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झारखंड की इस लोकसभा सीट को लेकर उड़ी बीजेपी-कांग्रेस की नींद, इस MLA की एंट्री कहीं खराब न कर दे चुनावी गणित

लोहरदगा लोकसभा सीट से जेएमएम के टिकट पर बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा चुनाव लड़ सकते हैं। इसका सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस पार्टी को होगा क्‍योंकि चमरा लिंडा इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं। उनका अपना वोट बैंक भी है। अब देखने वाली बात यह है कि झामुमो और कांग्रेस के बीच लोहरदगा लोकसभा सीट को लेकर किस प्रकार का समझौता होता है।

By Rakesh sinha Edited By: Arijita Sen Published: Mon, 18 Mar 2024 02:54 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2024 02:54 PM (IST)
झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद चमरा लिंडा की फाइल फोटो।

राकेश कुमार सिन्हा, लोहरदगा। Jharkhand Lok Sabha Election 2024 : लोहरदगा लोकसभा सीट आदिवासी बहुल क्षेत्र है। लोहरदगा-गुमला आदि क्षेत्र में पहाड़ और जंगलों के बीच एक बड़ी आबादी निवास करती है। अनुसूचित जनजाति रिजर्व सीट में हमेशा से सभी प्रमुख दलों की नजर रही है। लोहरदगा लोकसभा सीट में भाजपा-कांग्रेस के बीच मुकाबला की परंपरा रही है।

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इस सीट पर कांग्रेस-बीजेपी का सीधा मुकाबला

देश के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर साल 2019 के लोकसभा चुनाव तक में लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने एक मजबूत लोकतंत्र की स्थापना में अपनी भूमिका निभाई है। राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बीच लोहरदगा के लोगों ने राजनीतिक हलचल भी देखी है।

यहां का चुनाव परिणाम हमेशा ही चौंकाने वाला रहता है। कांग्रेस-भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होता है तो कभी निर्दलीय प्रत्याशी की उपस्थिति भी त्रिकोणीय मुकाबला की तस्वीर दिखा देती है। इस बार भी कुछ वैसे ही हालात नजर आ रहे हैं।

इस बार झामुमो ने भी इस सीट पर ठोका दावा

झारखंड में कांग्रेस, झामुमो और राष्ट्रीय जनता दल के बीच गठबंधन है। तीनों ही दल आईएनडीआईए के महागठबंधन का हिस्सा भी हैं। झारखंड में लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन के बीच स्थिति सामान्य दिखाई दे रही है।

हालांकि, सब कुछ सामान्य नहीं है। इसका एक बड़ा उदाहरण लोहरदगा बन सकता है। लोहरदगा लोकसभा सीट में पिछले कई लोकसभा चुनाव से भाजपा कांग्रेस के बीच ही मुकाबला रहा है। इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा भी लोहरदगा लोकसभा सीट पर अपना दावा कर रही है।

इस क्षेत्र पर चमरा की पकड़ मजबूत

इसके पीछे की वजह यह है कि गुमला जिले के बिशनपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता चमरा लिंडा के लोहरदगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। चमरा लिंडा इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं। उनका अपना वोट बैंक भी है। यदि चमरा लिंडा लोहरदगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं तो इसका सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस पार्टी को होगा।

अब देखना है यह है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के बीच लोहरदगा लोकसभा सीट को लेकर किस प्रकार का समझौता होता है। खैर, लोहरदगा लोकसभा सीट में चमरा लिंडा के दावा करने के पीछे एक वजह भी है। इस क्षेत्र में वह एक मजबूत नेता के रूप में जाने जाते हैं। तीन लोकसभा चुनाव का परिणाम तो कुछ ऐसा ही कहता है। चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2004 के चुनाव से लेकर साल 2014 तक के चुनाव में चमरा लिंडा ने भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों की नींद उड़ा दी थी।

इस बार भी निर्दलीय प्रत्‍याशी के रूप में लड़ सकते हैं चुनाव

साल 2004 के चुनाव में चमरा लिंडा लोहरदगा लोकसभा सीट से स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे। वर्ष 2004 का चुनाव कांग्रेस पार्टी के डॉक्टर रामेश्वर उरांव ने जीता था। इस चुनाव में उन्हें 223920 वोट मिले थे। जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के दुखा भगत को 133665 वोट से संतोष करना पड़ा था। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा ने 58947 वोट लाकर सबको हैरान कर दिया था।

वर्ष 2009 के चुनाव में फिर एक बार चमरा लिंडा चुनाव मैदान में थे। इस बार भी वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे। इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सुदर्शन भगत चुनाव जीत गए थे। सुदर्शन भगत को इस चुनाव में 144628 वोट मिले थे। निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा को 136345 वोट प्राप्त हुए थे।

तीसरे स्थान पर रहने वाले कांग्रेस के डॉक्टर रामेश्वर उरांव को 129622 वोट मिले थे। साल 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सुदर्शन भगत चुनाव जीते थे। इस चुनाव में उन्हें 226666 वोट मिले थे। जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाले कांग्रेस के डॉ. रामेश्वर उरांव को 220177 वोट मिले थे।

वहीं तीसरे स्थान पर रहने वाले ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी रहे चमरा लिंडा को 118355 वोट मिले थे। कई चुनाव में बड़े राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के पसीने छुड़ा चुके चमरा लिंडा के इस बार चुनाव मैदान में उतरने की स्थिति में भाजपा-कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं होगी।

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