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सरकारी स्कूलों में संख्या घटी, कई बंद होने के कगार पर

संवाद सहयोगी, रादौर : क्षेत्र के प्राइवेट स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी

By Edited By: Updated: Wed, 24 Aug 2016 12:58 AM (IST)
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संवाद सहयोगी, रादौर : क्षेत्र के प्राइवेट स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जबकि सरकारी प्राइमरी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या घटती जा रही है। क्षेत्र में इस समय 75 प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की घटती संख्या के कारण ब्लॉक के बहुत से स्कूल बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। इन स्कूलों में नाममात्र के ही बच्चे पढ़ने के लिए आ रहे हैं।

इस समय प्राइमरी स्कूल धानूपुरा, खेडी लक्खा ¨सह में मात्र 11-11 बच्चे पढ़ रहे हैं, जबकि सतगौली में मात्र 14 और सिलीकलां व अमलोहा में 17-17 बच्चे पढ़ रहे हैं। ब्लॉक में इस समय 20 से कम बच्चों वाले स्कूलों में मारूपुर 20, खेड़की ब्रहामणा 18, भागुमाजरा 19 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

ब्लॉक रादौर में 2007 तक प्राइमरी स्कूल मेन बाजार रादौर ब्लॉक का सबसे बड़ा स्कूल हुआ करता था। उस समय स्कूल में 560 बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे। आज ब्लॉक के इस स्कूल में मात्र 202 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उनमें 84 एससी व 96 बीसी समुदाय से है। स्कूल में सामान्य वर्ग के मात्र 2 बच्चे ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। प्राइमरी स्कूल रादौर आज बच्चों की संख्या के मामले में पहले स्थान से चौथे स्थान पर पहुंच गया है। रादौर क्षेत्र में 75 प्राइमरी स्कूलों में 10 प्राइमरी स्कूल ही ऐसे प्राइमरी स्कूल है। उनमें 100 से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ब्लॉक रादौर में सबसे अधिक बच्चे प्राइमरी स्कूल छोटाबांस में है। जिनमें 277 बच्चे पढ़ रहे हैं। दूसरे स्थान पर उन्हेडी़ स्कूल में 249 बच्चे, तीसरे स्थान पर जठलाना में 207 बच्चे, चौथे स्थान प्राइमरी स्कूल रादौर 202 बच्चे, पांचवे स्थान पर घिलौर में 172 बच्चे, छठे स्थान पर नाचरौन में 166 बच्चे, सातवे स्थान पर अलाहर में 152 बच्चे, आठवें स्थान पर गुमथला में 146 बच्चे, नौवें स्थान पर जुब्बल में 101 बच्चे व दसवें स्थान पर प्राइमरी स्कूल खुर्दबन में 100 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

इनसेट

22 प्राइमरी स्कूलों में 50 से 100 की संख्या में पढ़ रहे हैं बच्चे

ब्लॉक में 22 प्राइमरी स्कूल ऐसे है। जिनमें 50 से 100 के बीच बच्चों की संख्या है। जिनमें पोटली में 57, सढुरा में 62, बापा में 90, बैंडी में 76, लालछप्पर में 70, मोहडी में 66, करहेडा मॉडल टाऊन में 64, कांजनू में 57, सांगीपुर में 61, बुबका में 62, ठसका खादर में 52, राझेडी में 70, बकाना में 83, छारी माजरी में 64, रादौरी में 92, घेसपुर में 51, हडतान में 71, अंटावा में 84, बरहेडी में 53, बरसान में 78, टोपरा में 90, मसाना रांगडान में 62 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कुल 75 प्राइमरी स्कूलों में से 32 स्कूल ही ऐसे है जिनमें 50 से 277 के बीच बच्चों की संख्या है। क्षेत्र के 43 स्कूलों में 50 से भी कम बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

अगले पांच वर्षो में कम संख्या से कई स्कूल हो सकते बंद

ब्लॉक रादौर में हर वर्ष घटती बच्चों की संख्या के कारण कई प्राइमरी स्कूल बंद होने के कगार पर चले गए हैं। हर वर्ष सभी स्कूलों में बच्चों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है।जिससे कई स्कूलों का आस्तित्व खत्म होने जा रहा है। वहीं रादौर और आसपास के गांवों में चल रहे प्राइवेट स्कूलों में हर वर्ष बच्चों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। प्राइमरी स्कूलों में मात्र एससी व बीसी समुदाय से संबंधित बच्चे ही पढ़ रहे हैं। सामान्य वर्ग के बच्चों की संख्या ब्लॉक के स्कूलों में नाममात्र ही रह गई है। ब्लॉक के प्राइमरी स्कूल एससी व बीसी समुदायों के बच्चों के दम पर चल रहे हैं। निजी स्कूल चालक क्षेत्र हर गांव में सर्वे करवाकर एक एक बच्चे को अपने स्कूल में दाखिल करवाने को लेकर कड़ी मशक्कत करते है। लेकिन प्राइमरी स्कूल रामभरोसे चल रहे हैं। उनका भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है।

खंड शिक्षा अधिकारी धर्मेद्र ¨सह ने बताया कि प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की घटती संख्या ¨चता का विषय है। उससे कई स्कूल बंद होने को है। प्राइवेट स्कूलों की ओर अभिभावकों का रुझान ज्यादा है। उससे बच्चे प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने के बजाय प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं। सरकार प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को अधिक से अधिक सुविधाएं दे रही है। इसके बावजूद हर वर्ष बच्चों की संख्या बढने की बजाए कम होती जा रही है। विभाग की ओर से प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने को लेकर कडे़ कदम उठाए जाएंगे।

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