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प्रेगनेंट वूमेन के कमरे में Cute Baby की तस्वीर लगाने से पहले ये पढ़ लें

प्रेगनेंसी से जुड़े बहुत से मिथक जिन्हें लोग आज भी मानते हैं। आइये आपको बताते हैं आखिर क्या है इनकी सच्चाई....

By Babita KashyapEdited By: Updated: Thu, 20 Jul 2017 05:03 PM (IST)
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प्रेगनेंट वूमेन के कमरे में Cute Baby की तस्वीर लगाने से पहले ये पढ़ लें
गर्भावस्था किसी भी महिला के जीवन के वो सुखद पल है जिसे वो कभी भी नही भूलना चाहती। वह अपने होने वाले बच्चे की कल्पनाओं में खोयी रहती है और चाहती है कि उसका बच्चा सुंदर और स्वस्थ पैदा हो। ऐसी स्थिति में सलाह देने वाले लोग भी बहुत होते हैं समझ में नही आता कि किस कि बात मानी जाये और किसे इग्नोर करा जाये। गर्भावस्था से जुड़े ऐसे बहुत से मिथक भी हैं जो जिन्हें लोग सदियों से मानते आ रहे हैं। हेल्थसाइट.कॉम के अनुसार ऐसे ही कुछ मिथकों सच्चाई हम आज आपके सामने लाये हैं।

मिथक 1- दीवार पर बच्चे की सुंदर सी तस्वीर लगाने से आपका बच्चा भी वैसा ही सुंदर पैदा होगा।

सच्चाई- किसी भी नवजात का चेहरा उसके जेनेटिक गुणों पर निर्भर करता है। खूबसूरत बच्चों की तस्वीरें दीवार पर लगाने से आपका बच्चा वैसा नहीं दिखेगा। हालांकि ऐसी तस्वीरों को देख प्रेगनेंट महिला पॉजिटिव महसूस करेगी, जिससे उसकी सेहत पर अच्छा असर पड़ेगा।

मिथक 2- सातवें महीने के बाद नारियल पानी पीने से बच्चे का सिर नारियल जैसा हो जाता है।

सच्चाई- नारियल पानी पोटैशियम का स्रोत है और ये पेट के लिए अच्छा होता है। नारियल पानी का बच्चे के सिर के आकार पर कोई असर नहीं पड़ता।

मिथक 3- बेबी के सिर पर बहुत अधिक बाल होने की वजह से गर्भावस्था के दौरान मां को एसिटिडी की समस्या होती है।

सच्चाई- नहीं, ये गलत है। थर्ड सेमेस्टर में बच्चा सिर नीचे करके लेटा रहता है। मां को एसिटिडी उसके बढ़ते पेट के कारण होती है। यूट्रस बढ़ता है और आंतों को ऊपर की ओर ढकेलता है जिससे बदहजमी, एसिडिटी और कब्ज की समस्या होती है।

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मिथक 4 - सुबह-सुबह सफेद चीज खाने से, बच्चा गोरा पैदा होता है।

सच्चाई- अगर ऐसा होता तो किसी को भी गोरा बनाने के लिए दूध-ब्रेड काफी होता! आप जिस भी चीज को खाती हैं उसके रंग का लेना देना आपके शिशु के रंग से नहीं होता। शिशु का रंग आनुवांशिकी पर निर्भर करता है।

मिथक 5 - ग्रहण लगने के दौरान बाहर निकलने या बाहर काम करने से बच्चे पर असर पड़ता है।

सच्चाई- ग्रहण लगना ये एक प्राकृतिक घटना है, इसका बच्चे पर निश्चित रूप से कोई असर नहीं पड़ता। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप नंगी आंखों से इसे देखें। सभी लोगों की तरह प्रेगनेंट महिलाओं को भी सामान्य सावधानियां बरतनी चाहिए।

मिथक 6- पेट के आकार से बच्चे का लिंग निर्धारण मुमकिन है।

सच्चाई- बच्चा जिस तरीके से गर्भ में लेटा होगा पेट का आकार वैसा दिखेगा। इसके आकार से बच्चे का लिंग निर्धारण मुमकिन नहीं है।

मिथक 7- प्रेगनेंसी के दौरान खाने-पीने की आदतों से भी ा लिंग निर्धारण किया जा सकता है।

सच्चाई- प्रेगनेंसी क्रेविंग शरीर में पोषक तत्वों के कमी से होती है न कि लड़के और लड़की की वजह से। ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे ये बात साबित हो कि गर्भस्थ शिशु लड़का है या लड़की।

मिथक 8- मां के रंग से शिशु का लिंगनिर्धारण होता है।

सच्चाई- प्रेगनेंसी के दौरान स्किन कलर में बदलाव हार्मोन्स के कारण होते हैं। गले पर धब्बे, डार्क अंडरआर्म्स और कई बार चेहरे का रंग गहरा होना, जिसे प्रेगनेंसी मास्क कहते हैं।

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मिथक 9- घी या तेल के सेवन से डिलीवरी के दौरान शिशु वैजाइना से फिसलकर आराम से आ जाता है।

सच्चाई- ये सही नहीं है। घी या तेल सिर्फ आपकी कैलोरी बढ़ाते हैं, और डिलीवरी के बाद वजन घटाना बहुत मुश्किल हो जाता है। अच्छा तो यही होगा कि चिकनाई युक्त चीजों की बजाय आप हेल्दी चीजें खाएं।

मिथ 10- प्रेगनेंट महिलाओं को दो लोगों की डायट लेनी चाहिए क्योंकि वो दो के लिए खा रही हैं।

सच्चाई- ऐसा कहा जाना बहुत आम है, लेकिन उतना ही गलत भी। आप दो लोगों के लिए खा जरूर रही है लेकिन आपको खाने की मात्रा डबल नहीं करनी। आपकी डाइट जितनी हेल्दी होगीा उतना अच्छा है इसके लिये भोजन में फलों, हरी सब्जियों, दूध और दालों को शामिल करें।

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