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अब वेक्टर बॉर्न बीमारियों का भी इलाज संभव

वेक्टर एक ऐसा रोगवाही जीवाणु होता है, जो बीमारी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित कर सकता है। वेक्टर जनित (बॉर्न) बीमारियों के कुछ प्रमुख कारक (फैक्टर) मच्छर, मक्खी और पिस्सू आदि हैं। प्रमुख वेक्टर बॉर्न बीमारियां ऐसी बीमारियों में मलेरिया,डेंगू, चिकुनगुनिया,फाइलेरिया, का

By Edited By: Updated: Tue, 01 Apr 2014 11:08 AM (IST)
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वेक्टर एक ऐसा रोगवाही जीवाणु होता है, जो बीमारी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित कर सकता है। वेक्टर जनित (बॉर्न) बीमारियों के कुछ प्रमुख कारक (फैक्टर) मच्छर, मक्खी और पिस्सू आदि हैं।

प्रमुख वेक्टर बॉर्न बीमारियां

ऐसी बीमारियों में मलेरिया,डेंगू, चिकुनगुनिया,फाइलेरिया, काला अजार और जापानी इंसेफेलाइटिस को शामिल किया जाता है। दुनिया की जनसंख्या का एक बड़ा भाग कभी न कभी वेक्टर बॉर्न बीमारियों की चपेट में आता रहता है। समुचित सजगता न बरतने पर ये बीमारियां जानलेवा साबित हो सकती हैं

संक्षिप्त में कुछ प्रमुख वेक्टर बॉर्न बीमारियों के बारे में जानकारियां इस प्रकार हैं..

मलेरिया

यह प्लाज्मोडियम नामक जीवाणु की वजह से होता है, जो एनाफ्लीज नामक मच्छर के काटने के कारण शरीर में फैलता है।

लक्षण: बुखार, सिर दर्द, शरीर में अकड़न, उल्टी आना, बेहोशी व दौरे पड़ना इस रोग के लक्षण हैं। इसके अलावा पेशाब का गहरे पीले रंग का होना और सांस लेने में तकलीफ होना, इस रोग के अन्य लक्षण हैं।

इलाज: उपरोक्त लक्षणों के प्रकट होने पर रोगी को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। शुरुआती अवस्था में बुखार के लिए पैरासीटामॉल नामक दवा का इस्तेमाल करें। पीड़ित व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ दें और डॉक्टर की सलाह से नियमित दवाएं लें।

डेंगू

डेंगू वायरस से होने वाली बीमारी है, जो एडीज नामक मच्छर के काटने से होती है।

लक्षण: तेज बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, शरीर व आंखों में दर्द होना, पेट में दर्द और उल्टी आना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा शरीर पर सूजन होना, शरीर पर लाल रंग के चकत्ते पड़ना, सांस लेने में तकलीफ, भूख न लगना और गंभीर स्थिति में शरीर के विभिन्न अंगों से रक्तस्राव होना भी इस रोग के लक्षण हैं।

इलाज: डेंगू का कोई सुनिश्चित इलाज नहीं है। लक्षणों के आधार पर ही रोगी का इलाज किया जाता है। रोगी को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ दें। बुखार उतारने के लिए सिर्फ पैरासीटामॉल का इस्तेमाल करें। याद रखें, दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल न करें। शीघ्र ही डॉक्टर की सलाह लें।

प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा की गयी एक शोध से पता चला है कि ज्यादा मात्रा में प्लेटलेट चढ़ाना रोगी को फायदा नहींबल्कि नुकसान पहुंचा सकता है। अगर प्लेटलेट काउंट 10,000 से कम है या पीड़ित व्यक्ति को अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा हो, तभी प्लेटलेट चढ़ाना चाहिए। मसूढ़ों से कम मात्रा में रक्त आना, माहवारी में होने वाले रक्तस्राव और शरीर पर लाल चकत्ते निकल आने पर प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत नही होती। डेंगू से ग्रस्त प्राय: सभी रोगियों की प्लेटलेट काउंट एक सप्ताह से दस दिनों के अंदर स्वत: ही ठीक हो जाती है। डॉक्टर डेंगू जैसे लक्षणों वाली उन दूसरी बीमारियों के प्रति भी सतर्क रहें, जिनमें प्लेटलेट काउंट कम हो सकता है।

जापानी इंसेफेलाइटिस(जेई)

यह वाइरस से होने वाली बीमारी है, जो क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से होती है। यह रोग जानवरों और मनुष्यों दोनों को ही होता है। खास तौर पर जापानी इंसेफेलाइटिस का वाइरस सुअर के शरीर में बढ़ता रहता है, लेकिन सुअर में बीमारी के लक्षण प्रकट नहीं होते। क्यूलेक्स मच्छर धान के खेतों और ठहरे हुए पानी में ज्यादा पाए जाते हैं। ऐसी जगह जहां पर कुछ लोग सुअर पालन भी करते हैं, वहां पर भी इस रोग से ग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है।

लक्षण

जेई से ग्रस्त अधिकतर लोगों को हल्का बुखार और सिरदर्द की समस्या होती है। लेकिन 200 में से एक व्यक्ति इस बीमारी से गंभीर रूप से प्रभावित होता है।

बीमारी की गंभीरता के लक्षण इस प्रकार हैं..

-तेज बुखार और सिरदर्द।

-गर्दन में अकड़न।

-दौरे पड़ना।

-बेहोश होना।

-सांस लेने में तकलीफ होना।

इलाज

जेई का इलाज लक्षणों के अनुसार किया जाता है। उपयुकर््त लक्षणों के प्रकट होने पर शीघ्र ही डॉक्टर की सलाह लें। गंभीर रोगियों को कृत्रिम सांस की मशीन का सहारा लेना पड़ता है।

उपर्युक्त सुझावों पर अमल कर आप स्वयं और परिवार के सदस्यों को इन बीमारियों से बचा सकते हैं। अगर दुर्योगवश कोई व्यक्ति वेक्टर बॉर्न बीमारियों से ग्रस्त हो भी गया तो, समय रहते समुचित इलाज से उसे इन रोगों से छुटकारा दिलाया जा सकता है।

(डॉ.सुशीला कटारिया)

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