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झारखंड में धर्म स्वतंत्र बिल पर राजनीति गरमाने के आसार

धर्म स्वतंत्र बिल लागू होने के बाद कुछ स्थानों पर जबरन धर्मांतरण के खिलाफ जनजातीय समुदाय के लोग उठ खड़े हुए हैं।

By Sachin MishraEdited By: Updated: Wed, 18 Oct 2017 09:38 AM (IST)
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झारखंड में धर्म स्वतंत्र बिल पर राजनीति गरमाने के आसार

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में धर्म स्वतंत्र बिल को लेकर विपक्ष मुखर है तो सत्ताधारी भाजपा ने इस मुद्दे पर आक्रामक तेवर अख्तियार किया है। यही वजह है कि दो दिन तक चली पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में इस मुद्दे पर मंथन हुआ। तय किया गया कि धर्मांतरण कराने में जुटी ताकतों और उनकी साजिश का पर्दाफाश करना है। जनजातीय समुदाय को इससे हो रहे खतरे से भी वाकिफ कराना है।

खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास धर्मांतरण के कुचक्र के खिलाफ आरंभ से मुखर हैं। यही वजह है कि उन्होंने कार्यसमिति की बैठक में खुलकर अपनी बातें रखी। ईसाई मिशनरियों को उन्होंने इसकी जड़ में बताया तो कुछ एनजीओ ( गैर सरकारी संगठन) की गतिविधियों पर भी सवाल उठाए। धर्म स्वतंत्र बिल लागू होने के बाद कुछ स्थानों पर जबरन धर्मांतरण के खिलाफ जनजातीय समुदाय के लोग उठ खड़े हुए हैं।

ऐसे मामलों में थानों में भी प्राथमिकी दर्ज की गई है। आदिवासी संगठनों का भी इसमें सहयोग मिल रहा है लेकिन ईसाई मिशनरी समर्थित आदिवासी संगठन इसके पक्ष में नहीं हैं। ईसाई मिशनरियों से जुड़े लोग जहां इसके प्रबल विरोध के पक्षधर हैं, वहीं वे राजनीतिक दलों की आड़ में इसके खिलाफ मुहिम चलाना चाहते हैं। ऐसे में धर्म स्वतंत्र बिल पर राजनीति गरमा सकती है।

झामुमो दस्तक दे चुका है राष्ट्रपति भवन तक

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस मसले पर राष्ट्रपति भवन जाकर गुहार लगाई है। हाल ही में पार्टी के एक शिष्टमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर बिल को निरस्त करने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन का कहना है कि भाजपा घृणा फैलाकर समाज को बांटना चाहती है। जबरन धर्मांतरण के खिलाफ पूर्व से कानून लागू है तो नया विधेयक लाने का कोई औचित्य ही नहीं था। विधानसभा में इसे आनन-फानन में लाया गया। झामुमो ने उसका कड़ा विरोध किया था। पार्टी इस विधेयक के खिलाफ जनता को जागरूक करेगी। नफरत की आड़ में राजनीतिक करने वालों के मंसूबे कभी सफल नहीं होंगे।

बामसेफ संग मिलकर रैली करेंगे सालखन पूर्व सांसद

सालखन मुर्मू 23 अक्टूबर को रांची में बड़ी रैली की तैयारी में जुटे हैं। इसमें उन्हें बैकवर्ड एंड माइनोरिटी कम्युनिटीज इंप्लाइज फेडरेशन यानि बामसेफ का भी सक्रिय सहयोग मिल रहा है। धर्मातरण बिल निरस्त करने की मांग इनका मुख्य एजेंडा है। रैली में सरना कोड को मान्यता, डोमिसाइल नीति और भूमि अधिग्रहण को रद करने की मांग प्रमुखता से उठेगी।

इस रैली में बामसेफ के अध्यक्ष वामन मेश्राम और मौलाना सज्जाद नोमानी भी शामिल होंगे। सालखन मुर्मू कहते हैं-भाजपा व आरएसएस गलत नीतियां बनाकर आदिवासी-मूलवासी को उखाड़ना चाहते हैं। विभिन्न दलों के आदिवासी नेता हीं आदिवासियों के शत्रु हैं। रैली में पांच राज्यों के आदिवासी जुटेंगे। 

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