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मिल्‍खा का रिकार्ड तोड़ने वाले धर्मबीर का दर्द- कर्ज लेकर कैसे करुं आेलंपिक की तैयारी

उड़नसिख मिल्‍खा सिंह के रिकार्ड को तोड़कर चीन में हुए एशियन एथलेटिक्‍स में देश व राज्‍य का परचम लहराने वाले धर्मबीर को कोई राह नहीं सूझा रही। उसे आेलंपिक में पदक जीतने का अपना सपना टूटता नजर आ रहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sat, 03 Oct 2015 04:38 PM (IST)
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जागरण संवाददाता, रोहतक। उड़नसिख मिल्खा सिंह के रिकार्ड को तोड़कर चीन में हुए एशियन एथलेटिक्स में देश व राज्य का परचम लहराने वाले धर्मबीर को कोई राह नहीं सूझा रही। उसे आेलंपिक में पदक जीतने का अपना सपना टूटता नजर आ रहा है। वह कर्ज लेकर चीन गया था, कांस्य पदक जीता तो उम्मीद जगी कि हरियाणा की 'खेलप्रेमी' सरकार अब मदद करेगी। ऐसा कुछ नहीं हुआ अौर वह गहरे आर्थिक संकट में फंस गया है। अब, आेलंपिक के लिए तैयारियां नहीं कर पर रहा है।

'खेलप्रेमी' हरियाणा सरकार की अनदेखी से उदीयमान धावक संकट में

हरियाणा की देश में खेलों को बढ़ावा देने और खिलाडि़यों पर धन की बारिश करने वाले राज्य के तौर पर पहचान है, लेकिन धर्मबीर की गुहार इस पर गंभीर सवाल उठाती है। ऐसा शायद उसके क्रिकेट या हरियाणा में ग्लैमर बन गए मुक्केबाजी का खिलाड़ी नहीं हाेने के कारण है।

कर्ज लेकर एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लिया व कांस्य पदक जीता

चीन में आयोजित एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उसने उड़न सिख मिल्खा सिंह का वर्षों पुराने रिकार्ड तोड़कर यह कामयाबी हासिल की थी। धर्मबीर का कहना है कि अगर हरियाणा सरकार से ओलंपिक खेलों के लिए कोई मदद नहीं मिली तो मैं हरियाणा छोडक़र किसी अन्य राज्य की ओर से खेलना पड़ेगा।

धर्मबीर ने कहा कि वह कर्ज के सहारे चैंपियन बना है तथा आज तक सरकार ने उसकी कोई मदद नहीं की है। उसने कर्ज लेकर इस चैंपियपशिप के लिए तैयारी की और कर्ज के सहारे ही इसमें भाग लेने अपने खर्च पर चीन गया। वहां पदक जीतने के बावजूद उसे हरियाणा सरकार से कोई मदद नहीं मिली और अस वजह से वह गहरे आर्थिक संकट में फंस गया है तथा आगे प्रैक्टिस करने के लिए भी उसके पैसा नहीं है।

धर्मबीर ने कहा कि वह राज्य सरकार की उपेक्षा से बेहद अाहत है औा उसे आगे की राह नहीं सूझ रही। उसने मुख्यमंत्री मनोहर लाल व खेलमंत्री अनिल विज से गुहार लगाई है कि वे उसकी प्रैक्टिस के लिए जल्द से जल्द आर्थिक मदद दें ताकि वह ओलंपिक की तैयारी जारी रख सके।

गांव अजायब निवासी धावक धर्मबीर ने चीन में आयोजित हुई एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में मिल्खा सिंह का रिकार्ड तोड कर कांस्य पदक हासिल किया था। इसके बाद उसे रियो ओलंपिक के टिकट की उम्मीद जगी। कर्ज लेकर चीन तक तो धर्मबीर पहुंच गया लेकिन अब हालात ज्यादा खराब हो गए हैं तथा अब रियो ओलंपिक क्वालीफाई के लिए विदेश जाना तो दूर अब तो प्रैक्टिस करने तक के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं।

धर्मबीर ने कहा कि आज तक सरकार ने उसकी कोई मदद नहीं की है, जिसके चलते वह भारी कर्जे के बोझ तले दब गया है। उसने बताया कि वह रोजाना छह घंटे प्रैक्टिस करता है तथा उसकी डाईट का खर्चा भी काफी है। धर्मबीर ने बताया कि उसके पिता एक मामूली किसान हैं। उसका सपना है कि वह एक दिन विश्व का सबसे तेज धावक बने। इसी सपने को पूरा करने के लिए उसने 2001 में दौडऩा शुरू किया।

धर्मबीर अब तक 100 व 200 मीटर दौड़ में नेशनल गेम्स में छह स्वर्ण, एक रजत व एक कांस्य पदक जीत चुका है। वहीं कामनवेल्थ यूथ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने के अलावा स्टाफ चैंपियनशिप श्रीलंका में स्वर्ण, जूनियर एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप इंडोनेशिया में रजत, एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप चीन में कांस्य पदक जीत चुका है।

इस एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में धर्मबीर सिंह ने मिल्खा सिंह का 20.8 सेकेंड का 200 मीटर का रिकार्ड 20.6 सेकेंड में पूरा कर तोड़ा था। उसी समय धर्मबीर को रियो ओलंपिक का टिकट मिलने की आस जगी थी। लेकिन अब उसे अपना सपना अब टूटता दिख रहा है। उसके पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वह ओलंपिक की तैयारियां भी कर सके।

उसका दर्द है कि इतनी मेहनत करने के बावजूद भी सरकार ने उसकी कोई सुध नहीं ली। उसने सवाल किया कि जब ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले खिलाडिय़ों को ही सरकार कोई मदद नहीं दे रही तो फिर अन्य खिलाडिय़ों का क्या हाल होगा।

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