Jharkhand News: 'आज भी झारखंड में गोरी चमड़ी...', शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के बयान से घमासान
पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी प्रखंड के सुरदा क्रॉसिंग चौक पर तिलका माझी जयंती के अवसर पर मूर्ति अनावरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि आज भी प्रदेश में गोरी चमड़ी वाले अंग्रेज मौजूद हैं। ऐसे लोगों को पहचान कर बाबा तिलका माझी के रास्ते पर चलकर उन्हें खत्म करने की जरूरत है।

संस,घाटशिला। झारखंड में भी गोरी चमड़ी वाले अंग्रेज व घुसपैठ, आज वैसे घुसपैठों को पहचानने की जरूरत है। हमारे विरुद्ध जो काम करेगा वही अंग्रेजी हुकूमत के बराबर काम करेगा। जो झारखंड के विरुद्ध काम कर रहा ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है। बाबा तिलका माझी के रास्ते पर चलकर उन्हें खत्म करने की जरूरत है।
ये सभी बातें तिलका माझी जयंती के अवसर पर पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी प्रखंड के सुरदा क्रॉसिंग चौक पर आयोजित तिलका माझी के मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में प्रदेश के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री रामदास सोरेन ने कही।
जल,जंगल और जमीन के लिए किया आंदोलन
- मंत्री रामदास सोरेन ने कहा की जल,जंगल और जमीन को बचाने के लिए बाबा तिलका माझी ने आंदोलन किया। बाबा तिलका माझी ने अंग्रेजी हुकूमत के अन्याय का विरोध किया।
- अंग्रेजी हुकूमत ने जब किसानों को धान की खेती छोड़कर नील की खेती के लिए दबाव बनाया तो बाबा तिलका माझी ने उसके विरोध में आवाज बुलंद की। उन्होंने आदिवासियों को एकजुट करने का काम किया।
बाबा तिलका माझी से प्रेरणा लेने की जरूरत
बाबा तिलका माझी ने अपने तीर से अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारी को छलनी किया। उन्होंने कई बार अंग्रेजी हुकूमत के साथ मुकाबला किया।
आज हमें बाबा तिलका माझी से प्रेरणा लेने की जरूरत है। शोषण के विरुद्ध लड़ने की जरूरत व संकल्प लेने की जरूरत है।
झारखंड में आज भी गोरी चमड़ी वाले अंग्रेज
गोरी चमड़ी वाले अंग्रेज आज भी झारखंड में है। ऐसे अंग्रेजी हुकूमत सोच के विरूद्ध आवाज उठाकर बाबा तिलका माझी के मार्ग पर चलकर उन्हें तीर से खत्म करने की जरूरत है। तब हम झारखंड को सर्वांगीण विकास की तरफ ले जा सकेंगे।
बहरागोड़ा के पूर्व विधायक रहे मौजूद
बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने भी बाबा तिलका माझी के बलिदान को नमन किया। उन्होंने कहा की वे पहले स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रजों के विरूद्ध आवाज उठाई।
उनसे घबराकर अंग्रेजों ने उन्हें फांसी पर लटकाया। भागलपुर में वह पेड़ आज भी युवाओं को जुल्म व अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने को प्रेरित करता है।
कौन हैं तिलका माझी
1857 में अंग्रेजों के खिलाफ हुए विद्रोह को इतिहासकार आजादी का पहला विद्रोह मानते हैं, लेकिन झारखंड में 1857 से पहले ही अंग्रेजों के खिलाफ कई विद्रोह हो चुके थे, इनमें संथाल विद्रोह, चुआड़ विद्रोह आदि शामिल हैं।
आजादी के लिए विद्रोह फूंकने वालों में से एक नाम बाबा तिलका माझी का भी है, उनके द्वारा शुरू किए गए विद्रोह को संथाल विद्रोह के नाम से जाना जाता है।
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