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हरियाणा में विधायक के रवैये से नाराज आइएएस विवेक अत्रे का इस्‍तीफा

हरियाणा में एक भाजपा विधायक की अनावश्‍यक दखलंदाजी से नाराज वरिष्‍ठ आइएएस अधिकारी विवेक अत्रे ने नौकरी छोड़ने का फैसला किया है। वह वीआरएस ले रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Fri, 08 Jul 2016 04:51 PM (IST)
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राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। एक भाजपा विधायक के रवैये से दुखी होकर हरियाणा काडर के आइएएस अधिकारी विवेक अत्रे ने नौकरी छोड़ने का इरादा कर लिया है। वह 2005 के आइएएस अधिकारी है। पंचकूला के जिला उपायुक्त (डीसी) रह चुके अत्रे ने हरियाणा सरकार से वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) मांगी है। अत्रे ने अपनी वीआरएस की अर्जी राज्य के मुख्य सचिव डीएस ढेसी को भेज दी है।

बताया जाता है कि सरकार ने उनकी अर्जी मंजूर कर ली और आवश्यक कार्रवाई के लिए केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को भेज दी है। वहां से मंजूरी आते ही अत्रे आईएएस की सेवाओं को अलविदा कह देंगे।

विवेक अत्रेय की गिनती राज्य के काबिल व इमानदार अफसरों में गिनती होती है। हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित उद्यमियों के सम्मेलन 'हैपनिंग हरियाणा' उनकी देखरेख में हुआ था। अत्रे अभी तक उद्योग विभाग के निदेशक और प्रधान सचिव के पद पर तैनात थे, लेकिन पिछले तीन माह से अवकाश पर चल रहे थे। 4 जुलाई 2016 को वह अवकाश से लौटे और आते ही वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया।

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आईटी के माहिर होने के साथ-साथ अत्रेय साहित्यिक प्रवृत्ति के अफसर हैं। अत्रे ने हालांकि वीआरएस लेने का खुलासा नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा कि वह अपनी कोई निजी कंपनी चलाने की तैयारी में हैं। उनका इरादा 'गुड गवर्नेंस' समेत कई क्षेत्रों में युवाओं को प्रोत्साहित करने तथा तकनीकी क्षेत्र में सलाह देने का है। इस कार्य में वह अपने कुछ विश्वासपात्रों को जोड़ सकते हैं।

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विवेक अत्रेय खाली समय में साहित्यिक रचना भी करेंगे। राज्य सरकार उनकी काबलियत को देखते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का महानिदेशक बनाना चाह रही थी, लेकिन उनके मना करने पर समीर पाल सरों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। नौकरी छोड़ने का निर्णय लेने के बाद अत्रे ने स्पष्ट तौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन शायराना अंदाज में बस इतना बोले, 'सितारों के आगे जहां और भी हैं।'

विवेक अत्रेय 1991 बैच के एचसीएस अधिकारी थे और 2005में आईएएस बने। 2008 से 2010 के बीच वे बिना वेतन के लीव पर रहे थे तथा इस दौरान एक निजी कंपनी के लिए उन्होंने काम किया था। अत्रे हरियाणा की आईएएस एवं सीएम की पूर्व अतिरिक्त प्रधान सचिव सुमिता मिश्रा के साथ चंडीगढ़ में साहित्यिक संस्था का संचालन करने में व्यस्त थे। मुख्यमंत्री सुमिता मिश्रा को इस अहम पद से अलग कर चुके हैं। अत्रे की नौकरी अभी 10 साल 5 माह बाकी पड़े थे।

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विधायक के डीसी आफिस में छापा मारने से थे नाराज

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, विवेक अत्रे पिछले काफी दिनों से पंचकूला के विधायक ज्ञानचंद गुप्ता द्वारा डीसी आफिस में छापामारी किए जाने से नाराज थे। हालांकि इसका उन्होंने रिकार्ड पर कहीं जिक्र नहीं किया, लेकिन बताया जाता है कि उन्हें छापेमारी की प्रक्रिया अच्छी नहीं लगी। समझा जाता है कि इस घटना से नाराज होकर ही से उन्होंने आईएएस की नौकरी को अलविदा कहने का माध्यम बना लिया है।

कई अफसर छोड़ चुके समय से पहले नौकरी

राज्य में विवेक अत्रेय से पहले भी कई अधिकारी वीआरएस ले चुके हैं। समय से पहले सेवानिवृति लेने वाले आइएएस अभय सिंह यादव फिलहाल भाजपा विधायक हैं। पिछले दिनों आईएएस सरवन सिंह भी समय से पहले नौकरी छोड़ चुके हैं।

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सितारोें के आगे आसमां और भी है : विवेक अत्रे

'' अब, नई पारी का समय है। मुझे यह कहते हुए खुशी हाे रही है कि जीवन के अगले दौर में मैं सलाहकार, विचारक, लेखक और मोटिवेटर के रूप में काम करुंगा। मैंने आइएएस की नौकरी से वीआरएस मांगी है और उम्मीद है जीवन के अगले पड़ाव के लिए शुभचितंकों की दुआएं मिलेंगी। इसकी बदौलत मैं आगे लोगों के जीवन काे अधिक सकारात्मक, आनंदमय और रचनात्मक बना सकूंगा।

मैंने अपनी नौकरी के 25 साल बहुत ही आनंदपूर्वक गुजारे और इस दौरान लोगों का प्यार व स्नेह पाया। यह उम्मीद से भी अधिक था। इसके लिए सहयोगियों सहित सभी का आभारी हूं अौर आशा है आगे भी उनका सहयोग और प्यार मिलता रहेगा। श्ािक्षा और निवेश प्राेत्साहन के क्षेत्र में सलाहकार के तौर पर भूमिका सहित समाज के विकास व कल्याण के कार्य के लिए वैचारिक मंच पर अपनी भूमिका में सभी के सहयोग की अपेक्षा है।

युवाओं को प्रेरणा और निगरानी की जरूरत होती है और मेरी यही भूमिका निभाने की योजना है। कहा गया है सितारे के आगे आसमां और भी हैं। ऐसे में निश्चित रूप से यह नई चुनौती का वक्त है।

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