पुस्तकालय अध्यक्ष का भी जिम्मा चिकित्सकों पर
By Edited By: Updated: Thu, 22 Nov 2012 06:20 PM (IST)
संजय कुमार, रोहतक : प्रदेश के सबसे बडे़ एसआइएमएच संस्थान के पुस्तकालय का जिम्मा पुस्कालयाध्यक्ष नहीं बल्कि यहां के चिकित्सकों को ही उठाना पड़ रहा है। हैरानी की बात है कि यहां लाखों रुपये की पुस्तकों को पढ़ने वाले चिकित्सक एवं विद्यार्थी तो मौजूद हैं, लेकिन इनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। पढ़ना-पढ़ाना तो दूर उल्टे इनकी देखरेख का जिम्मा भी चिकित्सकों पर ही मढ़ दिया गया है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की एसआइएमएच शाखा की। राज्य मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (एसआईएमएच) में वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट, साइक्रेटिक सोसयल वर्कर व एमफिल के विद्यार्थियों को पुस्तकालय की जरूरत पड़ती है। यहां के पुस्तकालय में स्वीकृत लिपिक, सहायक व पुस्कालयाध्यक्ष की पोस्ट खाली पड़ी है। इनकी जगह विभाग द्वारा यहीं के चिकित्सकों की नियुक्ति कर काम चलाया जा रहा है। संस्थान के कुछ चिकित्सकों ने बताया कि इस समस्या के चलते अधिकांश समय पुस्कालय बंद रहता है। इसके चलते महज कुछ समय ही पुस्तकें जारी की जाती हैं। वहीं विभाग की मानें तो संस्थान का यह पुस्तकालय अन्य स्थानों से बिल्कुल अलग है, यहां मरीजों व उनके अभिभावकों को छोड़कर हर कोई यह कार्य कर सकता है। गौरतलब है कि, एसआइएमएच के पुस्तकालय में सैकड़ों किताबें व लाखों रुपये के जरनल रखे गए हैं। इन्हें संस्थान के मुख्य पुस्तकालय से चिकित्सकों व एमफिल के विद्यार्थियों की सुविधा के लिए अलग किया गया था। लेकिन इनकी सुरक्षा व रखरखाव का जिम्मा फिलहाल राम भरोसे ही है। चिकित्सक व मरीज परेशान पुस्तकालाध्यक्ष का कार्यभार देखने वाले चिकित्सक के लिए मरीज व पुस्तकालय की जिम्मेदारियां देखना मुसीबत बना हुआ है। इसके चलते कई बार मरीजों को अपनी बारी का भी इंतजार करना पड़ता है। वहीं विभाग की मानें तो संस्थान के इस पुस्तकालय में पीजीआइएमएस के मुख्य पुस्ताकलय से स्टाफ भी आने को तैयार है। लेकिन इस पर प्रशासनिक अधिकारियों को ही कार्रवाई करनी होगी।
सही चल रहा है पुस्तकालय का कार्य : गुप्ता स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के विभागाध्यक्ष कर्नल डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि पुस्तकालय का कार्य सही तरीके से चल रहा है। इसके लिए समय निर्धारित कर दिया गया है। इसके चलते किसी को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
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