अगर दूध को लेकर हैं ये सारे भ्रम तो अभी करें दूर
दूध न सिर्फ बच्चों, बल्कि बड़ों के लिए भी जरूरी है लेकिन किस उम्र में कितना दूध पीना चाहिए या सेहत के लिए कौन सा दूध ज़रूरी है, इसे लेकर अब भी कई तरह के भ्रम बने हुए हैं।
हम लोग बचपन से दूध पीतेे आए हैं। यह भी सुनते आए हैं कि दूध सेहत के लिए अच्छा होता है। दूध ही नहीं, इससे बने अन्य आहार जैसे- दही, छाछ, घी, मक्खन और पनीर के भी अपने फायदे हैं लेकिन यह दुविधा भी हमेशा रहती है कि इनका उपयोग कब, कितना और किस समय किया जाए।
धारणाएं और सच्चाईभ्रम : एस्थमा के रोगी न पिएं दूध
सच : इसे सही नहीं कहा जा सकता। इस बारे में कोई साइंटिफिक तथ्य नहीं है कि दूध पीने से बलगम ज्यादा बनने लगता है या एस्थमा के मरीजों को दिक्कत होती है।
भ्रम : अच्छा नहीं है सोया मिल्क
सच : सोया मिल्क में भी गाय या भैंस के दूध की तरह तमाम फायदेमंद पोषक तत्व होते हैं, जैसे- कैल्शियम, विटमिन डी और प्रोटीन। सोया मिल्क का फायदा यह है कि इसमें कोलेस्ट्रॉल या सैचुरेटेड फैट नहीं होता, जबकि गाय या भैंस के दूध में ये पाए जाते हैं।
भ्रम : दूध कैल्शियम का इकलौता सोर्स
सच : दूध ही कैल्शियम का इकलौता और बेस्ट सोर्स नहीं है। असलियत यह है कि गाय के दूध में मौजूद कैल्शियम को हमारा शरीर बमुश्किल ही सोख पाता है। हरी सब्जियां जैसे कि पालक, ब्रॉक्ली, सोयाबीन आदि में काफी मात्रा में कैल्शियम होता है।
भ्रम : दूध से हो सकते हैं मुंहासे
सच : डाइट की मुंहासों में खास भूमिका नहीं होती। दूसरे फैक्टर जैसे कि स्किन टाइप, जेनेटिक्स, हॉर्मोंस और प्रदूषण आदि मुंहासों की मुख्य वजह बनते हैं। ऐसे में दूध को लेकर सवाल उठाना सही नहीं है।
भ्रम : स्किम्ड, टोंड से बेहतर फुल क्रीम
सच : स्किम्ड मिल्क में एक फीसदी से भी कम फैट होता है। पांच साल से बड़े बच्चे इसे आराम से पी सकते हैं। इसमें विटमिन ए और डी ऊपर से डाले जाते हैं ताकि फैट निकालने के दौरान घटने वाले विटमिंस की पूर्ति आसानी से हो सके।
भ्रम : फ्लेवर्ड मिल्क अच्छा नहीं
सच : फ्लेवर्ड मिल्क में भी आम दूध की तरह तमाम न्यूट्रिएंट्स होते हैं। बच्चे इसे आराम से पी सकते हैं। हालांकि चीनी की मात्रा ज्यादा होने की वजह से फिजिकली ज्यादा ऐक्टिव न रहने वाले लोग इसे कम पिएं तो अच्छा है।
भ्रम : जितना चाहें, दूध पी सकते हैं
सच : जरूरत से ज्यादा दूध पीने से शरीर में आयरन की कमी हो सकती है। कैल्शियम आयरन सोखने के प्रोसेस में रुकावट डालता है। बच्चे अगर दूध ज्यादा पीते हैं तो उनका वजन कम रह जाता है क्योंकि दूध से पेट भरने के बाद वे पूरा खाना नहीं खाते। प्रोटीन रिच होने के कारण भूख भी कम लगती है।
गाय या भैंस का दूध
गाय और भैंस के दूध के मुकाबले पाउडर मिल्क बेहतर है क्योंकि गाय या भैंस के दूध में मिलावट की गुंजाइश होती है। हां, अगर अपने सामने दूध निकलवा कर लेते हैं तो गाय या भैंस का दूध पीने में कोई खराबी नहीं है। भैंस के दूध में गाय के दूध के मुकाबले ज्यादा फैट होता है। गाय के 100 मिली दूध में करीब 65-70 कैलरी होती है, जोकि मां के दूध जितनी ही है। गाय के दूध में फैट भी कम होता है। भैंस के 100 मिली दूध में 117 कैलरी होती है। मोटापे से ग्रस्त लोगों को भैंस के दूध से परहेज करना चाहिए और कोलेस्ट्रॉल के मरीजों को गाय के दूध से।
टोंड या डबल टोंड दूध
कोलेस्ट्रॉल और फैट से बचने के लिए टोंड या डबल टोंड दूध पीना बेहतर है। फुल क्रीम दूध में 7-8त्न, टोंड में 3त्न और डबल टोंड दूध में 1.5त्न तक फैट होता है। बच्चों को फुल क्रीम मिल्क ही देना चाहिए। 6 महीने तक के बच्चों के लिए मां का दूध ही बेहतर होता है। बच्चों को 1 साल के बाद पैकेट वाला फुल क्रीम दूध दे सकते हैं।
टेट्रा पैक दूध
टेट्रा पैक दूध की क्वॉलिटी बाकी दूध से बेहतर नहीं होती। बस, पैकिंग का फर्क है। यह सच है कि इस पैकिंग में दूध लंबे वक्त तक खराब नहीं होता लेकिन यह गलत है कि टेट्रा पैक दूध दूसरे दूध से बेहतर है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, आमतौर पर एक वयस्क रोजाना 1000 से 1200 एमजी तक कैल्शियम लेता है। एक गिलास दूध में 285 एमजी तक कैल्शियम होता है। शरीर इस कैल्शियम का इस्तेमाल हड्डियों और दांतों को मजबूत करने के लिए करता है। नियमित सही मात्रा में दूध पीने से उम्र बढऩे के साथ हड्डियों को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। दूध में मौजूद फॉस्फोरस कैल्शियम को सोखने और हड्डियों को बचाए रखने में मदद करता है।
पहचानें दूध की क्वॉलिटी
दूध के रंग, स्वाद और गाढ़ेपन से उसकी क्वॉलिटी की पहचान की जा सकती है। अगर इनमें कुछ असामान्यता नजर आए तो दूध में मिलावट हो सकती है। इसके अलावा, दूध में उंगली डाल कर भी देख सकते हैं। अगर दूध में ज्यादा मात्रा में पानी होगा तो वह ऊपर की तरफ आ जाएगा।
किस उम्र में कितना दूध
दूध एक कंप्लीट फूड है। दूध और अंडा ही ऐसे फूड आइटम हैं, जो संपूर्ण आहार हैं। दूध में सारे जरूरी प्रोटीन और अमीनो एसिड्स पाए जाते हैं। दूध में बस आयरन और विटमिन सी कम पाया जाता है।
0 से 1 साल
इस उम्र के बच्चों को गाय, भैंस या पैकेट का दूध नहीं देना चाहिए। इनके लिए मां का दूध सबसे अच्छा है। किसी वजह से मां फीड नहीं करा सकती तो फॉम्र्युला मिल्क दे सकते हैं।
0-6 महीना
600 मिली तक रोजाना
6-12 महीना
एक से सवा लीटर रोजाना
1 से 2 साल
इन बच्चों को ब्रेन के बेहतर विकास के लिए ज्यादा फैट वाली डाइट की जरूरत होती है, इसलिए फुल क्रीम मिल्क देना चाहिए। इनके लिए दिन में 3-4 कप दूध (करीब 800-900 मिली) जरूरी है।
2 से 3 साल
2 से 3 साल के बच्चों को रोजाना दो कप दूध या दूध से बनी चीजें देनी चाहिए।
4-8 साल
इस उम्र के बच्चों को ढाई कप दूध और दूध से बनी चीजों जैसे- पनीर, दही आदि रोजाना देना जरूरी है।
9 साल से ज्यादा
9 साल से बड़े बच्चों को रोजाना करीब तीन कप दूध या दूध से बने हुए उत्पाद जैसे- दही, पनीर आदि देना चाहिए। शारीरिक रूप से ऐक्टिव टीनएजर्स को रोजाना करीब 3000 कैलरी की जरूरत होती है। इन्हें 4 कप तक दूध और दूध से बनी चीजें दे सकते हैं। हड्डियों की मजबूती के लिए दूध जरूरी है, इसलिए बच्चों को ही नहीं, बड़ों को भी दूध जरूर पीना चाहिए। वयस्कों को फुल क्रीम के बजाय टोंड या स्किम्ड मिल्क पीना चाहिए। एक ग्लास फुल क्रीम दूध में 146 कैलरी, 8 ग्राम फैट, इतने ही टोंड दूध में 102 कैलरी और 2 ग्राम सैचुरेटेड फैट होता है। स्किम्ड मिल्क में 83 कैलरी होती है। इसमें फैट नहीं होता।
संगीता सिंह
इनपुट्स : डॉ. मृदुला पांडे, चीफ न्यूट्रिशनिस्ट, मैक्स हॉस्पिटल, गाजियाबाद