शिक्षकों के तबादले फिर अटके, पहले एक जगह जमे टीचरों का होगा सर्वे
हरियाणा में शिक्षकों के तबादले फिलहाल टल गए हैं। हाई कोर्ट ने सरकार की तबादला नीति पर यथास्थिति लागू कर एक जगह पर पांच साल या अधिक समय से जमे शिक्षकों का सर्वे कराने को कहा है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Tue, 19 Jul 2016 08:25 PM (IST)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ। अध्यापकों के तबादले का मामला फिर अटक गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि सरकार पहले सभी स्कूलों का सर्वे करवाकर पता करवाए कि कौन अध्यापक एक स्थान पर पांच वर्ष से ज्यादा कार्यरत हैं। सरकार इसके बाद उन अध्यापकों की सूची वेबसाइट पर डालकर उस सीट को खाली घोषित करें।
हरियाणा की तबादला नीति पर हाईकोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया गौरतलब रहे कि हरियाणा सरकार ने पहले कहा था कि जिन अध्यापकों को एक ही स्कूल में काम करते हुए पांच वर्ष से ज्यादा हो गए हैं, उनका तबादला होगा। सरकार ने उनसे तबादले के आप्शन भी मांग लिए थे। बाद में पांच वर्ष से कम समय से कार्यरत अध्यापकों से भी आप्शन मांग लिए गए।पढ़ें : रामायण काल जैसा पानी में तैरता है ये 40 किलो का पत्थर, जाने कहां मिला...
इसके बाद अंजुबाला, रवि किरण, रविंद्र कुमार सहित कई शिक्षकों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर कर सरकार की ट्रांसफर्र पालिसी को चुनौती दी। जस्टिस राजीव नारायण रैना ने सभी याचिकाओं को एकत्रित कर अपने फैसले में कहा है कि सेकेंडरी एजुकेशन व एेलीमेंटरी ऐजुकेशन के डायरेक्टर सभी स्कूलों का सर्वे कर प्रत्येक अध्यापक के उस स्कूल के कार्यकाल का पता करें।
इसके बाद अंजुबाला, रवि किरण, रविंद्र कुमार सहित कई शिक्षकों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर कर सरकार की ट्रांसफर्र पालिसी को चुनौती दी। जस्टिस राजीव नारायण रैना ने सभी याचिकाओं को एकत्रित कर अपने फैसले में कहा है कि सेकेंडरी एजुकेशन व एेलीमेंटरी ऐजुकेशन के डायरेक्टर सभी स्कूलों का सर्वे कर प्रत्येक अध्यापक के उस स्कूल के कार्यकाल का पता करें।
हाई कोर्ट ने कहा कि यह डाटा एकत्र होने के बाद सरकार के सामने असली तस्वीर आ जाएगी। पांच वर्ष से ज्यादा कार्यरत अध्यापकों की सूची बेवसाइट पर डाली जाए और ऐसे अध्यापकों का पद खाली घोषित किया जाए। भले ही वह अध्यापक वहां निरंतर काम कर रहा हो, लेकिन उस सीट को वेकेंट माना जाए। इसके बाद ही तबादलों के फाइनल आदेश जारी किए जाएं।पढ़ें : पंजाब भाजपा अध्यक्ष सांपला का दावा- सिद्धू अब भी पार्टी में, पत्नी बोलींं- छोड़ चुके हैं भाजपा
हाई कोर्ट ने कहा, उसका प्रयास है कि तबादलों में एकरूपता लाने और किसी के साथ भेदभाव ना हो। जब सार्वजनिक रूप से अध्यापकों के कार्यकाल की सूची जारी हो जाएगी तो प्रत्येक अध्यापक को पता चल जाएगा कि उसका तबादला हो सकता है या नहीं। यह भी देखने में आया है कि कुछ अध्यापक अपने कार्यकाल का रिकॉर्ड दबाने की कोशिश करते हैं। शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर सूचि जारी होने पर इस तरह की गतिविधियों पर भी अंकुश लगेगा। हाई कोर्ट ने कहा कि जब तक शिक्षा विभाग सर्वे करवाकर अध्यापकों के कार्यकाल की सूची विभाग की वेबसाइट पर नहीं डालता, तबादलों पर यथास्थिति बनी रहेगी। सर्वे होने के बाद ही सरकार तबादले कर सकेगी। हाई कोर्अ के इस आदेश से अब तबादलों की प्रक्रिया लंबी हो सकती हैं क्योंकि सर्वे करवाने और लिस्ट बनाने में समय लग सकता है।
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