खूबियों की खान है अलसी
अपने देश में लोग अलसी का प्रयोग न जाने कितनी सदियों से कर रहे हैं, लेकिन अब तो आधुनिक मेडिकल साइंस भी अलसी के गुणों का प्रशंसक बन चुका है। आइए जानते हैं इस सुपर फूड के बारे में- आयुर्वेद और मेडिकल साइंस के नजरिए से...
By Srishti VermaEdited By: Updated: Sat, 18 Mar 2017 12:12 PM (IST)
सुपर फूड है यह आधुनिक मेडिकल साइंस के अनुसार शाकाहारी खाद्य पदार्र्थों में अलसी ओमेगा 3 फैटी एसिड का सबसे बड़ा स्रोत है। यह हमारे शरीर के लिए आवश्यक फैटी एसिड है।
कोलेस्ट्रॉल नियंत्रणअलसी बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल (एक प्रकार की वसा) को नियंत्रित करने में भी सहायक है। गौरतलब है कि धमनियों (आर्टरीज) में कोलेस्ट्रॉल के जमने या संचित होने से हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। अलसी बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करती है और गुड कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) के स्तर को बढ़ाती है।
ग्लूटन फ्रीअलसी ग्लूटन फ्री है। ग्लूटन फ्री का आशय है कि जिन लोगों को गेहूं या इससे निर्मित उत्पादों से एलर्जी है या जो गेहूं या इससे निर्मित उत्पादों को नहीं खाना चाहते हैं, वे अलसी का सेवन कर सकते हैं।
कुछ खास गुण--अलसी में सॉल्युबल फाइबर होता है, जो हमारी आंतों के लिए लाभदायक होता है। साल्युबल फाइबर शरीर में कोलेस्ट्रॉल की अतिरिक्त मात्रा को भी कम करता है।
-इसमें कार्बोहाइड्रेट कम होता है, जबकि फाइबर ज्यादा होता है। इसलिए हाजमे को दुरुस्त रखने में भी यह मददगार है। अलसी वजन को भी नियंत्रित करने में भी सहायक है।
- अलसी में कई एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर के हार्मोन को नियंत्रित करते हैं और कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में सहायक हैं।
- इसमें मैग्नीशियम भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। मैग्नीशियम शरीर के समस्त अंगों के सुचारु संचालन में सहायक है, जैसे हार्ट फंक्शन और नव्र्स फंक्शन आदि में।
-जिन महिलाओं में रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण प्रकट हो रहे हों, उनके लिए अलसी के बीज का सेवन फायदेमंद होता है।थोड़ी सी मात्रा में लेंअलसी के बीजों को एक से दो छोटे चम्मच मात्रा में कूटकर लेना सबसे अच्छा होता है।अलसी के बीजों को सलाद पर छिड़ककर भी खाया जा सकता है। अलसी का इस्तेमाल फ्रूट स्मूदी में डालकर भी किया जा सकता है।-शुभदा भनोत चीफ न्यूट्रीशनिस्ट एंड डाइबिटीज एजूकेटर, मेदांता दि मेडिसिटी, गुड़गांवसेहत के लिए तोहफा अलसी के बीजों का सेवन सेहत के लिए हर मायने में लाभप्रद है। मेरी राय में अलसी सेहत के लिए एक तोहफे के समान है। अलसी के बीजों का सेवन पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर में भी लाभप्रद है। ऐसा माना जाता है कि अलसी में लिगनैंस नामक जो तत्व होता है, वह प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए लाभप्रद है। इसे अलावा अलसी के बीजों का सेवन पेट दर्द, कब्ज, पेट में गैस बनने से होने वाले दर्द और मतली (जी मिचलाने) में भी फायदेमंद है। इस संदर्भ में याद रखें कि सिर्फ अलसी के सेवन को ही किसी रोग के ट्रीटमेंट (इलाज) का आधार नहीं बनाया जा सकता।-भक्ति सामंत चीफ न्यूट्रीशनिस्ट, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई
आहार द्रव्यों के रूप में प्रयोग होने वाली कई वस्तुओं में विशेष गुण होने के कारण उनका औषधीय महत्व भी काफी होता है, उन्हीं द्रव्यों में से एक है अलसी। आयुर्वेद के अनुसार अलसी वात विकारों को दूर करती है। अलसी के बीज और इससे प्राप्त तेल का चिकित्सा में उपयोग किया जाता है।टिप्स काम की
-अलसी के बीजों को कूटकर, पानी मिलाकर, पकाकर प्रभावित जगह पर लगाने से सूजन दूर होती है। ’
-अलसी को शरीर की ग्रंथि (गांठ) पर लगाने से वह जल्दी फूट जाती है। ’
-इसके तेल को चूने के पानी के साथ मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाने से आराम मिलता है। ’
-अलसी के बीजों का काढ़ा खांसी में उपयोगी रहता है। ’
-अलसी का सेवन मांसपेशियों में होने वाले दर्द को कम करने में सहायक है। ’
-अलसी का तेल कब्ज, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, हृदय विकार और मानसिक कमजोरी को दूर करने में सहायक है। ---आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श के बाद ही उपर्युक्त मर्जों या विकारों में अलसी के तेल का प्रयोग करें। ’
-अलसी का सेवन प्रोस्टेट की बढ़ी हुई अवस्था व मूत्र मार्ग संबंधी अन्य विकारों में भी उपयोगी है।प्रयोगएक चम्मच लगभग पांच ग्राम आवश्यकता के अनुसार गर्म या सादे खाद्य पदार्र्थों के साथ मिलाकर लें।
धीमी आंच पर इसके बीजों को सेंककर पानी के साथ भी लिया जा सकता है।न करें सेवनगर्भावस्था, एलर्जी, रक्तस्राव संबंधी विकार, आंतों में रुकावट आदि स्वास्थ्य समस्याओं में अलसी का सेवन नहीं करना चाहिए।-डॉ. प्रताप चौहान आयुर्वेद विशेषज्ञ, फरीदाबादप्रस्तुति: विवेक शुक्लायह भी पढ़ें : सेहत की दोस्त है हरी मिर्च
-इसमें कार्बोहाइड्रेट कम होता है, जबकि फाइबर ज्यादा होता है। इसलिए हाजमे को दुरुस्त रखने में भी यह मददगार है। अलसी वजन को भी नियंत्रित करने में भी सहायक है।
- अलसी में कई एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर के हार्मोन को नियंत्रित करते हैं और कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में सहायक हैं।
- इसमें मैग्नीशियम भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। मैग्नीशियम शरीर के समस्त अंगों के सुचारु संचालन में सहायक है, जैसे हार्ट फंक्शन और नव्र्स फंक्शन आदि में।
-जिन महिलाओं में रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण प्रकट हो रहे हों, उनके लिए अलसी के बीज का सेवन फायदेमंद होता है।थोड़ी सी मात्रा में लेंअलसी के बीजों को एक से दो छोटे चम्मच मात्रा में कूटकर लेना सबसे अच्छा होता है।अलसी के बीजों को सलाद पर छिड़ककर भी खाया जा सकता है। अलसी का इस्तेमाल फ्रूट स्मूदी में डालकर भी किया जा सकता है।-शुभदा भनोत चीफ न्यूट्रीशनिस्ट एंड डाइबिटीज एजूकेटर, मेदांता दि मेडिसिटी, गुड़गांवसेहत के लिए तोहफा अलसी के बीजों का सेवन सेहत के लिए हर मायने में लाभप्रद है। मेरी राय में अलसी सेहत के लिए एक तोहफे के समान है। अलसी के बीजों का सेवन पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर में भी लाभप्रद है। ऐसा माना जाता है कि अलसी में लिगनैंस नामक जो तत्व होता है, वह प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए लाभप्रद है। इसे अलावा अलसी के बीजों का सेवन पेट दर्द, कब्ज, पेट में गैस बनने से होने वाले दर्द और मतली (जी मिचलाने) में भी फायदेमंद है। इस संदर्भ में याद रखें कि सिर्फ अलसी के सेवन को ही किसी रोग के ट्रीटमेंट (इलाज) का आधार नहीं बनाया जा सकता।-भक्ति सामंत चीफ न्यूट्रीशनिस्ट, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई
आहार द्रव्यों के रूप में प्रयोग होने वाली कई वस्तुओं में विशेष गुण होने के कारण उनका औषधीय महत्व भी काफी होता है, उन्हीं द्रव्यों में से एक है अलसी। आयुर्वेद के अनुसार अलसी वात विकारों को दूर करती है। अलसी के बीज और इससे प्राप्त तेल का चिकित्सा में उपयोग किया जाता है।टिप्स काम की
-अलसी के बीजों को कूटकर, पानी मिलाकर, पकाकर प्रभावित जगह पर लगाने से सूजन दूर होती है। ’
-अलसी को शरीर की ग्रंथि (गांठ) पर लगाने से वह जल्दी फूट जाती है। ’
-इसके तेल को चूने के पानी के साथ मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाने से आराम मिलता है। ’
-अलसी के बीजों का काढ़ा खांसी में उपयोगी रहता है। ’
-अलसी का सेवन मांसपेशियों में होने वाले दर्द को कम करने में सहायक है। ’
-अलसी का तेल कब्ज, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, हृदय विकार और मानसिक कमजोरी को दूर करने में सहायक है। ---आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श के बाद ही उपर्युक्त मर्जों या विकारों में अलसी के तेल का प्रयोग करें। ’
-अलसी का सेवन प्रोस्टेट की बढ़ी हुई अवस्था व मूत्र मार्ग संबंधी अन्य विकारों में भी उपयोगी है।प्रयोगएक चम्मच लगभग पांच ग्राम आवश्यकता के अनुसार गर्म या सादे खाद्य पदार्र्थों के साथ मिलाकर लें।
धीमी आंच पर इसके बीजों को सेंककर पानी के साथ भी लिया जा सकता है।न करें सेवनगर्भावस्था, एलर्जी, रक्तस्राव संबंधी विकार, आंतों में रुकावट आदि स्वास्थ्य समस्याओं में अलसी का सेवन नहीं करना चाहिए।-डॉ. प्रताप चौहान आयुर्वेद विशेषज्ञ, फरीदाबादप्रस्तुति: विवेक शुक्लायह भी पढ़ें : सेहत की दोस्त है हरी मिर्च