जब 45 हो जाएं पार तो रखो खास ख्याल
पैंतालिस की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में होने वाले हारमोनल परिवर्तनों व स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए जरूरी है खानपान में कुछ खास पोषक तत्वों को शामिल करना।
घर हो या दफ्तर, हर मोर्चे पर अपनी काबिलियत से कठिन से कठिन परिस्थितियों को अनुकूल बनाने की क्षमता रखती है स्त्री, पर जब बात उसकी स्वयं की सेहत की आती है तो कई बार वह उतना ध्यान नहीं देती। ऐसा करना ठीक नहीं है। बढ़ती उम्र के साथ स्त्री का शरीर अनेक परिवर्तनों से गुजरता है। 45 वर्ष की उम्र के बाद उसके शरीर में हारमोनल परिवर्तन शुरू होने लगते हैं। जिनका सीधा असर सेहत पर पड़ता है।
हारमोनल असंतुलन की वजह से हड्डियां कमजोर होना, वजन बढ़ना, बेली फैट, त्वचा और बालों के स्वास्थ्य पर असर और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं की आशंका उत्पन्न हो जाती है। यही नहीं, हारमोनल परिवर्तनों का असर मनोभावों पर भी पड़ता है। जरा सी बात पर दुखी हो जाना, नकारात्मक भावों में घिर जाना, चिड़चिड़ापन इत्यादि जैसी अनेक समस्याएं उन्हें घेर लेती हैं।
खानपान पर विशेष ध्यान व एक्सरसाइज के जरिए इन समस्याओं से बखूबी निपटा जा सकता है। विशेषज्ञ 45 वर्ष की उम्र के बाद स्त्रियों को साबुत अनाज, दालें, सूखे मेवे, सोया उत्पाद, फल व सब्जियां, लो फैट दुग्ध उत्पादों को आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही उन्हें चीनी और ट्रांस फैट का सेवन सीमित कर देना चाहिए। हारमोनल संतुलन मेनटेन करने के लिहाज से भोजन में कुछ खास पोषक तत्व व मिनरल्स जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंग्नीज, फॉस्फोरस, कॉपर, जिंक, विटामिन बी-6, बी-12, डी, ई, के, बायोफ्लेवोनॉयड्स शामिल करना आवश्यक है।
आवश्यक हैं ये पोषक तत्व
विटामिन ई मेनोपॉज के दौरान स्त्री को समय-समय पर अचानक बेहद गर्मी महसूस होती है व पसीना निकलता है। ऐसे में विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि विटामिन ई को आहार में शामिल करना लाभकारी है। विटामिन ई की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ हैं हरी सब्जियां, सूखे मेवे, अंडा इत्यादि।
कैल्शियम व मैग्नीशियम
मेनोपॉज के दौरान महिला के शरीर की बोन डेंसिटी करीब 20 प्रतिशत घट सकती है। ऐसे में आस्टियोपोरोसिस का खतरा कम करने व हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए कैल्शियम व मैग्नीशियम के सेवन पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। दूध व उससे बने उत्पाद, रामदाना, रागी, ब्रोकोली इत्यादि में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। वहीं मैग्नीशियम की अधिकता वाले पदार्थ हैं बीन्स, टोफू (सोयाबीन से बना पनीर), दूध व उससे बने पदार्थ। कैल्शियम शरीर में एब्जाब्र्व हो सके, इसके लिए विटामिन डी का सेवन भी जरूरी है।धूप से भी मिलता है विटामिन डी।
जरूरी फैट्स
मेनोपॉज का असर मनोभावों पर भी पड़ता है। फलस्वरूप अवसाद, निराशा जैसी समस्याएं भी घेर लेती हैं। उनसे निपटने के लिए शरीर को फैटी एसिड्स की आवश्यकता रहती है। यही नहीं, इनके सेवन से बढ़ती उम्र के साथ दिल की बीमारी, व हाई ब्लडप्रेशर जैसी समस्याओं के उत्पन्न होने का खतरा भी कम होता है। इस लिहाज से ओमेगा 3 फैटी एसिड, ईवनिंग प्राइमरोज ऑयल का सेवन है जरूरी। अलसी के बीज व फिश ऑयल में ओमेगा 3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
नियमित एक्सरसाइज
बढ़ती उम्र के साथ वजन बढ़ने की समस्या न उत्पन्न हो, इसके लिए एक्सरसाइज को नियमित दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। योगा, जॉगिंग, एरोबिक्स, स्विमिंग इत्यादि में आपको क्या बेहतर लगता है, यह स्वयं तय करें। एक्सरसाइज से भी हड्डियों को मजबूत बनाए रखने व दिल की सेहत दुरुस्त रखने में मदद मिलती है।
इनसे बनाएं दूरी
मेनोपॉज व प्री मेनोपॉज की स्थिति में स्त्री के शरीर में हारमोनल परिवर्तन होना स्वाभाविक है, पर कुछ खास खाद्य पदार्र्थों के अत्यधिक सेवन से दूरी बनाकर आप स्थिति को गंभीर होने से रोक सकती हैं। इनके उदाहरण हैं, चाय, कॉफी, चॉकलेट जैसे कैफीनयुक्त पदार्थ व अधिक मसालेदार
भोजन।
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