Watermelon Chemicals: सावधान! लाल तरबूज की मिठास में जहरीले केमिकल्स, ऐसे पहचानिए; सफेद-पीला पाउडर का खेला
Mithe tarbuj ki pahchan तरबूज में मौजूद केमिकल्स कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का भी कारण बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तरबूज पर कई बार सफेद या पीला पाउडर नजर आता है जिसे धूल समझकर साफ कर दिया जाता है। लेकिन यह धूल नहीं बल्कि कैल्शियम कार्बाइड पाउडर हो सकता है। इसके इस्तेमाल से फल जल्दी पक जाता है।
जागरण संवाददाता, दुमका। how to test for sweet watermelon: खबर है कि दुमका के एक थोक फल विक्रेता के यहां दो दिन पूर्व नगर थाना की पुलिस ने तकरीबन दो क्विंटल तरबूज को इसलिए नष्ट करवाने के लिए दबाव दिया गया क्योंकि किसी ने पुलिस को यह शिकायत की थी कि तरबूज में सूई के जरिए केमिकल्स व रंग डाला जा रहा है। शिकायत के बाद ही पुलिस मौके पर पहुंची थी और फिर दबाव देकर उसे नष्ट करवाने की पहल की थी।
हालांकि, फिलहाल इस मामले में पुलिस कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। बहरहाल मिलावट करने की यह खबर शहर में चर्चा का विषय है। इधर, इस शिकायत की भनक लगने पर जिला खाद्य सुरक्षा विभाग भी ऐसे मिलावट के धंधेबाजों पर नकेल कसने की तैयारी में है। संभव है कि जिला खाद्य सुरक्षा विभाग तीन और चार मई को दुमका के एफडीए भवन परिसर में मोबाइल फूड टेस्टिंग लैब के जरिए दूध व फलों में मिलावट की जांच के लिए विशेष शिविर का आयोजन करे।
ऐसे करें केमिकल की पहचान
तरबूज को खरीदने के बाद कम से कम दो से तीन दिन के लिए रख दें। अगर वह खराब नहीं होता या उस पर झाग-पानी निकलता है तो यह समझ लेना चाहिए कि इसमें इंजेक्शन लगा है।अभी तक तरबूज में केमिकल मिलाने की कोई शिकायत नहीं मिली है। वैसे विभाग ऐसे मामले को लेकर गंभीर है। अगर मोबाइल फूड टेस्टिंग लैब की उपलब्धता हुई तो तीन या चार मई को निश्शुल्क जांच शिविर लगाकर दूध व फलों का सैंपल जांच किया जाएगा। अमित कुमार राम, जिला खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी, दुमका
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मोबाइल फूड टेस्टिंग लैब की मांग की गई
इसके लिए विभागीय स्तर पर मोबाइल फूड टेस्टिंग लैब की उपलब्धता के लिए पत्राचार किया गया है। विभाग के अधिकारी का कहना है कि अगर जांच वाहन उपलब्ध हो जाता है तो तीन और चार मई को विशेष जांच शिविर का आयोजन किया जाएगा। कहा कि इस शिविर में दूध व फलों के सैंपल का जांच निश्शुल्क किया जाएगा और तत्काल इसका रिपोर्ट भी उपलब्ध कराया दिया जाएगा।
कैंसर जैसी खतकनाक बीमारियों का कारण
ये केमिकल्स होते हैं खतरनाक
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