विस्थापित कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी पर सियासत तेज हो गई है। पंडितों के लिए कश्मीर में अलग सेटेलाइट टाउनशिप (कॉलोनी) बनाने के मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के इन्कार के बावजूद मामले को तूल देने में जुटे अलगाववादियों के समर्थकों ने शुक्रवार को लालचौक समेत कश्मीर घाटी के विभिन्न हिस्सों
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 11 Apr 2015 01:28 AM (IST)
श्रीनगर। विस्थापित कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी पर सियासत तेज हो गई है। पंडितों के लिए कश्मीर में अलग सेटेलाइट टाउनशिप (कॉलोनी) बनाने के मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के इन्कार के बावजूद मामले को तूल देने में जुटे अलगाववादियों के समर्थकों ने शुक्रवार को लालचौक समेत कश्मीर घाटी के विभिन्न हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन व पथराव किया। प्रदर्शनकारियोंपर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठियों के साथ आंसूगैस का सहारा लेना पड़ा। इस दौरान आठ पुलिसकर्मियों समेत 20 लोग घायल हो गए। वहीं पुलिस ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के चेयरमैन मुहम्मद यासीन मलिक को उनके दो दर्जन साथियों समेत हिरासत में लेकर लालचौक में धरना देने की उनकी मंशा पर पानी फेर दिया। वहीं अलगाववादियों की ओर से शनिवार को कश्मीर बंद की काल को देखते हुए सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
राज्य व केंद्र सरकार ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों की वापसी को यकीनी बनाने के लिए घाटी में टाउनशिप बसाने की योजना बनाई थी। इसमें कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ अन्य समुदाय के लोगों को भी बसाए जाने का प्रावधान है, लेकिन कश्मीर में अलगाववादी व आतंकी खेमे को ही नहीं, मुख्यधारा के राजनीतिक दलों को भी यह रास नहीं आया। सभी के विरोध को देखते हुए भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री मुफ्ती ने विधानसभा में बकायदा बयान देकर इस योजना से किनारा कर लिया, बावजूद इसके विरोध नहीं थमा।
जेकेएलएफ ने कश्मीरी पंडितों की कॉलोनी के विरोध में शुक्रवार को लालचौक में धरने और शनिवार को कश्मीर बंद का एलान कर रखा है। इसे सभी अलगाववादी और आतंकी संगठनों ने समर्थन का एलान भी किया है। हालांकि दोपहर तक स्थिति पूरी तरह शांत रही और वादी में हर जगह जनजीवन सामान्य रहा, लेकिन नमाज-ए-जुमा के संपन्न होते ही हालात बदल गए। यासीन मलिक की अगुवाई में जेकेएलएफ कार्यकर्ता उत्तेजक नारेबाजी करते हुए मैसूमा से लालचौक की तरफ निकले, लेकिन पुलिस ने दशनामी अखाड़ा के बाहर उन्हें रोक लिया। आजादी के हक में और कश्मीरी पंडितों की कॉलोनी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे जेकेएलएफ कार्यकर्ता जब नहीं रुके तो पुलिस ने मलिक व उसके दो दर्जन साथियों को हिरासत में लेकर अन्य को खदेड़ दिया। इसपर जेकेएलएफ के कार्यकर्ताओं ने पुलिसकर्मियों पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिए। उन्होंने टायर जलाए और पुलिस की गाडिय़ों को घेरकर जमकर पत्थरबाजी की। इससे लालचौक, कोकरबाजार व उनके साथ सटे इलाकों में तनाव फैल गया। स्थिति को बेकाबू होते देख पुलिस ने भी लाठियां भांजी और आंसूगैस का इस्तेमाल किया। देर शाम तक पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच ङ्क्षहसक झड़पें जारी रही।
इसके अलावा डाउन-टाउन के विभिन्न हिस्सों में भी नमाज-ए-जुम्मा के बाद कश्मीरी पंडितों की कॉलोनी के खिलाफ जुलूस निकले, लेकिन पुलिस ने जल्द ही इन पर काबू पा लिया। उत्तरी कश्मीर के सोपोर में भी नमाज के बाद भारत विरोधी जुलूस निकला। जुलूस में शामिल लोग कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए कॉलोनी पर एतराज जता रहे थे। इन लोगों को पुलिस ने जब जुलूस समाप्त करने को कहा तो वह ङ्क्षहसक हो उठे और उसके बाद से सोपोर में देर शाम तक ङ्क्षहसक झड़पें जारी थीं। बारामुला और पल्हालन में भी दोपहर बाद हड़ताल रही, लेकिन कोई ङ्क्षहसा नहीं हुई। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा और शोपियां में भी अलगाववादियों के आह्वान पर धरने और जुलूस निकाले गए।
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