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ठंडे बस्ते से बाहर आई रेवाड़ी-पलवल रेल परियोजना

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी : राज्य सरकार की पहल पर रेवाड़ी-धारूहेड़ा-पलवल रेल परियोजना ठंडे बस्ते से बाह

By Edited By: Updated: Sun, 01 Feb 2015 01:00 AM (IST)
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महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी : राज्य सरकार की पहल पर रेवाड़ी-धारूहेड़ा-पलवल रेल परियोजना ठंडे बस्ते से बाहर आ गई है। मनोहर सरकार ने कुछ दिन पूर्व ही उन आठ रेल परियोजनाओं को सिरे चढ़ाने का निर्णय लिया है जो लंबे समय से अटकी हुई थी। इन्हीं आठ परियोजनाओं में रेवाड़ी से पलवल का रूट शामिल है। सरकार की पहल से अब हरियाणा के धारूहेड़ा तथा राजस्थान के भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्रों के रेलमार्ग से जुड़ने की फिर से उम्मीद बंध गई है।

राज्य सरकार बनाएगी एक कंपनी

लंबित रेल परियोजनाएं पूरा करने के फैसले से क्षेत्र के लोग खुश हैं। रेलवे से संबंधित आधारभूत संरचनाओं को सिरे चढ़ाने के लिए राज्य सरकार एक कंपनी बनाने जा रही है। ये कंपनी ही सात अन्य रेल परियोजनाओं के साथ रेवाड़ी-पलवल के बीच धारूहेड़ा तथा भिवाड़ी के रास्ते प्रस्तावित रेल मार्ग को विकसित करेगी। इस बात की प्रबल संभावना है कि आने वाले बजट में इस बहुप्रतीक्षित परियोजना के लिए सार्थक कदम उठाया जाएगा। ये कदम डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तक भी सीमित रह सकता है और इससे आगे भी बढ़ सकता है, लेकिन सरकार द्वारा लिये गये कंपनी बनाकर लंबित रेल परियोजनाएं पूरा करने के फैसले से क्षेत्र के लोगों की उम्मीद बंध गई है।

तीन दशक पहले हुआ था सर्वे

रेवाड़ी-पलवल रेल मार्ग बिछाने की मांग काफी पुरानी है। तीन दशक से भी अधिक समय पहले रेलवे ने इस परियोजना को सिरे चढ़ाने की पहल की थी। उस समय सर्वे करवाकर जमीन में निशानदेही कर दी गई थी। आज निशानदेही के पत्थरों का अस्तित्व खत्म हो चुका है और उन स्थानों पर कालोनियां विकसित हो चुकी हैं। रेलवे ने राजनीतिक कारणों से सर्वे के बाद इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। वैसे ये परियोजना रोहतक-रेवाड़ी-पलवल तक के लिए थी। रेवाड़ी-रोहतक का रेल मार्ग तो तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रयासों से राज्य सरकार द्वारा दिये गये आधे बजट से पूरा कर दिया गया था, लेकिन राव इंद्रजीत सिंह की मांग के बावजूद पलवल रूट की ओर न हुड्डा की नजरें इनायत हुई, न ही यूपीए सरकार के रेल मंत्रियों ने ही इस परियोजना में रुचि दिखाई।

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औद्योगिक विस्तार में आएगी तेजी

तीन दशक से भी अधिक समय से अधर में लटकी रेवाड़ी-पलवल रेल परियोजना के पूरा होने पर धारूहेड़ा तथा भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्रों के विकास व विस्तार में तेजी आएगी। एनसीआर में शामिल दोनों औद्योगिक क्षेत्र रेल सेवाओं से वंचित है। रेलमार्ग की मांग भी उद्यमियों की ओर से उठती रही है।

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देश में सबसे आगे होगा रेवाड़ी

पलवल रेलमार्ग के बनने के बाद रेवाड़ी जंक्शन रेल साइडिंग (स्टेशन से निकलने वाली पटरियों की संख्या) के मामले में पूरे देश में पहले स्थान पर होगा। अभी ये स्टेशन उत्तर-पश्चिम जोन में सबसे आगे है तथा इस समय यहां से छह दिशाओं में रेलगाड़ियां चल रही हैं। पलवल रूट बनने के बाद सात दिशाओं में ट्रेन संचालित होने वाला रेवाड़ी पूरे देश में पहला जं. होगा। मीटर गेज के जमाने में दो दशक पूर्व रेवाड़ी जं. को एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा जंक्शन होने का गौरव हासिल था।

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मास्टर प्लान में शामिल है परियोजना

रेवाड़ी-पलवल रेल परियोजना को रेवाड़ी के मास्टर प्लान-2031 में शामिल किया हुआ है। हमने इसका रूट निर्धारित किया हुआ है। रेवाड़ी से दिल्ली की ओर जाने वाली रेल लाइन के साथ झज्जर रोड़ पर बने आरओबी से कुछ मीटर आगे चलकर प्रस्तावित लाइन धारूहेड़ा की ओर जायेगी।

-नरेश कुमार, जिला नगर योजनाकार, रेवाड़ी।

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