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नमाज पढऩे में छिपा है सेहत का राज

नमाज अदा करते समय की गयी क्रियायें हमारे शरीर को निरोगी रखने में मदद करती हैं।

By Babita kashyapEdited By: Updated: Thu, 16 Jun 2016 03:44 PM (IST)
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नमाज अदा करने का तरीका अपने आप में एक योग ही है। जिस प्रकार सूर्य नमस्कार के दौरान किए गये आसन हमें स्वस्थ और निरोगी रखते हैं उसी प्रकार उसी प्रकार नमाज के दौरान की कई क्रियाओं से हमें स्वास्थ्य लाभ भी होता है। नमाज पढऩे के 5 तरीके होते हैं।

नियत

नमाज अदा करते समय पहले चरण में व्यक्ति अपने दोनों हाथों को पहले ऊंचा करके पैरों को जोड़कर खड़ा होता है और फिर अपने हाथों को छाती पर एक दूसरे के ऊपर रखता है।

स्वास्थ्यवद्र्धक फायदा-

इस पोजिशन का सीधा फायदा व्यक्ति के मन और शरीर पर पड़ता है और छाती के बीचोंबीच हाथ रखने के कारण वह हार्ट, लंग्स और परिसंचरण तंत्र के कार्य को अपने कंट्रोल में रख पाता है। छाती पर हाथ रखने से हृदय चक्र भी प्रभावित होता है जिससे प्यार, सहानुभूति जैसे भाव का संचार होता है। एक बार हृदय चक्र के संचारित होने पर मन शांत और केंद्रित हो जाता है जिससे व्यक्ति का संबंध ब्रह्माण्डीय ऊर्जा से हो पाता है।

रूकू

ये नमाज अदा करने का दूसरा चरण होता है जिसमें व्यक्ति झुकता है और अपने हथेलियों को घुटनों पर रखता है।

स्वास्थ्यवद्र्धक फायदा-

ये पोजिशन अद्र्ध उत्तानासना के तरह ही होता है। इससे आपके पीठ की मांसपेशियों को लचीला होने में मदद मिलती है साथ ही पेट और आंत के ऑर्गन को बेहतर तरीके से काम कर पाते है । इसके अलावा आगे की तरफ झुकने के कारण किडनी का फंक्शन अच्छा होता है और ब्रेन, आंख, मुँह, नाक और लंग्स में ब्लड का सर्कुलेशन बेहतर होता है। घुटनों पर हाथ रखने के कारण पूरे शरीर को भरपूर ऊर्जा मिलती है।

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सजदा

इस पोजिशन में व्यक्ति अपने दोनों पैरों को पीछे की तरफ मोड़कर बैठता है। इसी तरह वह बैठकर आगे की तरफ झुककर अपने नाक और कपाल से फर्श को छूता है और हाथों को मुंह के दोनों तरफ रखता है।

स्वास्थ्यवद्र्धक फायदा-

ये पोजिशन कुछ हद तक वज्रासन के तरह ही है। इससे आपका डाइजेस्टिव ट्रैक्ट बेहतर तरीके से काम कर पाता है और हजम शक्ति बढ़ती है। सबसे रोचक की बात ये है कि इस पोजिशन में आपकी एडिय़ां कंध अंग को स्पर्श करती है जो मलद्वार के 12 इंच ऊपर को छूता है जिससे 72,000 नर्वस को मसाज मिलती है और इससे शरीर के पूरे निचले अंग को मालिश मिल जाती है। इसके साथ घुटनों के बल झुकने पर उसके कार्टिलेज लचीले हो जाते हैं।

साथ ही कपाल और नाक से फर्श को स्पर्श करने पर चुंबकीय ऊर्जा का संचरण होता है और चक्र बेहतर तरीके से काम करने लगते हैं।

अंतिम चरण

एक बार नमाज अदा करने की प्रक्रिया खत्म होने को आती है तो अंत में व्यक्ति दाहिने और बांये सिर को घुमाता है।

स्वास्थ्यवद्र्धक फायदा-

इस तरह सिर को घुमाने पर गर्दन और कंधों के मांसपेशियों को तनावमुक्त होने में मदद मिलती है।

अंतत: दिन में 5 बार नमाज अदा करते समय यही क्रियायें दोहराने पर पूरे शरीर को फिट और हेल्दी रखने में बहुत मिलती है। इससे एकाग्रता बढऩे के साथ-साथ पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार भी होता है।

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