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हरियाणा सरकार अब पुलिस सुधार पर प्रकाश सिंह से नहीं लेगी रिपोर्ट

हरियाणा सरकार अब उप्र के पूर्व डीजीपी से राज्‍य में पुलिस सुधार पर रिपोर्ट नहीं लेगी। सरकार ने यह कदम जाअ आंदोलन पर उनकी रिपोर्ट पर पैदा विवाद के कारण उठाया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sat, 25 Jun 2016 12:42 PM (IST)
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राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन पर प्रकाश सिंह की रिपोर्ट से मचे बवाल के बाद सरकार ने अब उनसे पुलिस सुधार पर रिपोर्ट लेने का इरादा बदल दिया है। पुलिस सुधार के लिए कानूनी लड़ाई लडऩे में माहिर प्रकाश सिंह से सरकार पुलिस में किए जाने वाले बदलाव और सुधारों पर भी रिपोर्ट लेने वाली थी। इसके साथ ही प्रकाश सिंह को हरियाणा सरकार में गृह विभाग का सलाहकार तक बनाए जाने की तैयारी चल रही थी।

नए विवाद से बचने के लिए हरियाणा सरकार ने इरादा बदला

उल्लेखनीय है कि प्रकाश सिंह उत्तर प्रदेश के डीजीपी और बीएसएफ के महानिदेशक रह चुके हैं। 1996 से वह पुलिस सुधार की दिशा में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैैं। 2006 में उन्हीं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को पुलिस सुधार की दिशा में आवश्यक कदम उठाने की हिदायतें जारी की थी, लेकिन सब कुछ ठंडे बस्ते में चल रहा है।

पढ़ें : प्रकाश सिंह कमेटी रिपोर्ट : विरोध की आशंका से सरकार नहीं कर रही अफसरों पर कार्रवाई

हरियाणा के जाट आरक्षण आंदोलन में हुई हिंसा में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका पर उन्होंने 414 पेज की दो वाल्यूम में अपनी रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट में उन्होंंने राज्य पुलिस को नेतृत्वहीन और राजनीतिक हस्तक्षेप में पूरी तरह से जकड़ा हुआ बताया है। साथ ही यह कहते हुए तारीफों के पुल भी बांधे कि यदि हरियाणा पुलिस को ठीक से ट्रेनिंग दी जाए तो वह अफगान में भी मोर्चा संभाल सकती है।

प्रकाश सिंह ने अपनी रिपोर्ट में 90 पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए। उनकी रिपोर्ट पर कई आइएएस और आइपीएस अधिकारियों ने आपत्ति दर्ज की है। दंगों में मुख्यमंत्री कार्यालय तक की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करने के बाद जब उन्हें घेरा गया तो रिपोर्ट में पेज नंबर 415 अलग से जोड़ा गया। इसमें कहा गया है कि सीएमओ ठीक ढंग से काम कर रहा था।

पढ़ें : अफसरों को अब नहीं रहा प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट का खौफ

इनेलो सांसद दुष्यंत सिंह चौटाला और भाजपा सांसद राजकुमार सैनी पर की गई टिप्पणियों को लेकर भी सरकार की मुसीबतें बढ़ी। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, ओमप्रकाश धनखड़ और कैप्टन अभिमन्यु के साथ-साथ विपक्ष के नेताओं ने अपने-अपने ढंग से रिपोर्ट पर टिप्पणियां की, जिसके बाद सरकार पूरी तरह से कठघरे में आ गई। ऐसे में किसी भी तरह के नए विवाद से बचने के लिए अब सरकार ने प्रकाश सिंह ने पुलिस सुधार पर दूसरी रिपोर्ट लेने का इरादा त्याग दिया है। हालांकि प्रकाश सिंह कह रहे कि उन्हें ऐसी कोई रिपोर्ट सरकार को नहीं देनी थी।

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' प्रकाश सिंह को जो काम सौंपा था, वह पूरा हो चुका '

'' पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह को सरकार ने जो काम सौंपा था, वह पूरा हो चुका है। कमेटी ने जाट आरक्षण आंदोलन में हुई हिंसा में अफसरों की भूमिका को परखने के बाद अपनी रिपोर्ट दे दी है। सरकार ने उसे रिकॉर्ड पर ले लिया है। अब पुलिस सुधार पर प्रकाश सिंह से कोई रिपोर्ट नहीं ली जा रही है।
- रामनिवास, गृह सचिव, हरियाणा।
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पुलिस सुधार की दिशा में इस तरह लड़ी गई लड़ाई

- सर्वोच्च न्यायालय लंबे अरसे से 1861 के भारतीय पुलिस कानून में बदलाव का सुझाव दे रहा है, मगर राज्य सुधारों का दिखावा कर रहे।
- पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने 1996 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र व राज्य सरकार को पुलिस की खराब वर्किंग में सुधार के निर्देश देने का अनुरोध किया था।
- सितंबर 2006 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति वाईके सब्बरवाल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने प्रकाश सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस सुधार के आदेश दिए थे।

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' स्मार्ट पुलिस की अवधारणा पूरी होना जरूरी '

'' अगर पुलिस को राजनीतिक एवं अन्य दबावों से मुक्त नहीं किया गया, अधिकारियों के कार्यकाल अवधि में कोई स्थिरता नहीं हुई, बड़े शहरों में अपराध अनुसंधान और कानून व्यवस्था का काम अलग नहीं किया गया तो स्मार्ट पुलिस की अवधारणा एक सपना ही रह जाएगा, इसका साकार रूप हमें देखने को नहीं मिलेगा।
- प्रकाश सिंह, पूर्व डीजीपी, उत्तर प्रदेश।

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