मंईयां सम्मान की तरह विधवा, वृद्धा और दिव्यांगों को 2500 की पेंशन क्यों नहीं? BJP ने सरकार से पूछा
भाजपा विधायकों ने मंईयां सम्मान योजना के तहत 18 से 50 वर्ष की महिलाओं को 2500 रुपये पेंशन दिए जाने पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि अगर सरकार विधवाओं दिव्यांगों और वृद्ध महिलाओं को भी इतनी ही पेंशन दे सकती है तो फिर सिर्फ एक वर्ग को ही क्यों? इस मुद्दे पर सदन में हंगामा भी हुआ और भाजपा विधायकों ने सदन का बहिष्कार किया।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र (Jharkhand Vidhan Sabha Budget) में गुुरुवार को भाजपा विधायकों ने यह मामला उठाया कि मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना (Maiya Samman Yojana) के तहत 18 वर्ष से 50 वर्ष की महिलाओं को प्रतिमाह ढाई हजार रुपये दिए जा रहे हैं तो विधवाओं, दिव्यांग महिलाओं तथा वृद्ध महिला को क्यों नहीं?
यह भी सवाल उठाया कि सहिया और स्कूलों में मिड-डे मील बनाने वाली महिला रसोइया को इतनी राशि क्यों नहीं मिल रही? विधवाओं, दिव्यांगों तथा वृद्धों को भी ढाई हजार रुपये देने की मांग को लेकर भाजपा विधायकों ने सदन के भीतर हंगामा भी किया। साथ ही सदन का बहिष्कार किया।
इससे पहले, भाजपा विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से यह सवाल उठाते हुए सामाजिक सुरक्षा के तहत मिलनेवाली विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन तथा दिव्यांग पेंशन की राशि भी एक हजार रुपये से बढ़ाकर ढाई हजार रुपये करने की मांग की।
'महिला रसोइया का मानदेय बढ़ाया गया'
जवाब में प्रभारी मंत्री चमरा लिंडा ने स्वीकार किया कि 28,5008 विधवा महिलाओं तथा 72,657 दिव्यांग महिलाओं को एक हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन के रूप में दिए जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि महिला रसोइया का मानदेय दो हजार रुपये है, जिसे बढ़ाकर तीन हजार रुपये कर दिया गया है, जबकि सहिया को प्रतिमाह दो हजार रुपये मानदेय के अलावा तीन हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
कांग्रेस विधायक ने भी उठाया सवाल
सत्येंद्र नाथ तिवारी ने कहा कि महिला रसोइया खाना बनाकर दो हजार रुपये प्राप्त करेगी तो इससे अच्छा है कि वह बिना खाना बनाए ढाई हजार रुपये लें। सत्ता पक्ष से ही कांग्रेस विधायक रामेश्वर उरांव ने भी इसपर सवाल उठाते हुए कहा कि मंईयां सम्मान योजना में बिना कोई काम लिए ढाई हजार रुपये दिए जा रहे हैं तो काम करने पर दो या तीन हजार रुपये क्यों? उन्होंने इसपर सरकार से विचार करने का अनुरोध किया।
भाजपा के ही विधायक शत्रुघ्न महतो ने भी यह मामला तारांकित प्रश्न के माध्यम से उठाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दिव्यांगों को चार माह से पेंशन नहीं मिली है। जवाब में मंत्री ने कहा कि पेंशन योजनाओं में केंद्र से जून-2024 तक ही राशि मिली है। राज्य सरकार ने अपने मद से दिसंबर माह तक का भुगतान कर दिया है। साथ ही मार्च माह तक राज्यांश की भी राशि जिलों को भेज दी गई है।
इसपर भाजपा विधायक बाबूलाल मरांडी ने सरकार से साफ-साफ यह जवाब देने की मांग की कि राज्य सरकार मंईयां सम्मान की तरह ढाई हजार रुपये विधवा व दिव्यांग महिलाओं को देना चाहती है या नहीं? इसपर वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकारें अपने संसाधनों के आधार पर योजनाएं बनाती हैं। विपक्ष की जाे चिंता है, वह सरकार की भी चिंता है।
राज्य सरकार ओडिशा, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिमी बंगाल आदि पड़ोसी राज्यों में लागू व्यवस्था का अध्ययन कर विधवा, दिव्यांग तथा वृद्ध महिलाओं को भी ढाई हजार रुपये पेंशन देने पर विचार करेगी। राज्य सरकार द्वारा सदन में इसकी स्पष्ट घोषणा नहीं किए जाने पर भाजपा विधायक नीरा यादव ने सवाल उठाया कि विधवा, दिव्यांग तथा वृद्धा से राज्य सरकार की क्या दुश्मनी है?
जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि कोई बड़ा निर्णय लेने को लेकर विचार करने में समय लगता है। भाजपा के विधायक केंद्र से 1.41 करोड़ केंद्रांश की राशि शीघ्र दिलवा दें तो विधवाओं, वृद्धा और दिव्यांगों के साथ न्याय होगा। उनके इस जवाब पर भाजपा विधायक हंगामा करते हुए आसन के पास पहुंच गए। ढाई हजार रुपये देने की नारेबाजी भी की। बाद में विधायकों ने सदन का बहिष्कार किया।
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