प्रेगनेंसी के बारे में कभी आप भी तो ऐसा नहीं सोचती
गर्भावस्था में कभी भी सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास न करें और न ही किसी भी धारणा पर आंख मूंदकर भरोसा करें।
By Babita kashyapEdited By: Updated: Sat, 23 Jul 2016 04:14 PM (IST)
गर्भावस्था का समय एक स्त्री के लिए बेहद संवेदनशील समय होता है, जिसमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। इस दौरान एक भी गलत कदम होने वाले बच्चे के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए कभी भी सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास न करें और न ही किसी भी धारणा पर आंख मूंदकर भरोसा करें। बेहतर है कि अपने डॉक्टर से सही जानकारी लें ताकि स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें।
मिथ: प्रेग्नेंसी में दो लोगों के लिए खाना खाएं। सच: गर्भवती स्त्रियों को दोगुना खाना खाने की
सलाह दी जाती है, क्योंकि माना जाता है कि उन्हें अपने और बच्चे दोनों के लिए खाना होगा। ताकिक आधार पर यह मिथक सही नहीं है। ऐसा करने से वे भोजन में कैलोरी की मात्रा बढ़ा देती हैं, जो सेहत के लिहाज से गलत है। एक रिसचज़् के मुताबिक, ऐसे समय में गर्भवती स्त्री को 300 अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता होती है। सामान्य रूप से गभग्वती स्त्री का वजन 5-10 किलोग्राम तक बढ़ता है, लेकिन अगर आप ओवरईटिंग करेंगी तो वजन 20-25 किलोग्राम तक बढऩे के चांसेज हैं, जिससे नॉर्मल डिलीवरी में मुश्किल हो सकती है।
मिथ: प्रेग्नेंसी में बालों में कलर न कराएं।हकीकत: गर्भवती स्त्री को अक्सर सलाह दी जाती है कि बालों में किसी भी तरह का केमिकल न लगाएं। डॉक्टर्स के मुताबिक पहले तीन महीनों में बालों को कलर न करें। कलर करने से स्कल्प के रास्ते केमिकल भ्रूण तक पहुंचने की संभावना रहती है, क्योंकि इस समय भ्रूण के अंग आकार ले रहे होते हैं।मिथ: गर्भावस्था में व्यायाम करना सही नहीं है।हकीकत: कोई भी एक्सरसाइज डॉक्टर से पूछकरऔर एक्सपर्टकी निगरानी में ही करें। फिट होने से आपका स्टैमिना बढ़ेगा और डिलीवरी के वक्त ज्यादा परेशानी भी नहीं होगी, जो स्त्रियां एक्सरसाइज करना पसंद नहीं करतीं, उन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। तेज चलना सबसे सेफ एक्सरसाइज है।इसके अलावा स्विमिंग, ब्रीदिंग एक्सरसाइज, मेडिटेशन और योग से भी काफी आराम मिलता है। पढें: मां बन सकती हैं आप, अब नही होगा बार-बार गर्भपातमिथ: देशी घी खाने से प्रसव में आसानी होती है। हकीकत: घी और बटर को अच्छा ल्युब्रिकेट माना जाता है। ये सिर्फ पेट को साफ करने का काम करते हैं। इसका यह मतलब नहीं कि इससे प्रसव पीड़ा कम होती हो। हां, अगर यह सोचकर आप ज्यादा घी खाने लगी हैं तो ब्लड प्रेशर और मोटापे की समस्या आपको जरूर घेर लेगी। इसलिए गर्भावस्था के दौरान संतुलित मात्रा में ही घी औरतेल का सेवन करें।मिथ: गर्भावस्था में करवट के बल न सोएं।हकीकत: गर्भवती स्त्री को सीधे या बाएं करवट कर लेटना चाहिए। इससे खून और पोषक तत्वों का प्रवाह ज्यादा होता है। साथ ही इस ओर करवट लेने से एडिय़ों और पांव की सूजन भी कम होने लगती है।मिथ: गर्भ के आकार से बच्चे का जेंडर पता चलता है।हकीकत: गर्भ के आकार से बच्चे के लिंग का कोई संबंध नहीं है। पेट का शेप स्त्री के मसल्स, पेट के आकार, स्ट्रक्चर, भ्रूण की अवस्था और एब्डोमिन के चारों ओर जमा होने वाले फैट से तय होता है।मिथ: कुछ खाद्य पदार्थो से बच्चा गोरे रंग का होता है।हकीकत: गर्भवती स्त्री को खाने में सफेद रंग से बनी चीजें खाने को कहा जाता है। ऐसे में दूध या दूध से बनी चीजों का सेवन कराया जाता है, जिससे स्त्रियां और किसी चीज का सेवन नहीं करतीं और एनीमिया की शिकार हो जाया करती हैं। अध्ययन के अनुसार, खाद्य पदार्थो के रंग से बच्चे के रंग का कोई संबंध नहीं है। बच्चे का रंग आनुवांशिकता से तय होता है।मिथ: प्रेग्नेंसी के दौरान कार की सीट बेल्ट लगाना और प्लेन में सफर करना सही नहीं होता।हकीकत: कुछ हद तक यह बात सही मानी जा सकती है। अगर आपकी प्रेग्नेंसी की ड्यू डेट नजदीक आ गई है तो ऐसे में सफर करना सेफ नहीं रहता। अगर डेट छह हफ्ते से ज्यादा आगे की है, तभी फ्लाइट लेना सेफ है। एयरपोर्ट की सिक्योरिटी चेकिंग से भी बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता।पढें: प्रेगनेंट महिलाएं अक्सर करती हैं ये गलतियांअगर सफर लंबा हो तो पैर फैलाकर बैठें। कार की सीट बेल्ट के लिए भी कहा जाता है कि इसे पेट पर बांधने से गर्भ पर प्रेशर पड़ता है इसके लिए बेल्ट को सीने की ओर लाकर साइड में कर लें।मिथ: प्रेग्नेंसी में भारी भरकम वजन नहीं उठाना चाहिए।हकीकत: हां, यह सच है कि भारी या वजनदार चीजों को नहीं उठाना चाहिए। इससे पीठ ददज़् यास्पाइनल इंजरी होने की आशंका रहती है। जमीन से कुछ उठाने के लिए अपने घुटनों को एक साथ मोड़ें और वजन को शरीर के करीब रखें। कमर न झुकाएं, इससे आपकी पीठ पर वजन नहीं पड़ेगा। एक हाथ उठाने के बजाय दोनों हाथों से उठाएं।मिथ: धड़कन धीमी हो तो लड़का और तेज हो तो लड़की होती है।हकीकत: आजकल अल्ट्रासाउंड के दौरान कुछलोग भ्रूण की हार्ट रेट को लेकर कयास लगाने लगते हैं। धीमी धड़कन होने पर लड़का होने का दावा करते हैं तो तेज होने पर लड़की का। ऐसी कोई भी स्टडी हुई ही नहीं है कि हाटज़् रेट के जरिये बच्चे के लिंग का पता लगाया जा सके।मिथ: बच्चे का मूवमेंट नहीं हो रहा हो तो बच्चे का विकास नहीं हो रहा है।हकीकत: कभी-कभी बच्चे के मूवमेंट का पता नहीं चल पाता। इसका मतलब यह नहीं कि बच्चे का विकास नहीं हो रहा है। बच्चा अपनी गति से हिलना शुरू करता है। ज्यादा परेशान हैं तो बेबी का मूवमेंट गिनें। बेबी हर 12 घंटे में 10 बार घूमता है तो चिंता की कोई बात नहीं है।पढें: क्या आप जानते हैं गर्भ में पल रहा बच्चा क्यों मारता है किकमिथ: गर्भवती स्त्री को मसालेदार व्यंजनों से दूर रहना चाहिए।हकीकत: मसालेदार खाने से प्री-मैच्योर डिलिवरी की आशंका होती है, यह सच नहीं है। इस दौरान कुछ चीजों को खाने से बचना चाहिए और कच्चे दूध आदि को नहीं पीना चाहिए। यह गर्भपात का कारण बन सकता है। मछली के सेवन से भी दूर रहने की नसीहत दी जाती है क्योंकि यह पेट खराब कर सकती है। इसलिए इस समय तैलीय खाने की जगह पैष्टिक आहार ही लेना उचित रहता है।मिथ: पपीता खाने से गभज़्पात हो जाता है। हकीकत: कच्चे पपीते में काइमोपपीन पाया जाता है, जो गर्भावस्था के लिए ठीक नहीं माना जाता, लेकिन पका पपीता खाया जा सकता है, क्योंकि यह विटामिन ए का अच्छा स्रोत होता है।मिथ: मोबाइल, माइक्रोवेव और कंप्यूटर से बच्चे पर बुरा असर पड़ता है।हकीकत: वैज्ञानिक तौर पर कंप्यूटर पूरी तरह से सेफ है। माइक्रोवेव का इस्तेमाल करते वक्त ध्यान रखें कि इसकी हीट आपके पेट पर न आए। इससे दूरी बनाकर आराम से काम किया जा सकता है।मिथ: प्रेग्नेंसी में अचार और आइसक्रीम की इच्छा होती है।हकीकत: प्रेग्नेंसी के दौरान कई बार खट्टा या मीठा खाने की इच्छा होती है। इस समय स्त्रियों को एक्स्ट्रा मिनरल्स की जरूरत होती है। ऐसे में गर्भवती स्त्री को जंक फूड जैसे आइसक्रीम आदि खाने की इच्छा होती है। मीठा खाने से सिरोटोनिन की कमी पूरी होती है, जिससे मां अच्छा फील करती है।इनपुट्स गायनिकोलॉजिस्ट डॉ. हेलई गुप्ता पढें: OMG! इस मां ने खुद ही निकाल लिया गर्भ से शिशु