घरेलू हिंसा के खिलाफ करनी है आवाज बुलंद तो जाने अपने अधिकार
अगर आप घरेलू हिंसा से परेशान है और चाहती हैं आपकी जिंदगी अच्छी हो तो आपको इस हिंसा के खिलाफ बनाए गए कानून के बारे जानना बहुत जरूरी है, ताकि इसे मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकें ।
यदि आपके साथ घरेलू हिंसा होती है तो तुरंत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराएं। आप अपनी शिकायत मेल कर सकती हैं या डाक द्वारा भी भेज सकती हैं। इसे हाथों हाथ भी दिया जा सकता है। कंप्लेन एसएचओ (स्टेशन हाउस ऑफिसर) के नाम से लिखना होगा। अपना पूरा नाम और पता सही लिखें। आप जिनके विरोध में यह शिकायत दर्ज करा रही हैं, उनका क्रमवार नाम देते हुए पूरी डिटेल लिखें। आपको कब पहली बार मारा गया। किस दिन और किस व्यक्ति के सामने मारा गया, इन सभी के बारे में विस्तृत जानकारी दें। घर में उस समय और कौन-कौन लोग मौजूद थे। किस हथियार का उन्होंने प्रयोग किया, आपको यह भी जानकारी देनी है। इसकी दो कॉपी बनवा लें। एक कॉपी की रिसीविंग लेकर अपने पास रख लें और दूसरी उन्हें सौंप दें। इसके बाद आप थोड़ा इंतजार करें।
कई बार आपकी कंप्लेन नजदीकी वुमन सेल में ट्रांसफर कर दी जाती है। थाने के समान ही वहां भी पूरी प्रक्रिया की जाती है। दूसरी पार्टी को नोटिस भेजा जाता है और दोनों पक्षों से बातचीत की जाती है। वुमन सेल की कोशिश दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने की होती है। कोर्ट हरसंभव प्रयास करती है कि परिवार न टूटे। यदि पति माफी मांग ले और दोनों पक्ष समझौते के लिए तैयार हो जाएंतो मामला वहीं खत्म हो जाता है। अगर समझौता नहीं होता है तो केस को महिला कोर्ट भेजा जा सकता है।
वहां डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट के तहत ट्रायल होता है। दूसरी पार्टी को सम्मन भेजा जाता है। लीगल कार्रवाई की जाती है। आप मुआवजा चाहती हैं या तलाक, इसके आधार पर प्रक्रिया की जाती है। केस की गंभीरता के आधार पर छह महीने की सजा, जुर्माना या मुआवजा निर्धारित किया जाता है। यदि शरीर पर चोट के निशान हैं तो प्राइवेट की बजाय किसी सरकारी अस्पताल से ही मेडिकल रिपोर्ट लें।
[संतोष सिंह, अधिवक्ता, सुप्रीम कोट]
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