हरियाणा सरकार का निशाना- पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह चाह रहे थे जबरदस्ती नियुक्ति
जाट आरक्षण में हुई हिंसा में अफसरों की भूमिका की जांच करने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह पर अब हरियाणा सरकार ने निशाना साधा है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Thu, 01 Sep 2016 02:01 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। राज्य में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान अधिकारियों की भूमिका की जांच करने वाले पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह अब भाजपा सरकार के निशाने पर भी आ गए हैैं। प्रकाश सिंह द्वारा भाजपा सरकार के राजनीतिक दबाव में होने के आरोप लगाने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उन्हें ही कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्हाेंने कहा कि प्रकाश सिंह पुलिस सुधार पर रिपोर्ट देने के लिए कमेटी के नाम पर जबरदस्ती दोबारा नियुक्ति चाह रहे थे। इससे पहले जाट आंदोलन में हिंसा पर रिपोर्ट को लेकर विपक्षी दल उन पर निशाना साध रहे थे।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि प्रकाश सिंह जबरदस्ती दोबारा से नियुक्ति के लिए पुलिस सुधार पर अपनी रिपोर्ट देना चाहते थे, लेकिन सरकार ने इन्कार कर दिया था। इसी वजह से वह सरकार पर किसी दबाव में होने के अनर्गल आरोप लगा रहे थे। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डा. रघुबीर सिंह कादियान ने विधानसभा में यह मामला उठाते हुए कहा था कि प्रकाश सिंह ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैैं। उन्हें कोई नई रिपोर्ट भी देने से रोका जा रहा है। इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हमने प्रकाश सिंह से न तो कोई रिपोर्ट मांगी थी और न ही उन्हें देनी थी। प्रकाश सिंह खुद ही पुलिस सुधार पर अपनी रिपोर्ट देना चाहते थे। उन्हें उम्मीद थी कि सरकार इसके लिए उन्हें दोबारा से नई नियुक्ति दे देगी, पर हमने इन्कार कर दिया। मनोहर लाल ने कहा कि प्रकाश सिंह के पुलिस सुधार इंटरनेट पर उपलब्ध हैैं, जिन्हें सरकार समय समय पर लागू करती रही है। हमें क्या रिपोर्ट लेनी है और क्या नहीं लेनी है, यह सरकार तय करेगी, प्रकाश सिंह नहीं।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान यह भी कहा कि सरकार किसी दबाव में नहीं है।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान यह भी कहा कि सरकार किसी दबाव में नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट में कुछ चीजें विभागीय जांच से संबंधित हैं। उन पर कार्रवाई की जा रही है। कुछ पर एक्शन लिया जाना बाकी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रकाश सिंह कमेटी दो हिस्सों में थी। एक सार्वजनिक भी की गई और दूसरी गोपनीय है। इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
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