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निजी स्‍कूलों को मान्‍यता देने में घपला, फाइलों पर डायरी नंबर तक नहीं चढ़े दे दी मंजूरी

सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से पता लगा कि फाइल्स अभी डायरी हो रही थीं और स्कूलों को पहले ही मान्यता मिल गई। पढें कैसे हुआ ये गोलमाल ?

By Test1 Test1Edited By: Updated: Thu, 14 Jul 2016 10:14 AM (IST)
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राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के प्राइवेट स्कूलों को मान्यता देने के मानदंड भले ही कठोर किए जा रहे हैैं, लेकिन कई जिलों में मान्यता देने के किसी नियम का अनुपालन नहीं हो रहा है। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी हिसार के कार्यालय में पौने तीन साल के भीतर 24 से अधिक स्कूलों को उनकी मान्यता संबंधी फाइलें डायरी नंबर चढ़ाए बगैर ही मान्यता प्रदान कर दी गई।

हिसार जिले के हांसी के न्यू सुभाष नगर निवासी प्रवीण कुमार द्वारा मांगी गई आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी गई है। प्रवीण ने एक जनवरी 2013 से 30 सितंबर 2015 के बीच मान्यता के लिए आई फाइलों के बारे में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी हिसार के कार्यालय से सूचना मांगी थी। इस अवधि में बलजीत सहरावत जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत थे।

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39 फाइल्स आईं और सभी सही

आरटीआई में मिली जानकारी के मुताबिक पौने तीन साल के भीतर 39 फाइलें मान्यता के लिए आई और सभी का दर्जा सही पाया गया। किसी फाइल पर कोई आब्जेक्शन नहीं हुआ। इनमें से 26 फाइलों के बारे में विभाग के पास ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हुई कि वे मान्यता के लिए किस तारीख को किस डायरी नंबर के तहत पहुंची।

13 स्कूलों को मान्यता देने की प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में

स्कूलों की मान्यता के लिए जिन 13 फाइलों की कार्यालय में विधिवत डायरी हुई है, उनमें से तीन स्कूलों को केवल एक-एक दिन में, दो स्कूलों को तीन-तीन दिन में, एक स्कूल को पांच दिन में, एक स्कूल को 10 दिन में, एक स्कूल को 23 दिन में, एक स्कूल को 29 दिन में, एक स्कूल को 40 दिन में और एक स्कूल को 31 दिन में मान्यता दी गई।

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क्या होता है डायरी नंबर ?

दरअसल, फाइलें जिस टेबल पर पहुंचती हैं वहां डायरी में दर्ज की जाती हैं और उनपर नंबर डाला जाता है। फिर संबंधित अधिकारी उन पर अपनी टिप्पणी दर्ज करता और अपने आगे के अधिकारी को भेज देता है। वहां फाइल को डायरी पर दर्ज किया जाता और टिप्पणी की जाती है।

आरटीआई में हुए चौंकाने वाले खुलासे

आरटीआई में पूछा गया था कि मान्यता के लिए कोई भी फाइल किस टेबल पर कितने दिन तक रह सकती है। इसके जवाब में बताया गया कि प्रथम एंट्री क्लर्क अधिकतम एक सप्ताह तक, दूसरे नंबर पर स्टेनो भी एक सप्ताह तक और तीसरे नंबर पर स्वयं जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी 15 दिन तक रख सकता है।

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पूरी प्रक्रिया एक माह की है, लेकिन किसी को एक दिन में मान्यता मिल जाती है तो किसी को तीन-तीन माह में भी मान्यता नहीं मिल रही है। आरटीआई की सूचना से असंतुष्ट प्रवीण कुमार ने राज्य जन सूचना अधिकारी के पास अपील दायर कर रखी है।

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