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हरियाणा में जाट आंदोलन भड़काने में नहीं रची गई साजिश्‍ा

प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट में 57 पुलिस, 23 प्रशासनिक और 10 फायर अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Wed, 25 May 2016 09:44 AM (IST)
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राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में हुई जातीय हिंसा में अधिकारियों की भूमिका की जांच कर चुकी प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट पर प्रदेश की सियासत में बवाल मचा हुआ है। पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह तो अपनी रिपोर्ट देकर वापस चले गए, लेकिन सरकार के लिए रिपोर्ट सार्वजनिक करना मुश्किल हो गया है।

रिपोर्ट में कई ऐसे पेंच हैं, जिनके उजागर होने पर कई राजनेताओं का बना-बनाया खेल बिगड़ सकता है। प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट में 57 पुलिस, 23 प्रशासनिक और 10 फायर अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं, लेकिन दंगों में किसी तरह की साजिश से इन्कार किया गया है।

पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की यह रिपोर्ट आरएसएस मुख्यालय पहुंच चुकी है। विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला के रिपोर्ट सार्वजनिक करने के दबाव के बीच मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट कर दिया है कि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया है कि हाई कोर्ट ने प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट मांग रखी है। इसलिए इसे सीधे हाई कोर्ट में पेश किया जाएगा।

अगले एक सप्ताह तक रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के कतई आसार नहीं हैं। इसलिए भी रिपोर्ट सार्वजनिक करने से हिचक की जा रही है, क्योंकि दंगों के बाद ¨हसा में विभिन्न राजनीतिक दलों पर षड्यंत्र रचे जाने के आरोप लगाए गए थे। ऐसे में यदि पर्दाफाश हो जाता है कि दंगों में किसी तरह का षड्यंत्र नहीं होने की बात प्रकाश कमेटी मान चुकी है तो सरकार पर राजनीतिक हमले तेज हो सकते हैं।

कमेटी ने एक सांसद को लिया लपेटे में

चंडीगढ़ : पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की रिपोर्ट पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव के हालात पैदा हो गए हैं। भाजपा नेता जहां रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं किए जाने पर बचाव का रास्ता ढूंढने में जुट गए, वहीं विपक्ष ने सरकार पर ताबड़तोड़ हमले बोल दिए हैं। प्रकाश कमेटी ने 80 अफसरों के अलावा सत्तारूढ़ दल के एक सांसद पर अपनी रिपोर्ट में नकारात्मक टिप्पणियां की हैं। रिपोर्ट हालांकि सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन ब्यूरोक्रेसी को दोषी अधिकारियों के नामों की जानकारी हो चुकी है। इन पर कोई अफसर खुल कर फिलहाल बोलने को तैयार नहीं है।

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