बीट द हीट
गर्मियों में अधिकतर लोग अन्य ऋतुओं की तुलना में उल्टी, दस्त, टाइफाइड, डायरिया, हेपेटाइटिस आदि से कहीं ज्यादा संक्रमित होते हैं।
By Babita kashyapEdited By: Updated: Wed, 04 May 2016 02:31 PM (IST)
सन एलर्जी
सूर्य की तेज रोशनी से कुछ लोगों की त्वचा की अंदरूनी सतह में कुछ असामान्य केमिकल बनने लगते हैं, जो एलर्जी उत्पन्न कर देते हैं। खुले अंगों पर लाल दाने और चकत्ते पड़ जाते हैं। सन एलर्जी से ग्रस्त व्यक्ति अपने सभी अंग ढककर बाहर निकलें।लू लगना
लू वैसे तो किसी भी आयु वर्ग के व्यक्तियों को लग सकती है, लेकिन अधिकतर मामलों में छोटे बच्चों और वृद्धों की शारीरिक प्रणाली तेज गर्मी में अपने शरीर को ठंडा रखने में विफल हो जाती है। इस स्थिति में लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। शरीर का तापमान एक सीमा से ज्यादा बढऩे का प्रथम लक्षण बुखार है। तेज बुखार की स्थिति में डॉक्टर के परामर्श से पैरासीटामॉल की टैब्लेट लें। पीडि़त व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में पानी और अन्य तरल पेय पदार्थ लेना चाहिए और उसे ठंडे माहौल में रखें।पेट के इंफेक्शन
गर्मियों में जीवाणु और कुछ वाइरस बहुत तेजी से पनपते हैं। खासकर खाने-पीने की वस्तुओं में। इस मौसम में जलाशयों, नदियों और तालाबों का पानी कम हो जाता है, जिससे पानी में जीवाणुओं का घनत्व भी बढ़ जाता है। खराब सीवर प्रणाली से मल और जल मिश्रित हो जाता है और बीमार व्यक्ति के मल से निकले जीवाणु स्वस्थ लोगों तक पहुंचने लगते है।गर्मी की छुट्यिों में पर्यटन और मेला स्थलों पर मानव घनत्व कई गुना बढ़ जाता है और अत्यधिक व्यस्त रेस्टोरेंट्स या ढाबा कर्मियों द्वारा स्वच्छता की उपेक्षा के कारण ये जगहें बीमारी स्थल में बदल जाती हैं। अधिक भीड़ स्विमिंग पूल को जीवाणुओं की शरण-स्थली बना देती हैं। इन्हीं कारणों से गर्मियों में अधिकतर लोग अन्य ऋतुओं की तुलना में उल्टी, दस्त, टाइफाइड, डायरिया, हेपेटाइटिस आदि से कहीं ज्यादा संक्रमित होते हैं।शरीर की गर्मी ऐसे कम करेंवातावरण का तापमान बढऩे पर शरीर अपने को ठंडा रखने के लिए पसीना निकालता है। हवा लगने पर पसीना वाष्पित होकर ठंडक लाता है, पर पसीना निकलने की भी एक सीमा होती है। ठंडा पानी पीने और उससे बनने वाली पेशाब भी शरीर की गर्मी को बाहर निकाल देती है। ठंडी हवा शरीर की सतह को ठंडा रखती है। गाढ़े रंग के कपड़े गर्मी सोखते हंै, जबकि सफेद या हल्के रंग गर्मी को बाहर परावर्तित कर देते हैं।पतले सूती और ढीले कपड़े हवा के शरीर तक पहुंचने में सहायक होते हैं जबकि टाइट या सिंथेटिक कपड़े शरीर तक हवा पहुंचने में बाधक होते हैं।-गर्मी से राहत के लिए हल्के रंग के सूती और ढीले कपड़े पहनें और ठंडी और हवादार जगह में ही रहें। - ताजा पका खाएं और बचे हुए खाने को तुरंत रेफ्रिजरेटर में रख दें।- किसी खाद्य पदार्थ को खाने से पहले साबुन से हाथ धोएं या फिर हैंड सैनीटाइजर का इस्तेमाल करें।- स्वच्छ जल पिएं।- रसोई को साफ और सूखा रखें।- सड़क के किनारे बिकने वाले कटे फलों और बाहर के असुरक्षित खाद्य से परहेज करें।- मौसम के अनुकूल फलों- जैसे खरबूजा, ककड़ी, खीरा, तरबूज और लीची आदि- का सेवन करें। बेल और आंवले का मुरब्बा भी शरीर को ठंडक पहुंचाता है।- पेशाब अगर हल्का पीला या सफेद हो, तो यह मानें कि आप तरल पदार्थ समुचित मात्रा में ले रहे हैं। गाढ़ा पीला पेशाब होने पर तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ा दें।- गर्मी से राहत के लिए ठंडे माहौल मे रहें।- पानी, शर्बत, लस्सी, जूस आदि स्वास्थ्यकर पेय पदार्र्थों की समुचित मात्रा खुद भी लेना चाहिए और बच्चों को भी देनी चाहिए।डॉ.निखिल गुप्ता वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ