World Women`s Day Special: हरियाणा के इस गांव में घूंघट की ओट छोड़ी और लिख दी नई इबारत
World Women`s Day Special हरियाणा में महिलाएं घूंघट में चौपाल पर बैठती थीं और एक-दूसरे से बात करती थीं... लेकिन अब धीरे-धीरे माहौल बदलने लगा है। सर्वखाप महिला पंचायत ने घूंघट प्रथा अंत की पहल की जिसका असर दिखने लगा है।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sun, 07 Mar 2021 01:24 PM (IST)
पानीपत [सोनू थुआ]। हरियाणा के कुरुक्षेत्र के गांव पिपली की महिलाओं ने घूंघट को अब अलविदा कह दिया है। सर्वखाप महिला पंचायत की पहल ने अब पूरे देश में असर दिखाना शुरू कर दिया है। जानिये किस तरह डा. संतोष दहिया ने महिलाओं को जागरूक किया, कैसी कैसी दिक्कतें आईं। कुरुक्षेत्र का गांव पीपली। घूंघट की ओट से ही एक-दूसरे को देखती और धीमी आवाज में बात करती चौपाल में बैठीं महिलाएं। तभी एक आवाज उठी, ताई। आप क्यों नहीं समझाती अपनी बहुओं ने। घूंघट काढ़न (निकालने) की क्या जरूरत है। अब तो दुनिया घनी (बहुत) तरक्की कर गई...।
- कै बताऊं बेटी। हाम तो ऊंची आवाज में बोल भी न सके हैं, घूंघट तो काढ़ना पड़े है। (क्या बताऊं बेटी। हम तो ऊंची आवाज में बोल भी नहीं सकते, घूंघट तक निकालना पड़ता है।)- एक बात बता ताई... थारी पोती कल नै कल्पना चावला बनना चाहेगी तो क्या घूंघट ओढ़कर चांद से धरती नै देखेगी। (एक बात बताओ ताई... तुम्हरी पोती यदि कल कल्पना चावला बनना चाहेगी तो क्या घूंघट ओढ़कर चांद से धरती को देखेगी।) इस बात पर महिलाएं ठहाका लगाकर हंसने लगीं...। बात गहरी थी। दिल में उतर गई। उस दिन की चौपाल ऐसा बदलाव लाई कि 31 महिलाओं ने घूंघट को त्याग दिया। हरियाणा के इस गांव की नई तस्वीर गढ़ी है सर्वखाप महिला महापंचायत ने। आप चौक गए होंगे। खाप महापंचायत। नाम सुनते ही जहन में आता होगा पुरुषों का ही वर्चस्व।
जाहिर है, महिलाओं के मुद्दे तो गौण रहते ही होंगे। श्रीमद्भगवद्गीता गीता की धरा कुरुक्षेत्र से हुई एक पहल देशभर में खाप पंचायतों की एक नई सुबह लेकर आई है। महिलाओं ने अपनी सर्वखाप महिला महापंचायत बना ली है। हरियाणा से आगे निकलकर उत्तराखंड और झारखंड में संगठन खड़ा कर दिया है। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में जिलास्तरीय टीम बन गई है। जिस तरह पीपली को पर्दा से मुक्त कराया है, ठीक उसी तरह 20 और गांव आजाद हुए हैं। शराब बंद कराई जा रही है। बेटियों को शिक्षित कर रहे हैं। सर्वखाप महिला पंचायत का गठन वर्ष 2010 में डा. संतोष दहिया ने किया। शारीरिक शिक्षा की प्रोफेसर डा. संतोष कहती हैं कि म्हारा बाणा, पर्दा मुक्त हरियाणा यानी हमारा पहनावा घूंघट मुक्त हो।
अब कोई झिझक नहीं कैथल का गांव है मानस। यहां दो पंचायतें हैं। दोनों में ही महिला सरपंच है। एक में रूपेश और दूसरी में मुकेश। दसवीं पास रूपेश जब सरपंच बनीं तो काम उनके पति संभालते। रूपेश का परिवार भी पंचायत के कामों में सक्रिय रहता। इसी गांव में सर्वखाप महिला पंचायत हुई। चौपाल में रूपेश को जब मंच पर बुलाया तो आत्मविश्वास से अपनी बात नहीं रख सकीं। कई दिन तक इन दोनों पंचायतों में चौपाल लगती रहीं। रूपेश के पति अब कहते हैं, पत्नी सब सीख गई है। वह अब ठेकेदारी के काम से बाहर रहते हैं तो पंचायत की कोई चिंता नहीं रहती। रूपेश कहती हैं, सर्वखाप पंचायत की वजह से उनके साथ गांव का माहौल भी बदला है।
मानस पट्टी की सरपंच मुकेश देवी ने बताया कि वर्ष 2017 में गांव में प्रदेश की पहली महिला खाप पंचायत हुई। इस महापंचायत में कई ऐसे मुद्दे निकलकर सामने आए थे जो चिंतनीय थे। महिलाओं के साथ अभियान चलाते हुए काफी हद तक शराब पर रोक लगाई। अब बेटियों के लिए स्टेडियम बनवाने के लिए प्रयासरत हैं। पीपली की किट्टी कहती हैं, पहले पर्दे में रहती थीं। महिलाओं की पंचायत हुई। तब से ही परिवार के लोगों ने खुद आगे आकर उनको पर्दा प्रथा से बाहर निकाला। इसी तरह सुनीता देवी व रानी ने बताया, घूंघट के कारण अपनी बात भी नहीं कह पाती थीं। अब कोई झिझक नहीं।
दूर कर दी गांव की गंदगीकुरुक्षेत्र के गांव खानपुर कोलिया में अवैध शराब यहां बिकती थी। महिलाओं की शिकायत पर पुलिस आती, जांच पड़ताल होती। मगर उन्हें उन्हें कुछ नहीं मिलता। तब महिला सर्वखाप महापंचायत आगे आई। शराब बेचने वालों के घरों के बेड से बोतलें निकलवाईं। पराली से बेटियां बरामद कराईं।
इस खाप पंचायत में हर जाति, धर्म की महिलाकरनाल शहर में दलजीत संधू, करनाल ग्रामीण में सविता गुप्ता, यमुनानगर में अनुरोधा शर्मा, कुरुक्षेत्र में विजय भारती (एससी), थानेसर में कुसुम दलाल, पूंडरी में रोड़ ममता चौधरी, पानीपत शहर में सुदेश शर्मा को खाप की कमान सौंपी गई है। महिला सर्वखाप पंचायत में अब तक दो हजार महिलाएं जुड़ चुकी हैं। पानीपत में मुस्लिम महिलाएं भी सदस्य हैं। हर जाति, हर धर्म की महिला को जोड़ा है।
हिसार का मुजादपुर गोद लिया, लिंगानुपात बढ़ायावर्ष 2014 में हरियाणा के हिसार के गांव मुजादपुर को इस खाप पंचायत ने गोद लिया। तब यहां लिंगानुपात महज 273 था। प्रेरणानात्मक अभियान चलाए। अब यहां लिंगानुपात 750 है।चुनाव में बनाई थी मूसल-बेलन ब्रिगेड
लोकसभा चुनाव के वक्त सर्वखाप महिला महापंचायत ने एक और पहल की। महिलाओं की मूसल-बेलन ब्रिगेड बनाई। गांवों में पंचायतें की। साफ कहा गया कि कोई भी नेता शराब और पैसे देकर वोट खरीदने की कोशिश न करे। अगर ऐसा किया तो महिलाओं के हाथ में मूसल और बेलन भी है। इससे पिटाई हो सकती है।कुछ केस से जानिये, इस पंचायत ने कैसे किए काम
1- जब इंस्पेक्टर बनकर फोन कियाकुरुक्षेत्र की बेटी की शादी रोहतक में हुई थी। ससुराल वालों ने उसे रात को घर से निकाल दिया। सिर में कूकर मारा। तब संतोष दहिया ने ससुराल वालों को फोन करके कहा कि वह इंस्पेक्टर बोल रही हैं। उनके घर पहुंच रही हैं। एफआइआर दर्ज होगी। यह सुनते ही ससुराल वाले बहू को घर के अंदर लाए। कुछ दिन बाद पंचायत हुई। अब परिवार वाले प्रताड़ित नहीं करते।
2- प्रिंसिपल को पीटते, काम करवाते थे, उन्हें बचायाएक ऐसा भी दुखद मामला सामने आया, जिसमें ससुराल वाले अपनी प्रिंसिपल बहू तक को पीटते थे। स्कूल से पढ़ाकर प्रिंसिपल बहू घर आती तो उससे सारा काम कराते। उनकी एक धर्मशाला थी। वहां पर झाड़ू लगवाते। मना करने पर पीटते। सर्वखाप महिला पंचायत को जब पता चला तो इसी मामले पर महिलाओं की पंचायत बुला ली। ससुराल वालों से कहा, इस बहू की वजह से आपका मकान बना। बच्चे पढ़ रहे हैं। उसका ही आप सम्मान नहीं करते। प्रिंसिपल बहू को जब समाज का साथ मिला तो अपनी अलग राह चुन ली।
तलाक के सौ केस सुलझा चुकींप्रदेश के विभिन्न जिलों में 100 के करीब तलाक के केस महिलाओं द्वारा सुलझाए जा चुके हैं। डा.संतोष दहिया ने बताया कि इसके लिए महिलाओं को कोर्ट कचहरी जाने की आवश्यकता नहीं हुई।लाकडाउन में फोन पर लगाई पंचायत, दो बेटियों को बचायामहिला खाप पंचायत के फोन पर वाट्सएप ग्रुप बने हुए हैं। झज्जर की एक बेटी कोलकाता में थी। उसे कोरोना हो गया।उसकी तबीयत खराब हो गई। कोई उसे अस्पताल नहीं लेकर जा रहा था। तब कोलकाता में ही उनकी टीम की सदस्य आगे आईं। बेटी को अस्पताल पहुंचाया। इसी तरह मुंबई से एक बेटी को इमरजेंसी में रोहतक आना था। उसके लिए गाड़ी का इंतजाम कराया।पुरुषों को भी महिला खाप ने न्याय दिलायाइस खाप पंचायत ने पुरुषों को भी न्याय दिलाने का काम किया है। कुरुक्षेत्र में एक बुजुर्ग दहेज के मामले में जेल में थे। उस बुजुर्ग ने संतोष दहिया से कहा, वह अब जीना नहीं चाहते। उनकी बहू ने उन्हें गलत फंसा दिया है। तब संतोष दहिया और उनकी टीम ने अपनी तरफ से जांच की। जब यह संतुष्टि हो गई कि बुजुर्ग सही हैं तो उनके पक्ष में शपथ पत्र दिया। उनकी बहू को नोटिस भिजवाया। तब जाकर बुजुर्ग जेल से बाहर आए।अब महिलाओं को एक बाजार देने की मुहिममहिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है। महिलाएं अचार, मुरब्बा से लेकर कई बेहतरीन उत्पाद बना सकती हैं। कुरुक्षेत्र में महिला हब नाम से बाजार बनाने की तैयारी है। इसके साथ ही आनलाइन प्लेटफार्म पर भी इन्हें जोड़ेंगे।महिलाओं का आश्रम होगासर्वखाप महिला महापंचायत महिलाओं के लिए आश्रम बनाने जा रही है। इसमें विधवा व वृद्ध महिलाओं को आश्रय दिया जा सकेगा। साथ ही अनाथ बच्चों को पढ़ाएंगे।हर महीने किसी न किसी जिले में महापंचायतहर माह प्रदेशभर के किसी न किसी जिले में सर्व खाप पंचायत महिलाओं की बैठक होती है। इसमें गांवों की समस्या को सुना जाता है।दो घटनाएं बनीं सामाजिक बदलाव की नींवझज्जर के डीघल गांव में जन्मीं संतोष दहिया बताती हैं, वह सातवीं क्लास में थीं। पड़ोस में ही शराब पीकर एक पति अपनी पत्नी को पीट रहा था। गली में किसी ने उसके हाथ से डंडा नहीं छीना। एकाएक वह दौड़कर गईं और डंडा छीन लिया। उसे मारकर भाग गई। तब उसकी मां ने उसका बचाव किया। मां ने कहा, सही किया बेटी। जब तक बच्चियां खुद नहीं उठेंगी, कोई उनके लिए न्याय के लिए आगे नहीं आएगा।एक और घटना ने काफी झकझोरा था। उन्हें हरियाणा की बेस्ट वालीबाल खिलाड़ी का खिताब मिला। तब हरियाणा के मुख्यमंत्री देवीलाल ने उन्हें दो सौ रुपये इनाम दिए। तब एक लड़का भी वालीबाल का श्रेष्ठ खिलाड़ी बना था। उसे पांच सौ रुपये दिए गए। उन्हें जब किसी ने बधाई दी तो कह दिया कि ऐसी बधाई का क्या फायदा, जब इनाम में भेदभाव होता है। यह बात देवीलाल तक पहुंची। उन्होंने उसी समय संगठन के लोगों को बुलाया। कहा कि रूढ़ीवादी समाज से एक बेटी आगे निकली है, तब भी आप इनाम देने में भेदभाव करते हो। देवीलाल ने उन्हें पांच सौ रुपये दिए और साथ में खाना खिलाया। तब से भी ठाना था कि महिलाओं के लिए वह कुछ न कुछ करेंगी।इनके बारे में जानियेपचास वर्षीय संतोष दहिया के दो भाई, तीन बहनें हैं। वालीबाल की खिलाड़ी रहीं। आठ बार राष्ट्रीयस्तर पर खेलीं। प्रदेश की श्रेष्ठ तैराक रहीं। कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में शारीरिक शिक्षा विभाग की अध्यक्ष हैं। इसी विषय में पीएचडी की है। पति बिजेंद्र यूनिवर्सिटी में एसडीओ हैं। बेटी सुगंधा डाक्टर और बेटा शुभम मेडिसिन क्षेत्र में है। बचपन में जब खेलती थी, तब दादी टोकती थी। कहती थीं, बेटी को चूल्हा संभालना सिखाओ। पर फौजी पिता कहते थे, बेटी तो पढ़ेगी। खेलेगी भी। संतोष दहिया को 22 जनवरी 2016 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सशक्त महिला अवार्ड से सम्मानित किया था। कहती हैं कि राजनीति में आना चाहती हैं, क्योंकि इसी माध्यम से महिलाओं का उत्थान और ज्यादा किया जा सकता है।
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- 65 हजार हस्ताक्षर करा चुकी हैं, कन्या भ्रूण हत्या नहीं होने के लिए
- 1.50 लाख लोगों को महिला सम्मान की शपथ दिलाई
- 20 पंचायत अब तक आनर किलिंग के खिलाफ हो चुकी हैं
- 100 के करीब तलाक के मामले सुझलाए जा चुके हैं। हरियाणा के विभिन्न जिलों में हुए इन समझौतों में कोर्ट जाने की जरूरत नहीं हुई।
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