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हरियाली तीज पर डलेंगे झूले, गूंजेंगे सावन के गीत

By Edited By: Updated: Wed, 23 Jul 2014 01:00 AM (IST)
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दीपक कुमार, रोहतक : उत्तर भारत का प्रसिद्ध त्यौहार हरियाली तीज बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन जहां बच्चों व युवाओं में पतंगबाजी की होड़ लगी रहती है, वहीं युवतियां व महिलाएं मेहंदी लगाने के लिए उत्साहित दिखाई देती हैं। हरियाली तीज पर लोग अपने रिश्तेदारों को घेवर व मिठाइयां देकर शुभकामनाएं देते हैं। हरियाणा में इस पर्व का विशेष महत्व है। इस बार यह पर्व 30 जुलाई को है।

यह है पौराणिक महत्व : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज या हरियाली तीज का त्यौहार मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव और पार्वती के पुर्नमिलाप के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। मां पार्वती ने 108 जन्म लिए थे, भगवान शकर को पति के रूप में पाने के लिए। मा पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान ने पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। तभी से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मा पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती हैं। सामाजिक परंपरा को निभाते हुए इस दिन लोग अपने रिश्तेदारों को घेवर व मिठाइयां देकर शुभकामनाएं देते हैं।

कोथली व सिंधारे के रूप में शुभकामनाएं : हरियाली तीज का पर्व बड़े हर्षोल्लास व उत्साह के साथ मनाया जाता है। तीज पर एक महीना पहले ही गांवों व शहरों में पेड़ों पर झूले डाल दिए जाते है और महिलाएं मिलकर झूला झूलती हैं और सावन के गीत गाती हैं। गांवों में लोक गीतों के बोल जैसे पीपी पपीहा बोल्या बाग में, सामण आयो री झूले पड़ गए बागा में, आई री सासु सामण की तीज झूला झूलण जांगी बाग में.. आदि काफी प्रचलित हैं। नव विवाहित व शादीशुदा महिलाओं को उनके मायके व ससुराल से कोथली व सिंधारे के रूप में उपहार मिलते हैं। इनमें मेहंदी, चूड़ियां, कपड़े व घेवर आदि शामिल हैं।

देश में तीन तरह से मनाई जाती है हरियाली तीज : भारत में तीन तरह की तीज मनाई जाती है। पहली हरियाली तीज जो सावन में शुक्ल पक्ष की तृतीया को आती है, जिसमें दूध, दही व फूलों से चांद की पूजा की जाती है। दूसरी कजरी तीज, जो कृष्ण पक्ष की तृतीया को आती है व इसमें नीम की पूजा की जाती है। तीसरी हरतालिका तीज होती है, यह भाद्रपद महीने में मनाई जाती है।

महिलाएं रखती है निर्जला व्रत : महिलाओं का मानना है कि हरियाली तीज पर देवी पार्वती की तीज माता के रूप में पूजा की जाती है व निर्जला व्रत रखकर मां पार्वती का आशीर्वाद लिया जाता है। महिलाएं माता पार्वती से प्रार्थना करती हैं कि शिव व पार्वती ही तरह उनकी जोड़ी भी बनी रहे। इस दिन सब महिलाएं नई दुल्हन की तरह सजकर व आस-पास की सब महिलाएं मिलकर तीज माता की पूजा करती हैं, झूला झूलती हैं और सावन के गीतों पर नाचती हैं।

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