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हरियाणा सरकार चार साल तक नहीं बढ़ाएगी की बिजली दरें

हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल ने घोषणा की कि राज्‍य सरकार अगले चार साल बिजली की दरों में कोई वृद्धि नहीं की जाएगी। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उन्‍होंने यह बात कही। उन्‍होंने झाड़ली पावर प्‍लांट के मामले में पूर्व मुख्‍यमंत्री पर निशाना साधा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Wed, 30 Dec 2015 02:22 PM (IST)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा की भाजपा सरकार ने प्रदेश के लोगों को नए साल का तोहफा दिया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एलान किया है कि उनकी सरकार के कार्यकाल में अगले चार साल तक बिजली के कोई दाम नहीं बढ़ाए जाएंगे। सरकार बिजली की लागत कम करने के उपाय कर रही है। ऐसा होने सरकार बिजली के दाम कम भी कर सकती है।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने झाड़ली पावर प्लांट पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के 5 जनवरी के प्रस्तावित धरने पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यह सही है कि हमने केंद्र सरकार को अपने हिस्से की बिजली एक साल के लिए सरेंडर करने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन यह भी सच है कि यह बिजली हमें महंगी पड़ रही है। झाड़ली पावर प्लांट की बिजली सरेंडर कर हम अन्य स्रोत से सस्ती बिजली खरीदेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के 14 पावर प्लांट हैं। 65 स्रोत ऐसे हैैं, जिनसे बिजली खरीदी जाती है। 51 स्रोत से राज्य सरकार का कांट्रेक्ट है। पानीपत की आठों उत्पादन इकाइयां बंद पड़ी हैैं। पहली चार बिजली उत्पादन इकाइयों के स्थान पर 800 मेगावाट का बड़ा पावर प्लांट लगाने की संभावनाएं तलाश की जा रही हैैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के पास झारखंड में खुद का पावर प्लांट लगाने अथवा कांट्रेक्ट पर लेने का भी विकल्प खुला है। इस पावर प्लांट को हरियाणा अपने हिस्से का कोयला स्थानांतरित कर देगा। बदले में हमने सस्ती बिजली मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों बिजली दरों में जो बढ़ोतरी की गई थी, वह पूर्व की हुड्डा सरकार के प्रस्ताव पर बिजली विनियामक आयोग द्वारा की गई थी। वर्तमान में बिजली निगमों का घाटा 29 हजार करोड़ रुपये है। सरकार इस घाटे को खत्म करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए केंद्र सरकार की 'उदय' योजना में शामिल होने को स्वीकृति दे दी है। योजना के तहत प्रदेश सरकार बिजली निगमों के 75 प्रतिशत घाटे को अपने ऊपर ले लेगी। इससे बिजली विभाग पर ऋण के ब्याज के रूप में पडऩे वाला बोझ कम होगा।

मनोहर ने कहा, हुड्डा भी लिख चुके केंद्र को पत्र

झाड़ली पावर प्लांट पर हुड्डा के 5 जनवरी के धरने पर मुख्यमंत्री ने सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि फरवरी, 2012 में हुड्डा ने भी बिजली सिरेंडर करने संबंधी एक पत्र केंद्र सरकार को लिखा था। यह व्यापार अथवा लेन देन का एक हिस्सा मात्र और प्रशासनिक निर्णय है। हमारी कोशिश अन्य बिजली सयंत्रों से प्रदेश को 1 रुपये 50 पैसे या 1 रुपये 75 पैसे की दर से सस्ती बिजली हासिल करने की है।

हुड्डा ने किया मनोहर का दावा खारिज, इनेलो पर भी बरसे

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने बिजली सरप्लस होने के कारण झाड़ली थर्मल प्लांट की बिजली सिरेंडर करने के मुख्यमंत्री के दावे को खारिज किया है। धरने पर अडिग हुड्डा ने कहा कि यदि बिजली सरप्लस होने का सरकारी दावा सही है तो प्रदेश भर में किसानों के 35 हजार ट्यूबवैल कनेक्शन लंबित क्यों पड़े हैैं।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भयंकर बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है। बिजली आने पर किसान ट्यूबवेल चलाता है, लेकिन खेत के नाके तक पानी पहुंचने से पहले ही बिजली चली जाती है। 2012 में कांग्रेस सरकार द्वारा बिजली सरेंडर करने के लिए केंद्र को लिखे पत्र के जवाब में हुड्डा ने कहा कि इनेलो आजकल भाजपा सरकार के प्रवक्ता के रूप में कार्य कर रहा है। वह जब भी जनता के हित में सरकार के विरुद्ध आवाज उठाते हैं तो इनेलो सदैव सरकार के बचाव में खड़ी नजर आती है।

उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है, एक यूनिट भी अतिरिक्त बिजली पैदा नहीं की है। इनेलो और भाजपा की कई बार सांझा सरकार बनी, लेकिन एक भी नया थर्मल प्लांट लगाया हो तो उसका नाम बता दें। हुड्डा ने कहा कि उनके कार्यकाल में प्रदेश की जनता को बिजली की दरों अथवा बिजली की कमी के लिए कभी आन्दोलन करने की जरूरत नहीं पड़ी।

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