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सर्जरी के बगैर संभव है हृदय रोगों का इलाज

बीते कुछ सालों में हृदय रोगों के उपचार में अत्यंत प्रगति हुई है। चाहे दिल के क्षतिग्रस्त वाल्व की बात हो या अवरुद्ध हो चुकी धमनी की, पीड़ित शख्स न्यूनतम पीड़ा वाले सबसे सुरक्षित विकल्प और सर्वोत्तम परिणामों की अपेक्षा कर सकते हैं। आइए जानते हैं, उन आधुनिक तकनीकों के

By Edited By: Updated: Tue, 04 Mar 2014 01:45 PM (IST)
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बीते कुछ सालों में हृदय रोगों के उपचार में अत्यंत प्रगति हुई है। चाहे दिल के क्षतिग्रस्त वाल्व की बात हो या अवरुद्ध हो चुकी धमनी की, पीड़ित शख्स न्यूनतम पीड़ा वाले सबसे सुरक्षित विकल्प और सर्वोत्तम परिणामों की अपेक्षा कर सकते हैं। आइए जानते हैं, उन आधुनिक तकनीकों के बारे में जो कुछ हृदय रोगों के इलाज में सुरक्षित व कारगर साबित हुई हैं..

ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट(टीएंवीआर)

यह 'ओपन हार्ट सर्जरी' के बगैर वाल्व बदलने की एक तकनीक है। हृदय एक मांसपेशीय पम्प है, जो लिवर, गुर्दो, और मस्तिष्क के सभी भागों को ऑक्सीजनयुक्त रक्त भेजता है। 'एओर्टिक वाल्व' रक्त को केवल एक दिशा (आगे की ओर) में प्रवाहित करता है। जन्म से इस वाल्व में विकार या दोष के कारण या उम्र बढ़ने के कारण, इस वाल्व में कैल्शियम जमने लगता है। इस कारण यह सकरा हो जाता है और पूरी तरह खुल नहीं पाता। इससे खून का मस्तिष्क में और शेष शरीर में आना रुक जाता है। ऐसी स्थिति को 'एओर्टिक स्टेनोसिस' कहा जाता है। एओर्टिक स्टेनोसिस लगभग 4 से 5 प्रतिशत बुजुर्गो को प्रभावित करता है और गंभीर रूप से प्रभावित होने पर अधिकांश पीड़ित लोगों की कालांतर में मृत्यु हो जाती है।

हाल में ही, इस वाल्व के स्थान पर नया वाल्व लगाने का एकमात्र तरीका एक प्रमुख ऑपरेशन था, जिसमें रोगी को 'बाईपास पम्प' पर रखने और नया वाल्व डालने के लिए हृदय को खोलने की जरूरत पड़ती थी। अब चिकित्सा विज्ञान में मिली सबसे बड़ी सफलताओं में से एक में, यह कार्य कैथ लैब में एंजियोप्लास्टी जैसी प्रक्रिया की तरह, जांघ से ऊपर के स्थान में छिद्र करके ऑपरेशन के बगैर किया जा सकता है। यह प्रक्रिया लगभग दो घंटे तक चलती है। इसके अलावा गैर सर्जिकल होने के कारण, यह अधिक सुरक्षित होती है। रोगी को तीन से चार दिनों के अंदर छुट्टी दी जा सकती है। इस प्रक्रिया की विशेष रूप से उन बुजुर्गो के लिए उपयोगिता ज्यादा है, जिनकी अधिक उम्र के कारण सर्जरी करना जोखिम भरा होता है।

हाल में हमारी टीम ने देश में पहली बार तीन रोगियों (जिनकी उम्र 71, 72 व 80 साल की है) के सफल उपचार के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया। गंभीर एआर्टिक स्टेनोसिस से पीड़ित इन रोगियों को जोखिम के कारण सर्जरी के लिए मना कर दिया गया था और इलाज न करने से अगले दो वर्षो में इनकी मौत हो सकती थी। ये तीनों रोगी तेजी से स्वस्थ हुए और अब सभी तरह की गतिविधियों के साथ सामान्य जीवन जी रहे हैं।

बॉयोएब्जॉर्बेबल स्टेंट

जब हृदय की धमनियां कोलेस्ट्रॉल जमा होने से अवरुद्ध हो जाती हैं, तो इस स्थिति में दिल के दौरे पड़ सकते हैं। हृदय-धमनी रोग के उपचार में सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली और सफल उपचारों में से एक एंजियोप्लास्टी है। एंजियोप्लास्टी के अंतर्गत दवा की पर्त वाले छोटे स्टेनलेस स्टील के स्प्रिंग जैसे साधन रुकावट हटाने और धमनियों को खुला रखने के लिए धमनियों में डाले जाते हैं, जिन्हें 'ड्रग इल्यूटिंग स्टेंट' कहा जाता है। गौरतलब है कि दिल की धमनियों में जिंदगी भर धातु के टुकड़े पड़े रहने से कुछ हानियां होती हैं। जैसे रोगी को जिंदगी भर रक्त पतला करने वाली दवा लेनी पड़ती है। अब प्लास्टिक जैसे पदार्थ से बने ऐसे 'स्टेंट' आ गए हैं जो हृदय की धमनियों को खोलने के बाद दो वर्षो में धमनियों को सामान्य रूप में छोड़ने के बाद, धीरे-धीरे घुल जाते हैं और समाप्त हो जाते हैं।

रीनल डिनर्वेशन थेरेपी

एक नया उपचार सामने आया है, जिसे रीनल डिनर्वेशन थेरेपी कहा जाता है। यह एक ऐसा उपचार है, जिसमें एक संक्षिप्त गैर सर्जिकल एंजियोप्लास्टी जैसी चिकित्सा प्रक्रिया के द्वारा गुर्दे में जाने वाली नसों को माइक्रोवेव कैथेटर से अवरुद्ध किया जाता है। अगले दिन से रोगी चलने लगता है और उसे छुट्टी दे दी जाती है। इस प्रक्रिया से अनियंत्रित रक्तचाप को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। इस चिकित्सा प्रक्रिया को अनियंत्रित रक्तचाप की समस्या का एक बार में ही किया जाने वाला इलाज माना जा रहा है। इससे रक्तचाप की जिंदगी भर चलने वाली दवाओं से छुटकारा मिल सकता है।

(डॉ. अशोक सेठ

चेयरमैन-फोर्टिस एस्कॉ‌र्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली)