ठंड में ठिठुरने को मजबूर दैनिक रेल यात्री
दीपक कुमार, रोहतक : उत्तरी भारत में शीतकालीन मौसम के आगमन का असर साफ देखने को मिल रहा है। जहां शहर भर में आमजन को ठंड का असर झेलना पड़ रहा है, वहीं सबसे ज्यादा परेशानी रेल में प्रतिदिन यात्रा करने वाले दैनिक रेल यात्रियों को हो रही है। रेल मंडल की ओर से उचित सुविधाएं मुहैया न करवा पाने के कारण दैनिक रेल यात्री सफर के दौरान इस ठंड में ठिठुरने को मजबूर होना पड़ रहा है।
रेल विभाग की लापरवाही कड़ाके की ठंड में 35 हजार से अधिक रेल मुसाफिरों की सेहत पर भारी पड़ रही है। रोहतक से आसपास के शहरों में जाने वाली अधिकतर पैसेंजर ट्रेन कबाड़ हो चुकी है। तय किराया दिए जाने के बाद भी हजारों यात्रियों को टूटी बोगी, उखड़ी खिड़की व खस्ताहाल सीटों पर बैठकर पैसेंजर ट्रेनों में सफर करना पड़ रहा है। रेल मुसाफिर टूटी खिड़की व दरवाजों से आने वाली ठंडी हवाओं के थपेड़े झेल कर रोजना यात्रा कर अपनी जान जोखिम में डाल रहे है, लेकिन रेल मंत्रालय को बार-बार लिखे जाने के बाद भी दिल्ली रेल मंडल में दौड़ने वाली ट्रेनों की मरम्मत तक नहीं करवाई जा रही है।
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- महिला यात्रियों को होती है अधिक समस्या
कबाड़ा हो चुकी ट्रेनों में सफर करने पर सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को होती है, लेकिन रोजगार के लिए टूटी गाडि़यों यात्रा करना हजारों लोगों के लिए मजबूरी बन चुकी है। दिल्ली रेल मंडल से जुड़े रोहतक जंक्शन से रोजना करीब 35 यात्री गाड़ियों का आवागमन होता है। इनमें से पैसेंजर, एक्सप्रैस व सुपरफास्ट ट्रेन शामिल हैं। एक्सप्रेस गाड़ियों की बजाए अधिकतर यात्री पैसेंजर ट्रेनों में ही यात्रा करते है। एनसीआर से सटे रोहतक रूट से होकर हजारों डेली पैसेंजर यात्री दिल्ली, पानीपत, भिवानी, जींद की ओर यात्रा करते हैं, लेकिन इन यात्रियों पर ठंड आते ही मुसीबत टूट पड़ती है। भिवानी से बाया रोहतक,दिल्ली जाने वाली भिवानी पैसेंजर, डीआरबी, यहां तक की सिरसा एक्सप्रेस ट्रेन की भी बुग्गी खस्ता हाल हो चुकी है। भिवानी पैसेंजर ट्रेन के तो अधिकतर डिब्बों में खिड़कियां टूटी हुई है। ट्रेन में बने शौचालयों के भी दरवाजे सुरक्षित नहीं है। महिला यात्रियों को तो सफर के दौरान खासी परेशानी उठानी पड़ती है,
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- ठंड में भी दरवाजों पर लटक कर जाने को मजबूर यात्री
सवारियों की भीड़ ज्यादा होने व यात्री गाड़ियों में जगह कम होने के कारण सैकड़ों यात्रियों को गाड़ी के दरवाजे पर लटक कर जाना पड़ रहा है। दैनिक रेल यात्रियों की ओर से बार-बार रेलगाड़ी में डिब्बों की संख्या बढ़ाए जाने की मांग के बाद भी उनकी कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में जहां ठंड में इस तरह सफर करने पर यात्रियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है, वहीं यात्रियों को अपनी जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ रहा है।
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- रोजाना यात्रियों की स्थिति
नौकरी पेशा 10000
निजी कारोबार 12000
स्टूडेंट्स 8000
कामकाजी महिला 5000
- रेल मंत्रालय से कई बार लिखा चुका है मांग पत्र
दैनिक रेल यात्रियों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि इस संबंध में रेल मंत्रालय व दिल्ली डीआरएम को कई बार पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन रेल मंत्रालय यात्रियों की अनदेखी कर रहा है। उन्होंने कहा इन गाडि़यों की मरम्मत नहीं की गई या फिर नई बोगियां नहीं लगाई गई तो यात्री संघ रोहतक, दिल्ली व भिवानी रेलवे स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
- नई बोगियां दिए जाने की गई है मांग
स्टेशन अधीक्षक एसएस मीणा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में डीआरएम को प्रस्ताव भेजकर इस रूट पर चलने वाली गाड़ियों में नई बोगियां लगाए जाने की मांग की गई है। उम्मीद है कि जल्द ही नई बोगिया मिल जाएगी।
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