सीट छोड़ी तो अगले साल आइआइटी में नो एंट्री
यदि आपने ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (जोसा) की कॉमन काउंसलिंग में आवंटित सीट बिना किसी ठोस कारण छोड़ दी तो आइआइटी में नो एंट्री होगी।
जागरण संवाददाता, धनबाद। अगले वर्ष आप भले ही जेईई मेन में बहुत अच्छा स्कोर कर लें, लेकिन इस वर्ष यदि आपने ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (जोसा) की कॉमन काउंसलिंग में आवंटित सीट बिना किसी ठोस कारण छोड़ दी तो आइआइटी में नो एंट्री होगी। बिना किसी जानकारी के मिली सीट छोडऩे पर अगले साल आयोजित होने वाले जेईई एडवांस परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया जाएगा।
सीबीएसई द्वारा कॉमन रैंक लिस्ट (सीआरएल) जारी करने के बाद ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (जोसा) ने देशभर के 23 आइआइटी, आइएसएम धनबाद, 31 एनआइटी, 20 आइआइआइटी और 18 अन्य-सरकारी अनुदान प्राप्त तकनीकी संस्थान की बीटेक की सीटों पर एडमिशन के लिए कॉमन काउंसलिंग शुरू की है। अभी तक कुल सीटों में से दूसरे राउंड के बाद आइआइटी बीएचयू, भिलाई, धनबाद, रुड़की, खडग़पुर के साथ ही एनआइटी अगरतला, जालंधर, आंधप्रदेश और सूरत की कुछ ब्रांचेज में सीटें खाली रह गई हैं। इन सीटों पर चार अन्य राउंड में होने वाली काउंसलिंग के जरिए एडमिशन किया जाएगा।
सीट करनी होगी वापस
ऐसे अभ्यर्थी जो जोसा की छह राउंड की काउंसलिंग में सीट मिलने के बाद पांचवें राउंड में आवंटित सीट को छोड़कर 'विड्राल प्रोसेस यानी सीट वापसी प्रक्रियाÓ करके रिफंड करवा लेते हैं, केवल उन्हें ही अगले साल जेईई एडवांस में बैठने का मौका मिलेगा। जो अभ्यर्थी आवंटित सीट बिना वापस किए सीट खाली छोड़ेंगे, उन्हें जेईई मेन उत्तीर्ण करने के बाद भी जेईई एडवांस में शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा। ऐसे में अभ्यर्थी न सिर्फ अपने दो साल के एडवांस देने का मौका खो बैठेंगे, बल्कि आइआइटी में एडमिशन का सपना भी कभी पूरा नहीं होगा।
पीके झा, निदेशक आइआइटी सर्किल ने बताया कि सीट आवंटित होने के बाद ऐसे उम्मीदवारों की संख्या काफी कम होती है जो बिना विड्राल किए सीट छोड़ देते हैं। हालांकि कई बार बेहतर आइआइटी न मिल पाने के चलते अभ्यर्थी अनजाने में ऐसा कर बैठते हैं, जबकि नियमों के तहत यह उनके लिए बेहद घातक होगा। ऐसे में काउंसलिंग के नियम एक बार जरूर पढ़ें।