पीटीआइ पर फिर यू-टर्न, हरियाणा में 1983 शारीरिक शिक्षकों को नौकरी से निकाला गया
दो दिन पहले हरियाणा में 1983 शारीरिक शिक्षकों को फौरी राहत मिली थी। अब इन्हें आनन-फानन में निकाल दिया गया है।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Tue, 02 Jun 2020 11:58 AM (IST)
जेएनएन, चंडीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में वर्ष 2010 में भर्ती हुए 1983 शारीरिक शिक्षकों (पीटीआइ) पर प्रदेश सरकार ने फिर यू-टर्न लिया है। दो दिन पहले जहां मौलिक शिक्षा निदेशक के मौखिक आदेश पर सभी पीटीआइ की बर्खास्तगी रोक दी गई थी, वहीं सोमवार लिखित आदेश पर इन्हें तुरंत प्रभाव से निकाल दिया गया।
कुरुक्षेत्र, कैथल, नारनौल, मेवात सहित विभिन्न स्थानों पर जिला शिक्षा अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में केस हार चुके पीटीआइ को निकालने के आदेश जारी कर दिए। सुप्रीम कोर्ट में केस के फैसले के बाद हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने पीटीआइ की भर्ती के लिए पहले ही नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की हुई है।विगत बृहस्पतिवार को मौलिक शिक्षा निदेशक ने तीन दिन में सभी पीटीआइ को हटाने के निर्देश दिए थे। शुक्रवार को मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर के हस्तक्षेप के बाद पीटीआइ को निकालने की प्रक्रिया रोक दी गई थी। सोमवार को फिर से इन्हें तुरंत प्रभाव से एक दिन में निकालने के आदेश जारी हो गए।
सुप्रीम कोर्ट में लटकी पुनर्विचार याचिकानौकरी बचाने के लिए पीटीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाने के लिए एक करोड़ दस लाख रुपये में वकील किया है। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील एपी सिंह और अनिल भान यह केस लड़ेंगे। एपी सिंह ने निर्भया कांड के दोषियों को बचाने के लिए भी केस लड़ा था, लेकिन हार गए। बताया जाता है कि वकीलों को पीटीआइ ने केवल आधी फीस चुकाई है, जिसके चलते पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं हो पाई। पूरी फीस चुकाने के बाद ही मामला आगे बढ़ेगा।
हाई कोर्ट में सुनवाई कलहरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य प्रधान सीएन भारती ने आनन-फानन में की गई इस कार्रवाई की निंदा की है। उन्होंने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सरकार को पांच महीने का अतिरिक्त समय दिया था। सीएन भारती ने कहा है कि हाई कोर्ट में इस केस की सुनवाई के लिए तीन जून की डेट लगी है। उसके बाद अध्यापक संघ आगे की रणनीति तय करेगा।
सर्व कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान सुभाष लांबा ने कहा कि अखिल भारतीय स्तर पर प्रस्तावित 4 जून के विरोध-प्रदर्शनों में इस मुद्दे को भी उठाया जाएगा। उन्होंने कहा सेवा नियमों के तहत स्थाई कर्मचारी को नौकरी से निकालने से पहले न्यूनतम तीन मास का शोकॉज नोटिस दिया जाता है अथवा तीन मास का अग्रिम वेतन देने का प्रावधान है। इस नियम की भी अनदेखी कर दी गई।
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