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टीटीपीएस के विस्तार की जगी आस

By Edited By: Updated: Sat, 21 Sep 2013 07:26 PM (IST)
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जितेन्द्र अग्रवाल, ललपनिया : सूबे के नए ऊर्जामंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह की घोषणा से तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (टीटीपीएस) के विस्तारीकरण की फिर आस जगी है। हालांकि इसके पूर्व भी इस तरह की घोषणा की जाती रही है। बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में बनी सूबे की पहली सरकार के ऊर्जामंत्री लालचंद महतो ने इस परियोजना के विस्तार के लिए शिलान्यास भी किया था। उसके बाद द्वितीय चरण के प्लांट लगाने को कई मशीन आदि की स्थापना भी की गयी जो अब पड़ी-पड़ी जंग खा रही हैं।

ऊर्जामंत्री श्री सिंह के अनुसार टीटीपीएस के विस्तारीकरण को प्रस्तावित 1320 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना के लिए शीघ्र ही निविदा निकाली जाएगी। इस घोषणा से यह उम्मीद बंधी है कि द्वितीय चरण के प्लांट को स्थापित जंग खाती मशीनों से शीघ्र ही गर्द हटेगी और निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

उत्पादन में होगी बढोतरी : कुल 2250 मेगावाट विद्युत उत्पादन के लिए प्रस्तावित टीटीपीएस परियोजना अपने स्थापना काल से ही मात्र 420 मेगावाट उत्पादन कर रही है। इस परियोजना की स्थापना एकीकृत बिहार राज्य के समय होने के बाद झारखंड राज्य निर्माण के 13 वर्ष गुजरने के दौरान 9 मुख्यमंत्री बदले, लेकिन इसकी तस्वीर नहीं बदली। इसके विस्तारीकरण का कार्य अधर में ही लटका रहा।

13 बार मिली मंजूरी : बाबूलाल की सरकार में ऊर्जामंत्री सह टीवीएनएल के अध्यक्ष रहे लालचंद महतो ने दिसंबर 2001 में द्वितीय चरण के निर्माण के लिए शिलान्यास किया था। इसके बाद विस्तारीकरण के लिए वर्ष 04 से 07 तक 13 बार कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिली, जो बाद में निरस्त कर दी गयी।

प्रतिवर्ष गहराता जा रहा संकट : टीटीपीएस के विस्तार के लिए करोड़ों की लागत से बने प्लांट मे सीएचपी, जीसीआर, सीडब्ल्यू पंप हाउस, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, डीएन प्लांट, हाइड्रोजन प्लांट आदि जंग लगकर बर्बाद हो रहे हैं। यदि प्लांट निर्माण का कार्य शिलान्यास के बाद चलता रहता तो अब तक यह संयंत्र अपनी उत्पादित बिजली से झारखंड राज्य को विद्युतापूर्ति के मामले में आत्मनिर्भर बना सकता था। टीटीपीएस के दूसरे चरण के निर्माण कार्य में विलंब होने से राज्य में साल-दर-साल विद्युत संकट भी गहराता जा रहा है।

2003 में निकला ग्लोबल टेंडर : द्वितीय चरण के तहत 630 मेगावाट क्षमता के प्लांट निर्माण के लिए तेनुघाट विद्युत निगम रांची के जरिये 10 जून 2003 को ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किया गया। इसमें चीन की कंपनी सीएनटीआइसी, नई दिल्ली की कंपनी मेसर्स भेल और चेक गणराज्य की कंपनी स्कोडा एक्सपोर्ट ने टेंडर भरा था। उनमें टीवीएनएल बोर्ड ने स्कोडा एक्सपोर्ट को एल-वन ग्रेड देकर 2004 के अक्टूबर माह में चयनित कर उसके साथ करार किया था। वित्तीय समस्या के समाधान के लिए मेसर्स पावर फाइनेंस कारपोरेशन ने पावर प्लांट निर्माण की कुल लागत की 80 फीसद राशि बतौर ऋण देने की स्वीकृत दी थी।

बढ़ती गयी लागत : जैसे-जैसे विलंब होता गया, टीटीपीएस के द्वितीय चरण के प्लांट निर्माण की लागत भी बढ़ती गयी। वर्ष 1989-90 में द्वितीय चरण का प्लांट बनाने के लिए 650 करोड़ रुपये का खर्च निर्धारित किया गया था। 2011 में इस प्लांट पर 2300 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया गया। जाहिर है कि अब यह राशि भी बढ़ जाएगी।

''इस सरकार के शासनकाल में हर हाल में टीटीपीएस का विस्तारीकरण कर दिया जाएगा। इसके रास्ते में जो भी बाधाएं आएंगी, उसे दूर किया जाएगा।

- राजेंद्र प्रसाद सिंह, ऊर्जामंत्री, झारखंड

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