किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा केवीके
By Edited By: Updated: Fri, 01 Feb 2013 10:16 PM (IST)
जयनगर: प्रखंड मुख्यालय में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, कोडरमा जिले के किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यहीं से प्रशिक्षण पाकर किसान वैज्ञानिक तरीके से उन्नत खेती कर आत्मनिर्भर हो रहे हैं। कृषि सलाहकारों से प्रशिक्षण और फसल परिभ्रमण कर किसान आसानी से वैज्ञानिक तरीके से खेती के गुर सीख रहे हैं। इसी केंद्र के बदौलत जिले के जयनगर, कोडरमा, मरकच्चो, सतगावां, डोमचांच, चंदवारा से सैकड़ों किसान कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन पाए हैं। दर्जनों किसानों को बेहतर कृषि कार्य के लिए सम्मानित होने का अवसर भी मिला है। किसान इस सफलता को कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर की देन बताते हैं। यहां किसान और कृषि सलाहकारों के बीच परिवारिक संबंध बन गया है। कृषि विज्ञान केंद्र में कृषि के साथ-साथ पशुपालन और घरेलू उद्योग का भी प्रशिक्षण किसानों को दिया जाता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को श्रीविधि से उन्नत प्रजाति के धान सहभागी, अंजली, अभिषेक, जिरोटील से गेहूं बुआई, शिमला मिर्च की खेती, धान फसल के बीच अरहर की खेती, ब्रोकली, पपीता, बरसाती प्याज, पशुपालन में उन्नत बकरा, मुर्गी, बत्तख, पशु पालन , चाकलेट का वितरण कर किसानों को पशुपालन के क्षेत्र में भी प्रोत्साहित किया जाता है। घरेलू उद्योग में मशरूम की खेती, लाह चुड़ी निर्माण, सिलाई, बुआई के साथ महिलाओं को और भी कई तरह की जानकारी दी जाती है। सब्जी की नर्सरी लोटनल पॉली हाउस से कम समय में पौधे सुरक्षित तैयार करने और पॉलिथीन मलचिंग से फसल में नमी बनाये रखने के वैज्ञानिक तरीके यहां की विशेषता है। केंचुआ खाद बनाने की विधि और उपयोग से किसान बेहतर कृषि कर रहे हैं। इसी केंद्र के बदौलत लोहाडंडा के राजकुमार सिंह, अशोक यादव, रामचंद्र महतो, मरकच्चो के रामचंद्र यादव, जगदीश यादव, बैद्यनाथ राम, कोडरमा के पथलडीहा निवासी कपिलेदव सिंह, दीपक सिंह, मिथिलेश सिंह, प्रकाश राम, सतगावां के रामवृक्ष, जयराम यादव आदि ने प्रगतिशील किसान बने हैं। कृषि विज्ञान केंद्र ने चोपनाडीह में जलवायु समुथानशील कृषि पर राष्ट्रीय बहस भी किसान समिति बनाई है। कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा 2005 में की गई थी। केंद्रीय चावल अनुसंधान केंद्र कटक द्वारा इसे संचालित किया जा रहा है। वर्तमान समय में कृषि विशेषज्ञ डा. विनय कुमार सिंह, डा. सुधांशु शेखर, चंचिला कुमारी, मनीष कुमार, रूपेश रंजन आदि किसानों को तकनीकी जानकारी दे रहे हैं। यहां के वैज्ञानिकों ने कृषि के क्षेत्र में कई तरह के शोध भी किए हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक डा. बीके सिंह ने कहा कि कम पानी और कम जमीन में अधिक फसल उगाने का लाभ किसान लें। परती और ऊपरी भूमि का उपजाऊ भूमि बनाना कृषि विज्ञान केंद्र का लक्ष्य है। किसानों को पपीता की खेती से लाभ दिलाना लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि, पशुपालन एवं घरेलू उद्योग धंधों की नई तकनीक से कम खर्च में अधिक मुनाफा देना केंद्र का लक्ष्य है।मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर
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