हरियाणा में बीफ से बैन हटाने के लिए जनहित याचिका
हरियाणा में बीफ से बैन हटाने के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका के मुताबिक यह संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sat, 06 Aug 2016 04:07 PM (IST)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। प्रदेश सरकार द्वारा गाय के संरक्षण और विकास अधिनियम 2015 को लागू करने के फैसले को चुनौती देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
याची ने दलील दी कि मनपसंद खाना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है और बीफ को बैन करने से इस अधिकार का हनन हो रहा है। ऐसे में हरियाणा सरकार के इस अधिनियम को खारिज किया जाना चाहिए। कोर्ट ने याची से उसकी दलीलों को समर्थन देने वाली जजमेंट पेश करने को कहा है।पढ़ें : सांसद राजकुमार सैनी को हाई कोर्ट से राहत, सम्मन व गैर जमानती वारंट पर राज्य को हो रहा 5 हजार करोड़ का नुकसान
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि हरियाणा सरकार ने 16 मार्च 2015 को काऊ प्रोटेक्शन काऊ कंजर्वेशन और डेवलपमेंट एक्ट 2015 को लागू किया था। इस अधिनियम के तहत बीफ बेचना और इसका इस्तेमाल करना प्रतिबंधित हो गया है। इस प्रतिबंध के कारण राज्य में कई लोग बेरोजगार हो गए हैं और लगभग 5 हजार करोड़ का व्यापार ठप हो गया है।पढ़ें : अंबाला पुलिस कमिश्नरी को लेकर विज और सुरजेवाला ट्विटर पर भिड़े !
बीफ बैन मौलिक अधिकार का उल्लंघन याचिकाकर्ता ने अपनी दलीलों में कहा कि बीफ खाने पर प्रतिबंध लगाना संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। मौलिक अधिकाराों में मनपसंद का खाना भी शामिल है और उसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि मौलिक अधिकारों की व्याख्या अनुच्छेद 21 में है।हरियाणा की ताजा और बड़ी ख़बरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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