हाई कोर्ट ने उठाया प्रकाश सिंह कमेटी की कानूनी वैधता पर सवाल
पंजाब एवं हरियाण हाई कोर्ट ने जाट आरक्षण आंदोलन में फैली हिंसा के दौरान अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए गठित प्रकाश सिंह कमेटी की वैधता पर सवाल उठाए हैं। हाई कोर्ट ने सरकार से बताने को कहा है कि इसका गठन किस कानूून के तहत किया गया है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Tue, 12 Apr 2016 11:54 AM (IST)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के स्तर पर की गई कार्रवाई को परखने के लिए गठित की गई प्रकाश सिंह कमेटी सवालों के घेरे में आ गई है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया है कि वे अगली सुनवाई तक बताएं कि किन नियमों को आधार बनाते हुए इस कमेटी को गठित किया गया है।
हरियाणा सरकार इस कमेटी के गठन के लिए उपयोग किए गए कानूनी अधिकारों के बारे में कोर्ट में जानकारी नहीं दे पाई। हालांकि, हरियाणा सरकार, कोर्ट मित्र और हाई कोर्ट ने प्रकाश सिंह की विश्वसनीयता को माना। कोर्ट ने कहा कि उम्मीद की जाती है कि उनकी रिपोर्ट पर कार्रवाई के नाम पर ठेंगा न दिखा दिया जाएगा।पढ़ें : मुरथल कांड पर सरकार की पोल खुली, SIT ने कहा- गैंगरेप की दो शिकायतें मिलीं सोमवार को मामले की सुनवाई आरंभ होते ही हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई तोडफ़ोड, आगजनी की घटनाओं के दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी और ड्यूटी में कोताही की जांच करने के लिए प्रकाश सिंह कमेटी का गठन किया गया है।
हाईकोर्ट ने पूछा कि किन अधिकारों व कानून का प्रयोग करते हुए जांच प्रकाश सिंह कमेटी को सौंपी गई। इसपर हरियाणा सरकार ने कहा कि उसने अपने विशेष अधिकारों का प्रयोग करते हुए इस कमेटी को गठित किया है। इस पर, कोर्ट ने असंतुष्टि जताते हुए कहा कि हरियाणा सरकार अगली सुनवाई के दौरान बताए कि आखिर किन अधिकारों के तहत इस कमेटी का गठन किया गया है। इसके साथ ही कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने कहा कि प्रकाश सिंह नि: संदेह एक काबिल अधिकारी हैं और वह इस जांच में भी सक्षम हैं। लेकिन, जब इस कमेटी की कोई कानूनी वैधता ही नहीं है तो इसके आधार पर हरियाणा सरकार किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं कर पाएगी।
इसके साथ ही, हरियाणा सरकार ने बताया कि उसने जाट आंदोलन के दौरान हिंसा आदि की जांच के लिए न्यायिक आयोग का भी गठन किया है । हाईकोर्ट ने इस पर पूछा कि न्यायिक आयोग तथा प्रकाश सिंह कमेटी की जांच से आए नतीजों पर किस प्रकार निर्णय लिया या जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यह दोनों आपस में एक दूसरे को ऑवरलैप न करें।
इसके साथ ही, हरियाणा सरकार ने बताया कि उसने जाट आंदोलन के दौरान हिंसा आदि की जांच के लिए न्यायिक आयोग का भी गठन किया है । हाईकोर्ट ने इस पर पूछा कि न्यायिक आयोग तथा प्रकाश सिंह कमेटी की जांच से आए नतीजों पर किस प्रकार निर्णय लिया या जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यह दोनों आपस में एक दूसरे को ऑवरलैप न करें।
यह रही है अभी तक की जांच सरकार की अोर से बताया गया कि पुलिस ने जाट आंदोलन के दौरान हिंसा व उत्पात मचाने के लिए अब तक 2120 एफआइआर दर्ज की गई है। इसके साथ ही इन मामलों में अभी तक 470 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और जांच की जा रही है। बताया गया कि आंदोलकारियों ने सबसे ज्यादा उत्पात रोहतक में मचाया है। इसी कारण वहां 1208 मामले दर्ज किए गए और 117 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया है।
हरियाणा सरकार की आेर से दी गई रिपोर्ट में जिलावार ब्यौरा देते हुए बताया गया कि अंबाला-पंचकूला में 7, सोनीपत में 192, झज्जर में 166, पानीपत में 23, हिसार में 155, भिवानी में 61, जींद में 65, फतेहाबाद में नौ, सिरसा में नौ, करनाल में नौ, कुरुक्षेत्र में 10, कैथल में 88, यमुनानगर में 6, रेवाड़ी में 12, नारनौल में 10, पलवल में नौ, गुड़गांव में 29, फरीदाबाद में दो मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा जीआरपी ने 26 और आरपीएफ ने 24 मामले दर्ज किए हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।हरियाणा सरकार की आेर से दी गई रिपोर्ट में जिलावार ब्यौरा देते हुए बताया गया कि अंबाला-पंचकूला में 7, सोनीपत में 192, झज्जर में 166, पानीपत में 23, हिसार में 155, भिवानी में 61, जींद में 65, फतेहाबाद में नौ, सिरसा में नौ, करनाल में नौ, कुरुक्षेत्र में 10, कैथल में 88, यमुनानगर में 6, रेवाड़ी में 12, नारनौल में 10, पलवल में नौ, गुड़गांव में 29, फरीदाबाद में दो मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा जीआरपी ने 26 और आरपीएफ ने 24 मामले दर्ज किए हैं।