सांसदों को महंगाई में भी सस्ता भोजन
By Edited By: Updated: Wed, 31 Jul 2013 02:25 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, जम्मू : ये नेता हैं। इनके लिए हर सुविधा है। जनता भले ही महंगाई की मार झेल रही है, लेकिन सफेदपोश मौज कर रहे हैं। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले तीन साल में महंगाई ने जनता के पसीने छुड़ा दिए, लेकिन नहीं बढ़ा तो संसद कैंटीन में खाने-पीने का दाम। तीन साल पहले की कीमत पर आज भी वहां भोजन मिल रहा है। इससे सरकार को रोज 3,31,826 रुपये का चूना लग रहा है। यह हकीकत सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से सामने आई है।
वर्ष 2010 के बाद से संसद कैंटीन में खाने पीने की वस्तुओं के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। आरटीआइ कार्यकर्ता रमन शर्मा ने आरटीआइ दायर की थी। इसका जवाब लोकसभा के उपसचिव ने देते हुए कहा कि पिछले 13 साल में तीन बार 2003, 2009 और 2010 में संसद कैंटीन में खाने-पीने की वस्तुओं के दाम बढ़े हैं। अंतिम बार 14 दिसंबर, 2010 को दाम बढ़ाए गए थे। रमन शर्मा ने याचिका में यह जानकारी भी मांगी थी कि कैंटीन में लाभ या नुकसान हो रहा है। जवाब में बताया गया कि उत्तरी रेलवे बिना लाभ या नुकसान के संसद कैंटीन में वस्तुएं उपलब्ध करवा रहा है। अगर कोई नुकसान होता है तो उसकी भरपाई लोकसभा और राज्यसभा के उपलब्ध बजट से 2:1 के हिस्से के हिसाब से की जाती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार नॉन वेज मील 33 रुपये, रुमाली रोटी 1 रुपये, वेज सैंडविज 3 रुपये, परांठा 3 रुपये, दाल फ्राई 4 रुपये, पीजा 20 रुपये, खीर 8 रुपये, सांबर के साथ इडली 3 रुपये, चिकन सैंडविज 6 रुपये, शमी कबाब 14 रुपये, फिश करी 20 रुपये में उपलब्ध करवाई जाती हैं। वर्ष 2000-01 के दौरान हाउस कैंटीन का नुकसान 24665411.92 रुपये था, जो हर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है। वहीं, आरटीआइ कार्यकर्ता रमन शर्मा का कहना है कि सांसद तो सब्सिडी पर खाना खा रहे हैं, लेकिन आम जनता महंगाई में पिस रही है। यह बड़े अफसोस की बात है कि माननीय तो कम दामों पर खाने-पीने की वस्तुओं का आनंद ले रहे हैं और 130 मिलियन की आबादी वाले देश के लोग महंगाई में पिस रहे हैं।मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर
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