सर्वाइकल कैंसर की पहचान करना अब होगा आसान
ग्रीन ग्लो नामक नई तकनीक से सर्वाइकल कैंसर से पीड़ि़त मरीजों का बेहतर इलाज संभव है। इस तकनीक से मरीज के शरीर के भीतर सर्वाइकल कैंसर के एक-एक सेल की पहचान कर उसे खत्म किया जा सकता है
By Babita kashyapEdited By: Updated: Thu, 21 Jul 2016 02:43 PM (IST)
नई दिल्ली, ब्यूरो। महिलाओं की मौत का बड़़ा कारण साबित हो रहे सर्वाइकल कैंसर के इलाज के लिए वैसे तो कई तकनीक आ गई हैं। फिर भी यह देखा जाता है कि काफी मरीजों को इलाज के बाद भी सर्वाइकल कैंसर दोबारा हो जाता है। लेकिन ग्रीन ग्लो नामक नई तकनीक से सर्वाइकल कैंसर से पीड़ि़त मरीजों का बेहतर इलाज संभव है। इस तकनीक से मरीज के शरीर के भीतर सर्वाइकल कैंसर के एक-एक सेल की पहचान कर उसे खत्म किया जा सकता है। डॉक्टर कहते हैं कि यह तकनीक सर्वाइकल कैंसर के इलाज में ज्यादा कारगर हैं और कैंसर के ट्यूमर दोबारा विकसित नहीं हो पाते।
महानगरों में महिलाएं स्तन कैंसर से अधिक पीड़ि़त होती हैं। दिल्ली में भी कुछ यही स्थिति है। स्तन कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में कैंसर होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। देश के कई इलाकों में तो सर्वाइकल कैंसर पीडि़तों की संख्या अधिक है। हाल ही में महिलाओं की बीमारी पर हुए सम्मेलन में भी डॉक्टरों ने इस बीमारी और इसके इलाज की नई तकनीकों पर चर्चा की। डॉक्टर कहते हैं कि यह देखा गया है कि सर्वाइकल कैंसर से पीडि़त महिलाओं की सर्जरी और इलाज के बाद 30 से 35 फीसद मरीजों को सर्जरी के बाद उसी जगह कैंसर दोबारा विकसित हो जाता है।
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सनराइज अस्पताल के गायनेकोलॉजी की विशेषज्ञ डॉ. निकिता त्रेहान के मुताबिक, सर्जरी के दौरान कैंसर का कुछ अंश भी छूट जाने पर वह दोबारा विकसित हो जाता है। जांच और सर्जरी के सामान्य तरीकों में अक्सर ऐसा होने की आशंका रहती हैं, क्योंकि कैंसर के सेल अदृृश्य होते हैं। इंडोसियानिन ग्रीन (आईसीजी) के इस्तेमाल से सर्वाइकल कैंसर से प्रभावित पूरे क्षेत्र का पता लगाया जा सकता है। डाई शरीर के अंदर जाते ही प्रभावित हिस्सा हरा हो जाएगाआईसीजी एक तरह का इंजेक्टेबल डाई हैं, जिसे सर्वाइकल कैंसर के ट्यूमर में इंजेक्ट कर दिया जाता है। इससे सर्वाइकल कैंसर से अंग का जितना हिस्सा प्रभावित होता है वह हरा हो जाता है। इसे फ्लोरोसेंट कैमरे की मदद से स्पष्ट देखा जा सकता है। इस तरह प्रभावित हिस्से को देखकर लैप्रोस्कोपी तकनीक से सर्जरी कर उसे आसानी से निकाला जा सकता है। इस तकनीक का फायदा यह है कि सर्जरी के दौरान अंग के सिर्फ उसी हिस्से को निकाला जाता है, जितना कैंसर से प्रभावित होता है। इससे सर्जरी के बाद मरीजों को ज्यादा परेशानी नहीं होती। इसे ग्रीन ग्लो तकनीक भी कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में पिछले साल सर्वाइकल कैंसर से 63,000 से अधिक महिलाओं की मौत हुई। ऐसे आधुनिक तकनीक की मदद से कई मरीजों की जीवन रेखा बढ़ सकती है। पढ़ें: अब सिर्फ दो घंटे में कैंसर हो जाएगा छूमंतर