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जाट आंदोलन में उपद्रव मचाने वालों को क्यों बचा रही सरकार : हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने फरवरी में जाट आंदोलन के दौरान हिंसा में शामिल उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई न करने को गंभीरता से लिया है। हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को इसके लिए कड़ी फटकार लगाई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sun, 24 Jul 2016 01:10 PM (IST)
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जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। प्रदेश में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान उपद्रव मचाने वालों पर कार्रवाई में कोताही बरतने पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कड़ा रूख दिखाया है। शनिवार को राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर सरकार क्यों उपद्रवियों का सुरक्षा कवच बन रही है। इसके लिए वोट बैंक जिम्मेदार है या फिर राजनीतिक दबाव के चलते ऐसा किया जा रहा है।

कहा- प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट पर लिए गए एक्शन की चैप्टर वाइज रिपोर्ट तैयार कर सौंपे सरकार

हाई कोर्ट ने प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट पर चैप्टर वाइज जवाब दाखिल करने के निर्देशों के साथ ही राज्य सरकार को न्यायिक अधिकारियों द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। इसमें हरियाणा सरकार को बताना होगा कि उन्होंने इस रिपोर्ट पर क्या एक्शन लिया है। वहीं आंदोलन के दौरान शीर्ष नेतृत्व के फेल होने पर भी टिप्पणी करते हुए हाई कोर्ट ने पूछा है कि गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने पुलिस को क्या निर्देश दिए।

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मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में झज्जर, रोहतक, पानीपत, सोनीपत, गोहाना, गुडग़ांव सहित अन्य स्थानों से आई रिपोर्ट में पुलिस द्वारा आंदोलन के दौरान उपद्रव मचाने वालों पर की गई कार्रवाई को ही सवालों के घेरे में लिया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि पुलिस इस मामले में दबाव में काम कर रही है। साथ ही यह भी कहा कि आंदोलन के दौरान पुलिस स्थिति पर काबू पाने में नाकाम रही थी और अब जांच करने की प्रक्रिया भी सही नहीं है। इस पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा।

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सरकार की ओर से मौजूद काउंसिल ने कहा कि उन्हें बाकी जिलों की रिपोर्ट नहीं मिली है। हाई कोर्ट ने इस पर सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि कोर्ट मित्र के पास रिपोर्ट है, कोर्ट के पास रिपोर्ट है, बावजूद इसके एजी ऑफिस हरियाणा के पास यह रिपोर्ट क्यों नहीं है।

कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि एक ओर सरकार इस मामले में कार्रवाई करने की इच्छा नहीं रखती है और वहीं एजी ऑफिस को इन मामलों की सुनवाई में दिलचस्पी नहीं है। हरियाणा सरकार ने कहा कि ऐसा नहीं है और उन्हें कुछ समय दिया जाए तो वे इन रिपोर्ट पर अपना जवाब दाखिल कर देंगे।

प्रदेश की दुर्दशा के लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार : कोर्ट मित्र

सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य के मुखिया हैं और गृह विभाग भी उनके पास है। जिस प्रकार उनके वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के घर को जलाया गया और उनके परिवार को बार-बार फोन करने पर भी मदद नहीं मिल पाई यह स्थिति बहुत भयावह थी। गुप्ता ने कहा कि हरियाणा की जो भी दुर्दशा हुई है उसके लिए वे मुख्यमंत्री को जिम्मेदार मानते हैं।

सीबीआइ को सौंपी जाए जांच

कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने रोहतक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वहां 1199 मामले दर्ज किए गए थे और अभी तक केवल 22 मामलों में ही चालान पेश किया गया है। इसी से पुलिस के गंभीर रवैये का पता लग जाता है। यदि जांच सीबीआइ को सौंपी गई तो शायद ही कोई पुलिस अधिकारी बचे जिसकी वर्दी पर दाग न हो।

स्वतंत्र भारत में पहली बार दिखी ऐसी स्थिति

कोर्ट मित्र ने कहा कि आंदोलन के दौरान जिस प्रकार पुलिस थानों में हथियारों की लूट की गई, ऐसा स्वतंत्र भारत के किसी भी हिस्से में नहीं हुआ। यह अपनी तरह का एक और इतिहास बन गया है। हैरत की बात तो यह है कि पुलिस एक व्यक्ति की भी गिरफ्तारी नहीं कर पाई है। हाई कोर्ट ने इस पर हरियाणा सरकार से पूछा कि जब आंदोलन चल रहा था तो क्यों शीर्ष नेतृत्व चुप चाप बैठा था।

भीड़ को देखकर पुलिस ऐसे भागी जैसे भूत देख लिया हो

कोर्ट मित्र ने कहा कि सेना और पुलिस की मौजूदगी होने के बावजूद भी भीड़ बड़ी तेजी से हावी हुई और वीडियो यह दर्शाती हैं कि प्रदर्शनकारी हाथों में पत्थर और लाठियां लिए पुलिस और फौज की ओर भाग रहे थे। वहीं पुलिस व फौज उन्हें देखकर ऐसे भाग रही थी जैसे कोई भूत देख लिया हो।

कार्रवाई से क्यों बच रही है सरकार

हाईकोर्ट ने कहा कि आखिर ऐसे क्या कारण है कि सरकार उपद्रवियों पर कार्रवाई करने से बच रही है। इस दौरान कोर्ट मित्र ने कहा कि आंदोलन के दौरान सेना भी मौजूद थी और पुलिस भी, लेकिन उन्हें कार्रवाई करने के आदेश ही जारी नहीं किए गए। आदेश न मिलने के चलते सेना और पुलिस दोनों लकवे की स्थिति में आ गए थे।

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