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जस्टिस ढींगरा आयोग की रिपाेर्ट पर छिड़ेगा सियासी संग्राम

राबर्ट वाड्रा के जमीन सौदे सहित इस तरह के अन्‍य मामलों की जांच के लिए गठित जस्टिस ढींगरा की रिपोर्ट पर हरियाणा की राजनीति में संग्राम मचना तय है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Thu, 30 Jun 2016 07:12 PM (IST)
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वेब डेस्क, चंडीगढ़। हरियाणा में भूमि सौदों की जांच करने वाले जस्टिस एसएन ढींढसा की रिपोर्ट पर राज्य की राजनीति मेें संग्राम मचना तय है। ढी़ढसा आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी समेत विभिन्न कंपनियों को जमीनों के कामर्शियल लाइसेंस दिए जाने संबंधी मामलों की जांच की है आैर वह अपनी रिपोर्ट कभी भी राज्य सरकार को दे सकता है। आयोग का कार्यकाल बृहस्पतिवार को पूरा हो गया।

वाड्रा और खेमका काे पूछताछ के लिए नहीं बुलाया, हुड्डा को बुलाया तो नहीं गए

रिटायर्ड जस्टिस एसएन ढींगरा ने इन मामलों से जुड़ी करीब 250 फाइलों की पड़ताल की है। इस दौरान आयोग ने 26 अधिकारियों से पूछताछ की, लेकिन पूरी जांच के दौरान रॉबर्ट वाड्रा और इंतकाल रद करने वाले आइएएस डा. अशोक खेमका को नहीं बुलाया। ढींगरा ने कहा कि उन्होंने मामले की जांच के सिलसिले में केवल अधिकारियों को ही समन भेजे थे।

आयोग ने 250 फाइलों की पड़ताल की और 26 अफसरों की पूछताछ

आयोग ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को 21 मार्च को आयोग के सामने पेश होने के लिए कहा था। इस पर हुड्डा की तरफ से वकील जरूर पेश हुए थे। यह माना जा रहा है कि रिपोर्ट में वाड्रा और हुड्डा पर सवाल उठने तय हैं। हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते हुए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट उनके पास ही था।

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दोषी कौन, रिपोर्ट का इंतजार करें : जस्टिस ढींगरा

जस्टिस ढींगरा ने रिपोर्ट में किसी को दोषी ठहराने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इसके लिए रिपोट्र का इंतजार करें। पिछले साल आयोग से ऐसे मामलों में राजस्व के नुकसान से बचाने के लिए सुझाव भी देने को कहा गया था। इस पर ढींगरा ने कहा कि उनकी रिपोर्ट में कुछ सुझाव जोड़े गए हैं।

पढ़ें : ढींगरा आयोग की रिपोर्ट तैयार, हुड्डा के बहाने वाड्रा को घेरने की कोशिश

विधानसभा में रखनी होगी सरकार को रिपोर्ट

जस्टिस ढींगरा की रिपोर्ट का काफी समय से इंतजार किया जा रहा है। यह रिपोर्ट प्रकाश सिंह कमेटी की जाट आरक्षण आंदोलन में अफसरों की भूमिका की जांच रिपोर्ट के तुरंत बाद आ रही है। प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट पर बवाल मच चुका है। चूंकि यह कमेटी थी, इसलिए इसकी रिपोर्ट विधानसभा में नहीं रखी जा सकती। लेकिन, ढींगरा आयोग वैधानिक संस्था है, जिसकी रिपोर्ट सरकार को विधानसभा में रखनी होगी।

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पिछली सरकार से गरमा रहा वाड्रा लैंड डील का मुद्दा

कांग्रेस के पिछले शासनकाल के दौरान वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील पर जबरदस्त सियासत हुई थी। भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बनाकर कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं। अब जस्टिस एसएन ढींगरा की रिपोर्ट आने के बाद फिर सियासत गरमाने के आसार हैैं। सरकार ने शुरू में गुडग़ांव के सेक्टर 83 में वाणिज्यिक कालोनियों के विकास के लिए जारी लाइसेंस की जांच के लिए आयोग बनाया था, लेकिन बाद में गुडग़ांव के चार गांवों सिही, शिकोहपुर, खेड़की दौला और सिकंदरपुर बड़ा में सभी प्रकार की कालोनियों के लिए जारी लाइसेंसों की जांच भी आयोग को सौंप दी। इन गांवों में सेक्टर 78 से 86 तक का एरिया शामिल है।

यह थी वाड्रा-डीएलएफ लैैंड डील

वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील का मुद्दा 2012 में उस समय सुर्खियों में आया था जब वरिष्ठ आइएएस डा. अशोक खेमका ने इस डील को रद कर दिया था। वाड्रा की कंपनी ने 2008 में गुडग़ांव के गांव शिकोहपुर में करीब तीन एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी।

कुछ समय बाद हरियाणा टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट की तरफ से 2.71 एकड़ जमीन पर कमर्शियल कॉलोनी डेवलप करने के लिए कंपनी को लेटर ऑफ इंडेंट (एलओआइ) मिल गया था। साल 2008 में वाड्रा की कंपनी और डीएलएफ के बीच एग्रीमेंट हुआ था। इसके अनुसार वाड्रा की कंपनी की तीन एकड़ जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेचने की डील हुई। इस जमीन की सेल डीड डीएलएफ के पक्ष में साल 2012 में दर्ज हुई थी।

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