Jharkhand News: कद-पद देखकर झामुमो ले रहा बागियों के विरुद्ध एक्शन, दो बड़े नेता के खिलाफ अब भी कार्रवाई नहीं
Jharkhand Politics झारखंड में सत्तारूढ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के दो विधायक और एक पूर्व विधायक पार्टी लाइन से अलग हटकर चुनाव लड़ने के लिए बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं। इनमें से दो ने नामांकन भी कर दिया है और एक कतार में हैं। झामुमो ऐसे नेताओं को नहीं मानने पर कार्रवाई करने की बात तो कह रहा है लेकिन कार्रवाई कद और पद देखकर की जा रही है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, रांची। Jharkhand News: झारखंड में सत्तारूढ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के दो विधायक और एक पूर्व विधायक पार्टी लाइन से अलग हटकर चुनाव लड़ने के लिए बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं। इनमें से दो ने नामांकन भी कर दिया है और एक कतार में हैं। झामुमो ऐसे नेताओं को समझाने-बुझाने तथा नहीं मानने पर कार्रवाई करने की बात तो कह रहा है, लेकिन कार्रवाई कद और पद देखकर की जा रही है।
अबतक पार्टी के एक्शन से यह प्रमाणित भी हो रहा है। झामुमो के पूर्व विधायक बसंत लौंगा ने खूंटी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए नामांकन किया है। वे मैदान में डटे हैं। उन्हें समझाने की सारी कोशिशें नाकाम हो गई तो झामुमो के शीर्ष नेतृत्व ने उनके विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया।
सभी के खिलाफ एक समान कार्रवाई नहीं हो रही, कद-पद देखकर हो रहा एक्शन
उनका साथ दे रहे लोगो के खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी है। ऐसे तीन नेताओं से स्पष्टीकरण मांगा गया है, जो उनका समर्थन कर रहे हैं। हालांकि पार्टी अनुशासन तोड़ने वाले नेताओं के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर दल में समानता नजर नहीं आ रही है। बगावत का सुर बुलंद कर रहे दो विधायकों चमरा लिंडा और लोबिन हेम्ब्रम पर झामुमो कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
चमरा लिंडा लोहरदगा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। यहां झामुमो का समर्थन कांग्रेस प्रत्याशी को है। लिंडा को रोकने की हरसंभव कोशिश हुई, लेकिन वे नहीं मानें। आरंभ में कहा गया कि वे नामांकन वापस ले लेंगे। पार्टी को इस स्तर पर भी निराशा हाथ लगी। लिंडा चुनाव मैदान में डटे हैं। उनके विरुद्ध कार्रवाई का कोई निर्णय पार्टी ने अभी तक नहीं किया है। कुछ ऐसा ही हाल बोरियो के विधायक लोबिन हेम्ब्रम का भी है।
लोबिन हेंब्रम राजमहल संसदीय सीट से झामुमो के घोषित प्रत्याशी विजय हांसदा के विरुद्ध निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। उनका चुनाव मैदान में उतरना भी तय है। लोबिन लगातार पार्टी विरोधी बयानबाजी भी कर रहे हैं, लेकिन कोई एक्शन नहीं हो रहा है।
यह वजह हो सकती है विधायकों को अनदेखा करने की
माना जा रहा है कि झामुमो विधानसभा में संख्या बल कम हो जाने के डर से विधायकों पर कार्रवाई करने से बच रहा है। जामा की विधायक सीता सोरेन पहले ही दल छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुकीं हैं। उन्हें भाजपा ने दुमका संसदीय क्षेत्र से टिकट भी थमा दिया है।
चमरा लिंडा और लोबिन हेम्ब्रम के खिलाफ कार्रवाई हुई तो विधानसभा में झामुमो विधायकों की संख्या घटकर 26 रह जाएगी। हालांकि सहयोगी दलों के विधायकों के समर्थन की वजह से सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन झामुमो का शीर्ष नेतृत्व कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। यही वजह है कि विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है।
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