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बचत और निवेश के साथ इन खर्चो का भी रखें ध्यान

बचत और निवेश तो हर कोई करता है पर इससे भी ज्यादा जरूरी है बाजार के उतार-चढ़ाव पर हो आपकी पूरी नजर

By Babita kashyapEdited By: Updated: Fri, 26 Aug 2016 03:59 PM (IST)
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महिलाएं बचत में तो आगे हैं ही अब धीरे-धीरे निवेश में भी अपनी स्थिति मजबूत कर रही हैं। पर बढ़ती मंहगाई के इस दौर में अपनी जीवनशैली को आरामदायक बनाने के लिए केवल बचत और निवेश करना पर्याप्त नहीं। अचानक आने वाले खर्र्चों को लेकर आपको तैयारी करनी ही पड़ती है। फिर वो चाहे बच्चों की स्कूल

फीस में बढ़ोत्तरी हो, बीमारी या अचानक आने वाली कोई मुश्किल। अपने मौजूदा निवेश का नियमित आंकलन और नए विकल्प तलाशना भी बेहद जरूरी है ताकि आप निवेश का अधिकतम लाभ उठा सकें।

जरूरी है इमरजेंसी फंड

हर किसी के लिए अपनी आमदनी के अनुसार कम से कम दो से छह महीने के खर्च भर राशि बचाकर रखना बहुत जरूरी है। किसी दुर्घटना, लंबी बीमारी या अचानक आई परेशानी के लिए

इमरजेंसी फंड का होना बेहद जरूरी है ताकि आकस्मिक स्थिति में आपको दूसरों से मदद न लेनी पड़े। यदि आप किसी तरह की ईएमआई का

भुगतान कर रही हैं तो भी कम से कम तीन महीने की किस्त जितनी रकम इमरजेंसी फंड में जरूर

रखें। यह इसलिए भी बेहद जरूरी है कियाज का गणित एसबीआई के चीफ मार्केटिंग एक्जक्यूटिव अजय मेहरोत्रा बताते हैं, 'आपने एफडी, आरडी या म्युचुअल फंड में जहां भी निवेश किया है, वहां मिलने वाले ब्याज दर के उतार-चढ़ाव की

पूरी जानकारी रखें। इसके साथ ही अपनी तनख्वाह पर आयकर कटौती के बारे में पूरी जानकारी जुटाएं। बैंक समय समय पर एफडी और खुदरा मंहगाई दर की नीतियों पर उतार-

चढ़ाव लाती रहती हैं इस पर भी नजर रखें ताकि आपका निवेश का कैल्कुलेशन गड़बड़ न हो जाए। आजकल अलग-अलग बैंक एफडी पर अलग ब्याज देते हैं। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीतियों के अनुसार इस ब्याज दर में भी उतार-चढ़ाव

आता ही रहता है। ऐसे में निवेश को जोडऩे के लिए एफडी के ब्याज में से खुदरा मंहगाई दर को घटा देंतो आपको आपके निवेश पर मिलने वाले ब्याज का पता चल जाता है। इस कैलकुलेशन के हिसाब से आप अपने हर निवेश का पता लगा सकती हैं।

नियमित आकलन है जरूरी

फाइनेंशियल एक्सपर्ट राहुल बताते हैं, 'अपनी आमदनी, खर्च और निवेश के नियमित आंकलन के जरिए ही वित्तीय योजना बनाना फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर आपने घर या कार खरीदने के लिए लोन लिया है तो

उसका आंकलन भी जरूरी है। कर्ज आपके निवेश और वित्तीय लक्ष्य पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इसी तरह यह भी देखें कि परिवार के पास जीवन और स्वास्थ बीमा का पर्याप्त कवर है या नहीं। बीमा कवर कम

लगे तो आंकलन के बाद उसे बढ़ाने पर विचार कर सकती हैं। इलाज पर खर्च जिस तरह मंहगा होता जा रहा है उसे देखते हुए हेल्थ इंश्योरेंस कवर का आंकलन करके उसे बढ़ाने का भी निर्णय ले सकती हैं।'

आरती तिवारी

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