ने सफाईकर्मियों का स्वागत किया। इसके पीछे का कारण भी यह बताया जा रहा है कि सफाईकर्मियों के सम्मान से उनके धर्मखाते में पुण्य भी अर्जित होता है। परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा के बड़े भाई टिपरचंद शर्मा ने अपने क्षेत्र में सफाईकर्मियों का सम्मान किया तो उन्हें जबाव मिला कि यह तो ठीक है बाबूजी, पर हमें निगम में पक्काे करवा दियों।

राजनीतिक एक्सपेलर में पिल रही सरसों

राज्य की मंडियों में 15 अप्रैल से सरसों की सरकारी खरीद शुरू हो गई है। इसको लेकर जहां सत्तासीन दोनों दलों के नेता यह दावा कर रहे हैं कि सरसों का दाना-दाना खरीदा जाएगा। इनेलो और कांग्रेस के नेताओं ने जमीनी स्तर पर जाकर खरीद में हो रही खामियों को उजागर करना शुरू कर दिया है। ऐसे में बेशक सरसों बिना एक्सपेलर (सरसों की पिलाई करके तेल निकालने वाली मशीन) के ही राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच पिल रही है। क्योंकि चार दिन बाद भी किसानों की समस्याएं ज्यों के त्यों हैं। राजनीतिज्ञों द्वारा निकाले जा रहे सरसों के इस तेल में से बेशक तीखी झल भी निकल रही हैं मगर अभी तक सत्तासीन दोनों दलों के नेताओं पर इसका कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। अलबत्ता इस मुद्दे को और ज्यादा जोरशोर से उठाने के लिए कांग्रेस के दो नेताओं में इस समय प्रतिस्पर्धा चल रही है। (प्रस्तुतिः अनुराग अग्रवाल, बिजेंद्र बंसल और सुधीर तंवर)

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