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कांग्रेस की गुटबाजी और सीबीआइ के शिकंजे में उलझ न जाएं हुड्डा

हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा विरोधियों व विरोधियों के चक्रव्‍यूह में फंस गए लगते हैं। सीबीआइ छापे से उनकी मुश्किल कितनी बढ़ती है इस पर सभी की निगाहें हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sun, 04 Sep 2016 01:09 PM (IST)

रोहतक, [ओपी वशिष्ठ] । सत्ता से बाहर होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार विरोधियों के निशाने पर रहे हैं। विरोधी दलों के नेता तो उन्हें घेरते ही रहे हैं, कांग्रेस में भी उनके विरोधी नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीबीआइ की ताबड़तोड़ छापेमारी से हुड्डा के जहां तेवर नरम पड़ सकते हैं, वहीं विरोधियों को भी एक बहाना मिल जाएगा। हालांकि, सीबीआइ जांच में अभी तक कुछ सामने नहीं आया है, लेकिन इससे हुड्डा दबाव में हैं।

हुड्डा के हाथ में दस वर्ष प्रदेश की बागडोर रही। उनके मुख्यमंत्री रहते ही कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई थी। कांग्रेस के पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव, कांग्रेस छोड़कर भाजपा में केंद्रीय मंत्री बने चौधरी बीरेंद्र सिह, कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी, राज्यसभा सदस्य कुमारी सैलजा और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर के साथ हुड्डा का छत्तीस का आंकड़ा रहा।

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बावजूद इसके विधानसभा चुनाव में हुड्डा समर्थित लोग ज्यादा विधायक चुने गए, जिसके कारण पार्टी में उनकी ताकत और बढ़ गई। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि विधायक दल की नेता किरण चौधरी को छोड़कर अन्य 14 विधायक हुड्डा के साथ ही हैं। हुड्डा इन्हीं विधायकों के दम पर विधानसभा में सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करते रहे हैं, वहीं कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में भी अपनी ताकत का एहसास कराने का मौका नहीं छोड़ते थे।

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सीबीआइ की छापेमारी के दौरान भी नहीं दिखी एकजुटता

हुड्डा के आवास में जब सीबीआइ की छापेमारी चल रही थी, उस वक्त कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर और विधायक दल की नेता किरण चौधरी रोहतक ही मौजूद थे। शहर में एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट के विरोध में आयोजित प्रदर्शन में शामिल होने के लिए यहां पहुंचे थे।

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हुड्डा के आवास पर सीबीआइ की छोपमारी की सूचना होने के बावजूद डॉ. तंवर ने उनके बचाव में कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी। हां, इतना जरूर कहा कि सीबीआइ जांच से इनकार नहीं है, लेकिन यह राजनीति द्वेष भावना से नहीं होनी चाहिए। कुछ इसी तरह का बयान विधायक दल की नेता किरण चौधरी का रहा।

और भी कई मामले हैं हुड्डा के खिलाफ

भाजपा ने चुनाव से पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में गुडग़ांव में हुए जमीन घोटाले की जांच कराने की बात कही थी। भाजपा की सरकार बनने के बाद पंचकूला औद्योगिक प्लाट आबंटन, नेशनल हेराल्ड को प्लाट देने व गुडग़ांव के मानेसर में जमीन आबंटन मामले में कार्रवाई एक-एक करके आगे बढ़ाई गई।

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इसके बाद वाड्रा लैंड मामले की जांच के लिए जस्टिस ढींगड़ा आयोग का गठन किया और आयोग ने अपनी रिपोर्ट भ्ी राज्य सरकार को सौंप दी है। आयोग की रिपोर्ट में क्या है अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन संकेत हैं कि इसमें हुड्डा पर निशाना साधा गया है। इतना ही नहीं भाजपा सरकार में ही जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा में हुड्डा के नजदीकी रहे प्रो. वीरेंद्र के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके माध्सम से भी उन पर निशाने साधने की कोशिश है।

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