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माता मनसा देवी मंदिर में सोने के सिक्‍के बेचने की होगी विजिलेंस जांच

माता मनस देवी मंदिर में माता की तस्‍वीर वाले साेने के सिक्‍के बेचने के मामले की जांच विजिलेंस करेगी। इसके साथ ही मंदिर में शुल्‍क लेकर दर्शन के प्रस्‍ताव को खारिज कर दिया गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sat, 09 Jul 2016 12:27 PM (IST)
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जेएनएन, चंडीगढ़। उत्तर भारत के महत्वपूर्ण आस्था स्थल श्री माता मनसा देवी मंदिर में सोने के सिक्के बेचने के मामले की जांच विजिलेंस करेगा। इसके साथ ही माता के दर्शनों के लिए शुल्क तय करने का प्रस्ताव खारिज हो गया है।

शुल्क लेकर वीआइपी दर्शन का प्रस्ताव श्राइन बोर्ड की बैठक में खारिज

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वीआइपी दर्शनों के लिए शुल्क संबंधी प्रस्ताव आते ही उसे खारिज कर दिया। अब श्रद्धालु सामान्य तरीके से लाइन में लगकर दर्शन कर सकेंगे और अमीर-गरीब का कोई भेद नहीं रहेगा। श्री माता मनसा देवी मंदिर पूजा स्थल बोर्ड की पंचकूला में हुई बैठक में माता की फोटो वाले सोने के सिक्के बेचने की जांच पूरी नहीं होने का मामला भी उठा। मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लेते हुए विजिलेंस जांच के आदेश दिए और जल्दी रिपोर्ट सौंपने को कहा। पिछली सरकार में माता मनसा देवी की फोटो वाले सोने के सिक्के बनवाए गए थे। सोना महंगा हुआ तो ये सिक्के बेच दिए गए।

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बैठक में वीआइपी दर्शनों के लिए 1100 रुपये का शुल्क लगाने का प्रस्ताव पेश हुआ। यदि कोई श्रद्धालु लाइन से अलग हटकर मंदिर के बाहर तक पहुंचकर दर्शन करना चाहेगा तो उसके लिए 100 रुपये और मंदिर के भीतर तक पहुंचकर दर्शन करने के लिए 1100 रुपये के शुल्क के प्रस्ताव थे।

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इन दोनों प्रस्तावों का व्यापक विरोध हो रहा था। बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने जब यह एजेंडा आया तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया है। स्थानीय निकाय मंत्री तथा वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि मंदिर में पुरानी पंरपरा कायम रहेगी। बोर्ड के कुछ सदस्य इस पक्ष में थे कि शुल्क लेकर पहले दर्शन कराए जाएं, लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा इस एजेंडे को नकार दिए जाने के बाद उन्होंने चुप्पी साध ली।

धर्मशाला को नहीं दिया जाएगा शादी ब्याह के लिए

मंदिर के बाहर स्थित लक्ष्मी भवन धर्मशाला को शादी ब्याह के देने का प्रस्ताव भी बोर्ड में बैठक में मुख्यमंत्री तथा मंत्री द्वारा नकार दिया गया। बैठक में कालका मंदिर की पार्किंग के लिए जमीन अधिग्रहण करने का प्रस्ताव भी पास नहीं हो सका। कुछ लोग कोशिश कर रहे थे कि मंदिर के आगे की जमीन जो कि तलहटी में पड़ती है, उसका अधिग्रहण कर पार्किंग बनवा दी जाए, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी इस बात के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि जमीन काफी नीचे जाकर थी और उस जमीन को समतल बनाने में ही काफी पैसा खर्च होना था।

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