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ऑनलाइन शॉपिंग न पड़ जाए फ्राड का फंदा

जमाना ऑनलाइन का है और ई-कॉमर्स भी तेजी से पांव पसार रहा है। ऐसे में ऑनलाइन शॉपिंग में ठगी भी आम है। पर थोड़ी सी सूझ-बूझ आपको बचा सकती है इस धोखाधड़ी से

By Babita kashyapEdited By: Updated: Sat, 22 Oct 2016 10:08 AM (IST)
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सनाया को ऑनलाइन शॉपिंग का बेहद शौक है। कुछ भी नया और ट्रेंडी आया नहीं कि उसको तुरंत ऑर्डर कर देती हैं। पर उसका यह शौक तब भारी पड़ गया जब ऑर्डर की गई हेयर स्टे्रटनिंग मशीन डिलिवरी के वक्त ही टूटी हुई थी। अब पेमेंट तो ऑनलाइन कर दी थी तो उसको वापस करने और पैसे रिटर्न करने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ी।

ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं और जब मौसम हो त्योहारों का तो इस तरह की बातें और भी आम हो जाती हैं। ऐसे में अगर आप भी ऑनलाइन शॉपिंग कर रही हैं तो रखें कुछ खास बातों का ख्याल ताकि त्योहारों की खुशी के बीच आपको न लगाने पड़ें कंपनी के चक्कर।

ये हो जाती हैं परेशानी

इसमें दो राय नहीं कि ऑनलाइन शॉपिंग बेहद सुविधाजनक है, फिर चाहे इलेक्ट्रॉनिक गुड्स खरीदने हों या फिर घर का कोई सामान। दुखद यह है कि ऑनलाइन शॉपिंग में कई तरह की चीटिंग शुरू हो गई हैं। कई बार होता है कि आप ऑर्डर कुछ करती हंै और या तो प्रोडक्ट पहुंचता ही नहीं या फिर कोई नकली या टूटा हुआ सामान मिलता है। यह प्रॉब्लम किसी भी स्टेज पर हो सकती है। इसके लिए पहले सेल और डिलिवरी के प्रोसेस को समझें तब जाकर ही कुछ खरीदें।

खरीददारी जांच-परखकर

ऑनलाइन शॉपिंग करते समय उस वेबसाइट की भी पूरी जानकारी जुटानी चाहिए। इस बारे में एस.एन. सेन कॉलेज की बी.ए. थर्ड ईयर की छात्रा पूजा सिंह बताती हैं, 'मैं जब भी ऑनलाइन शॉपिंग करती हूं तो सबसे पहले उस वेबसाइट की सिक्योरिटी और डोमेन नेम जरूर देखती हूं। इसकेअलावा यूआरएल में एचटीटीपीएस, फिर साइट की स्पेलिंग के अलावा डोमेन किसके नाम पर है, आदि की जानकारी लेती हूं। अगर साइट पर कोई कांटैक्ट डिटेल्स नजर नहीं आती या फिर रिटर्न पॉलिसी सही नहीं होती तो आगे बढ़ जाती हूं। अब तो कई नामी साइट प्रोडक्ट एश्योरेंस सर्विस की गारंटी देती हैं। इसके अलावा मैं प्रोडक्ट की क्वॉलिटी और डिलिवरी को लेकर लोगों की रेटिंग भी देखती हूं। कोशिश करती हूं कि कैश ऑन डिलिवरी का ऑप्शन मिले। तभी कुछ ऑनलाइन

परचेजिंग करती हूं।

अगर हो जाए ठगी

कानपुर उपभोक्ता बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व वकील गुरमीत सिंह बताते हैं, 'जैसे ही आपको पता चले कि आपका सामान खराब है तो सबसे पहले वेबसाइट या सेलर को कांटैक्ट करें। अगर आपने गांरटीशुदा एक्सचेंज या मनी बैंक पॉलिसी वाली साइट चुनी है तो फ्रॉड, प्रोडक्ट की डिटेल्स और पेमेंट के तरीके आदि की जानकारी देते हुए दिए गए नंबरों पर कॉल करें या ई-मेल भेज दें। कंपनी अपने स्तर से तुरंत उपभोक्ता से बात करती है और सामान या पैसे रिफंड करने की बात करती है। अगर साइट से एक तयवक्त तक जवाब न मिले तो आप जिला या स्टेट कंज्यूमर रिड्रेसल फोरम में शिकायत कर सकते हैं। अगर साइट नकली निकलती है तो भी पुलिस को जरूर इंफॉर्म करें ताकि दूसरे लोग ठगी से बच सकें।

- इन बातों का रखें ख्याल

- नामी रिटेलर से ही शॉपिंग करें, जिसकी एक्सचेंज और रिटर्न पॉलिसी बिल्कुल साफ हों।

- सिर्फ कम कीमत देखकर शॉपिंग न करें, सेलर की रेटिंग और खरीददारों के रिव्यू जरूर पढ़ें।

- बैक ट्रांसफर के जरिए खरीददारी न करें। क्रेडिट कार्ड या कैश ऑन डिलिवरी के जरिए खरीदें।

- अगर फायरवॉल्स या एंटी वायरस सॉफ्टवेयर नहीं है तो मोबाइल से शॉपिंग न करें।

- बेहतर है कि डिलिवरी लेने और पैकेट खोलने के दौरान बिना रुके विडियो रिकॉर्डिंग करें ताकि

पैकेट में क्या निकलता है यह रिकॉर्ड हो सके और किसी धोखे की स्थिति में यह विडियो सबूत का काम करेगा और आपका पैसा लौटाने में मदद करेगा।

धोखे कैसे-कैसे!

नकली वेबसाइट: टेक्नोलॉजी की अच्छी समझ रखने वाले ठग कई बार एक जैसे दिखने वाले लोगो और डोमेन नेम के साथ नकली साइट बना लेते हैं, जोकि बिल्कुल असली जैसी दिखती है। इनके जरिए कस्टमर से पैसा वसूलकर वे गायब हो जाते हैं।

साइट सही सेलर गलत: अगर आपको प्रोडक्ट नहीं मिला या टूटा-फूटा मिला तो वेबसाइट नहीं, सेलर या कूरियर कंपनी धोखेबाज हो सकती है। हालांकि ये साइट्स खुद भी खरीददारों की रेटिंग और दूसरे तरीकों से सेलर पर निगाह रखती है। फिर भी धोखेबाजों को पकड़ पाना मुमकिन नहीं होता।

कूरियर कंपनी का धोखा: हो सकता है साइट और सेलर, दोनों सहीं हों लेकिन अगर वे सही कूरियर कंपनी नहीं चुनें और पैसे बचाने के लिए सस्ती कंपनी चुन लें तो भी कस्टमर के साथ धोखा हो सकता है।

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