एवलांच व बाढ़ से भी बंद नहीं होगी रोहतांग सुरंग की राह
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मनाली-लेह मार्ग पर सफर करना अब और भी आसान हो जाएगा।
By Munish DixitEdited By: Updated: Sun, 16 Jul 2017 11:38 AM (IST)
जसवंत ठाकुर, धुंधी (मनाली): सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मनाली-लेह मार्ग पर सफर करना अब और भी आसान हो जाएगा। इस मार्ग पर सर्दियों में ग्लेशियर के खतरे और बरसात में बाढ़ में खतरे को दूर करने के लिए बीआरओ सोलंगनाला से सुरंग के साउथ पोर्टल धुंधी तक एवलांच विरोधी सुरंग बना रहा है। बीआरओ ने एक सुरंग तैयार भी कर ली है। जिस पर बरसात के दिनों में सुरक्षित सफर किया जा रहा है। इस मार्ग पर सफर को ओर सुरक्षित बनाने के लिए साउथ पोर्टल में जहां ग्लेशियरों को रोकने के लिए 13 अवलांच विरोधी टनलों का निमार्ण कार्य किया जा रहा है वहीं नोर्थ पोर्टल में भी 5 स्टक्चरों का निमार्ण किया जाना है।
सामरिक रुप से देश को मजबूती देने वाली रोहतांग सुरंग लाहुलियों के जीवन शैली को बदलने जा रही है। 5 महीने से अधिक देश व दुनिया से कटे रहने वाली लाहुल घाटी इस साल कुल्लू से जुड़ी रहेगी। सभी के जीवन में रंग भरने वाली महत्वकांक्षी रोहतांग सुरंग के दोनों छोर कुछ ही महीनों में जुडऩे जा रहे हैं।
बीआरओ की माने तो सुरंग के नोर्थ पोर्टल धुंधी के समीप आपात स्थिति को लेकर हेलिपेड व अस्पातल बनाने की भी योजना है। बीआरओ सेना की लाइफ लाइन कही जाने वाली रोहतांग सुरंग को दोनों छोर अक्टूबर 2017 में जुड़ रहे हैं जबकि 2019 तक सुरंग तैयार कर ली जाएगी।सुरंग का निमार्ण कार्य एफकॉन-स्ट्राबैग कंपनी कर रही है जबकि डिजाइनिंग का कार्य स्मैक कंपनी की देखरेख में चल रहा है। भारत की अति आधुनिक टनलों में से एक यह टनल होगी तथा इसमें जहां टबल लाइन सड़क का निमार्ण होगा वहीं जगह-जगह पर सुरक्षा की दृष्टि को मध्य नजर रखते हुए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे। संगठन का कहना है कि आपातकालीन संपर्क सुविधा के साथ-साथ संकट द्वारों का भी निर्माण किया जाएगा। सीमा सड़क संगठन रोहतांग टनल प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर एनएम चंद्राराणा ने कहा कि न्यू आस्ट्रिया टनलिंग मेथड से बन रही 8.8 किमी लंबी इको फ्रैंडली रोहतांग सुरंग समय अवधि पर ही बनकर तैयार होगी। उन्होंने कहा कि यह सुरंग पूर्णतया कंप्यूटरीकृत होगी तथा यह हाई हिमालय रेंज में बनने वाली एशिया की सबसे बड़ी अग्निरोधक सुरंग होगी।
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