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रिश्वत न देने पर चालान, चालक ने बनाई वीडियो

गाड़ी क पूरे कागज दिखाने के बाद जब ट्रैफिक पुलिस कर्मी ने रिश्वत मांगी तो गाड़ी मालिक ने पुलिस की वीडियो बना दी। अब ट्रैफिक पुलिस कटघरे में है।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sun, 17 Jul 2016 10:18 AM (IST)
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जागरण संवाददाता, पानीपत : यमुना नाका पुलिस ने 500 रुपये की रिश्वत नहीं देने पर पिकअप चालक का चालान कर दिया, जबकि चालक के पास सभी कागजात थे। इस दौरान वाहन के चालक व मालिक को धमकाया गया कि उसे शराब व अफीम के झूठे केस में फंसा देंगे। इसके बाद चालक ने पुलिसकर्मियों को रिश्वत दी और गाड़ी मालिक ने चुपके से वीडियो फिल्म बना ली। इस मामले में एसपी राजेश दुग्गल ने कहा कि आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि पहले भी रिश्वत के मामले में आठ पुलिसकर्मी सस्पेंड किए गए थे।

घटना 11 जुलाई की है। महेंद्रगढ़ के गांव खारीवाड़ा निवासी रविदत्त पुत्र हरिकेश शर्मा ने एसपी, आइजी व डीजीपी को लिखे शिकायत पत्र में बताया कि वह उत्तर प्रदेश के कांधला से अपनी पिकअप गाड़ी में आम व सब्जी लेकर महेंद्रगढ़ आ रहा था। यमुना पुल सनौली खुर्द नाके पर तैनात एएसआइ सतेंद्र सिंह व चार अन्य पुलिसकर्मियों ने गाड़ी को रुकवा लिया और 500 रुपये की रिश्वत मांगी।

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उसने रिश्वत देने से मना किया तो उक्त पुलिस कर्मियों ने धमकी दी कि वे गाड़ी में शराब व अफीम रखवा कर उसे जेल भिजवा देंगे। फिर जिंदगी भर जेल में सड़ेगा। इसके बाद कागजात पूरे होने के बावजूद उसका चालान कर दिया। इसकी सूचना उसने गाड़ी मालिक सुभाष को दी। 12 जुलाई को सुभाष नाके पर पहुंचा और उसने पुलिसकर्मियों से चालान किए जाने का कारण पूछा।

आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उसके साथ बदतमीजी की और झूठे केस में फंसाने की धमकी दी। इसके बाद सुभाष और रविदत्त ने भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को बेनकाब करने की ठान ली। रविदत्त से पुलिसकर्मी ने जैसे ही 500 रुपये की रिश्वत ली तभी सुभाष ने उसकी मोबाइल से वीडियो बना ली। इसके बाद 13 जुलाई को एसपी, आइजी व डीजीपी को शिकायत भेजी।

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मलाईदार है यमुना नाका

यमुना नाका मलाईदार नाका माना जाता है। यहां पर ड्यूटी लगवाने के लिए मंत्री से लेकर विधायक तक की सिफारिश लगवाई जाती है। तत्कालीन एसपी राहुल शर्मा ने नाके पर बनी चौकी को खत्म कर दिया था और रोजाना ड्यूटी में फेरबदल करने की सख्त हिदायत संबंधित थाना सदर प्रभारी को को दी थी। इसके बावजूद पुलिसकर्मियों की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं आया है।

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